गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिल्ली के राजपथ पर होने वाले परेड को हम सभी ने देखा है। वह परेड काफी लुभावना दिखता है और उसे देखकर अपने आप एवं देश पर गर्व महसूस होता है। हम सभी ने तरह-तरह के सैन्य बलों का प्रदर्शन देखा हैं जो अपने देश की शक्ति को बहुत ही बढ़िया ढंग से प्रस्तुत करतें हैं।
आपको बताते चलें गणतंत्र दिवस के अवसर पर असम राइफल्स के महिला टूकड़ी को प्रदर्शन करने का मौका नहीं मिला था। लेकिन पिछ्ले साल के गणतंत्र दिवस पर असम राइफल्स की इस महिला टुकड़ी ने परेड में हिस्सा लेकर “नारी शक्ति” का बहुत ही गौरवशाली प्रदर्शन किया और एक नया इतिहास रच दिया। असम राइफ्लस की महिला सैन्य बल के लिये ही नहीं बल्कि हम सभी के लिये बहुत ही गौरव की बात है।
गणतंत्र दिवस पर हुए परेड में एक बस कांडक्टर की बेटी जो की मेजर हैं वह असम राइफल्स के महिला टुकड़ी की कमांडर थी। आइए जानतें हैं एक उनके बारें में।
आपको बता दें, असम राइफल्स का गठन 1835 में हुआ था। यह भारत का सबसे पुराना अर्धसैनिक बल है। असम राइफल्स भारत-म्यांमार के सीमा पर तैनात है। इसके साथ ही असम राइफल्स पर पूर्वोत्तर राज्यों की आन्तरिक सुरक्षा का भी दायित्व है।
खुशबू कंवर (Khushbu Kanwar) राजस्थान की (Rajasthan) रहने वाली हैं। इनकी उम्र 30 वर्ष है। इनके पिता पेशे से बस कंडक्टर हैं। इनके के पति का नाम मेजर राहुल तंवर (Rahul Tanwar) है। मेजर खुशबू के ससुर महेंद्र सिंह हैं और यह सेना से रिटायर्ड कैप्टन हैं। खुशबू MBA की की डिग्री हासिल की हुईं हैं। लेकिन वह हमेशा से ही सेना में जाना चाहती थी।
खुशबू कंवर असम राइफल्स की महिला टुकड़ी जिसमें 147 महिला सैनिकों ने भाग लिया था, उसकी वह कमांडर थी। खुशबू के नेतृत्व में ही महिला सैनिकों ने दिल्ली के राजपथ पर कदमताल कर नये इतिहास की रचना कर दी। पहली बार ऐसा हुआ कि 187 वर्ष पुराना असम राइफल्स के महिला सैनिक बल ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर नारीशक्ती का शानदार प्रदर्शन दिखाया और लोगों का मन मोह लिया। गणतंत्र दिवस के मौके पर परेड में महिला टुकड़ी का नेतृत्व कर वह अपने पिता के लिये इसे एक छोटा सा उपहार समझती हैं क्यूंकि उनके पिता ने हमेशा से उनके लिये संघर्ष किया है। खुशबू को इस काम को करने के बाद अपने आप पर बहुत गर्व महसूस होता है। खुशबू एक बच्चे की माँ भी हैं।
मेजर खुशबू ने गणतंत्र दिवस के मौके पर महिला सैनिकों के दस्ते का नेतृत्व कर अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने के लिये लगभग 6 महीने तक कठिन मेहनत किया था। वह प्रतिदिन सुबह उठकर महिला दस्त के साथ 8 से 10 घंटे अभ्यास करती थी तथा इसके साथ ही वह रोज 12 से 18 km की दूरी तय करती थी, ताकी वह अपना गौरवशाली प्रस्तुती पेश कर सकें।
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खुशबू को वर्ष 2012 में कमिशन प्राप्त किया और 2018 में वह मेजर पद के लिये चयनित हुईं। मेजर खुशबू ने बताया, “असम राइफल्स की महिला टुकड़ी का नेतृत्व करना बहुत ही सम्मान और फक्र की बात है।” साथ ही उन्होंने आज के युवाओं को संदेश देते हुए यह भी कहा, “सफलता पाने का कोई शार्टकट रास्ता नहीं होता है।”
PM mentioned the story of Kodipaka Ramesh's mother; Major Khushbu Kanwar, daughter of a bus conductor, who has led an all women contingent of Assam Rifles; and the 92-year-old woman who has been offering free drinking water to passengers at Gwalior Railway Station pic.twitter.com/EphCuXYwOz
— PIB in Jharkhand ?? (@RanchiPIB) October 27, 2019
The Logically असम राइफ्लस की सेना और मेजर खुशबू को नमन करता हैं और उनके शानदार प्रदर्शन के लिये बहुत बधाई भी देता है।