कड़ी मेहनत और कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो सफलता जरूर मिलती है। इसका उदाहरण राजस्थान के ये तीन युवा हैं। यूपीएससी और बैंकिंग की तैयारी करने के बाद जब सफलता नहीं मिली तो इनके कदम डगमगाए नहीं बल्कि और भी मजबूत हो गए। तीनों ने साथ मिलकर एक खास दुर्लभ प्रजाति के मशरूम कीड़ा जड़ी (Cordyceps Militries mushroom) की खेती करने का फैसला लिया और कुछ यूं चल पड़ी इनकी रेलगाड़ी।
क्या है कीड़ा जड़ी ?
कीड़ा जड़ी सबसे विशेष एवं दुर्लभ प्रजाति है। जो हिमालय क्षेत्र,नेपाल,चाइना,भूटान, वियतनाम के पहाड़ी क्षेत्रों में प्यूपा कीड़े पर उगने वाली एक विशेष जड़ी बूटी है। प्राचीन काल से ही इसके हर्बल गुणों के बारे में जानकारी मिलती रही है। जिसके मद्देनजर अब इस पर काफी रीसर्च किया जा रहा है। फिलहाल कॉर्डिसेप्स की 400 से अधिक प्रजातियों में से दो स्वास्थ्य अनुसंधान का केंद्र बन गए हैं: कॉर्डिसेप्स सेंसेंसिस (Cordyceps Synesis)
इसलिए कहलाती है संजीवनी ?
यह मशरूम आपके शरीर में ATP (Adenosine Triphosphate) का उत्पादन बढ़ाता है और साथ ही कई रोगों को ठीक करने में कारगर है। संजीवनी उपमा दी जाने वाली यह मशरूम कैंसर, शुगर, थायराइड, अस्थमा, हाई बीपी, गठिया हाई केलोस्ट्रोल, सेक्सुअल डिसऑर्डर जैसी गंभीर बीमारियों में फायदेमंद है। क्योंकि यह एक तरह का इम्यूनिटी बूस्टर है इसलिए कोविड मरीजों के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है जिस पर अभी रीसर्च जारी है।
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भारत में बढ़ रही है डिमांड
विदेशों में इस मशरूम की अत्यधिक डिमांड है पर अब भारत भी पीछे नहीं है, राजस्थान में तीन युवा अभय बिश्नोई, संदीप, मनीष एक साल से इसकी आर्टिफिशियल खेती कर रहे हैं। जिसके बाद कई लोगों ने उन्हें अप्रोच करना शुरू किया है।
अभय बिश्नोई ने The Logically को जानकारी दी कि इस मशरूम के बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं लेकिन दिन पर दिन अच्छे रिजल्ट के कारण लोगों में डिमांड बढ़ रही है।
शुरुआत में चैलेंजिंग लगा, गलतियों से लिया सबक
मार्च, 2019 से तीनों दोस्तों ने साथ मिलकर मशरूम की खेती करना तय किया। हालांकि यह इतना आसान भी नहीं था। अभय को यह आइडिया UK में रहने वाले एक दोस्त से मिला था। लेकिन इसे जमीनी स्तर पर तामील करने के लिए ट्रेनिंग भी जरूरी थी जो उन्होंने उत्तराखंड से पूरी की।
The Logically को संदीप ने बताया की – “पहली बार हमने 1200 जार में मशरूम उगाने की प्रक्रिया शुरू की लेकिन वें खराब हो गए। फिर भी हमने हिम्मत नहीं हारी और अपनी गलतियों से सबक लेते हुए एक नई ऊर्जा के साथ काम को आगे बढ़ाया।”
फिलहाल यह मशरूम 2 से 2.5 लाख रुपए प्रति किलो मे बिकते हैं। इस तरह हमारा टर्नओवर करीब 6 से 7 लाख 3 महीनों में हो जाता है। आज 200 से अधिक ग्राहक है, और हमारे बाजार का दायरा गंगानगर, बीकानेर,चूरू के अलावा हरियाणा, पंजाब के भी कई क्षेत्रों में है।
भारत के किसी भी कोने में मुमकिन है इसकी खेती
बता दें इस खास मशरूम को उगाने के लिए खास वातावरण की भी जरूरत होती है। इन युवाओं की देखरेख में एक लैब राजस्थान, गंगानगर और एक हरियाणा, हिसार में मौजूद है। जहां AC से लैब में तापमान को कंट्रोल किया जाता है। राजस्थान के तापमान को मद्देनजर रखते हुए कई लोगों ने उन्हें रोका। लेकिन वें इस पर अडिग रहें। अभय का मानना है कि –
“यह मशरूम लैब में आर्टिफिशियल तौर पर उगाया जाता है जो देश के किसी भी कोने में संभव है। इसमें कितना तापमान जरूरी है यह हमारे कंट्रोल में होता है बशर्ते आपके क्षेत्र में बिजली की पूर्ति ठीक प्रकार हो रही हो यह आवश्यक है।”
कम कीमत में साझा कर रहे है अपनी तकनीक
मात्र इसकी खेती करने के तौर तरीकों की सीखने के लिए मोटी फीस लगती है। लेकिन इन युवाओं ने कम फीस में अपने टीम के साथ लोगों को ट्रेनिंग देने का काम शुरू किया है ताकि इसकी ज्यादा से ज्यादा उपज की जा सके। मनीष ने बताया कि J.B capital नाम की इनकी संस्था लोगों को ट्रेनिंग और मशरूम की खेती के लिए प्रेरित करने में लगी हुई है।
वह खुद भी कीड़ा जड़ी मशरूम की खेती को आगे बड़े स्तर पर ले जाना चाहते हैं। जल्द ही इनके द्वार उगाया गया मशरूम (Cordymine) ई कॉमर्स वेबसाइट पर भी उपलब्ध होगा। The logically की ओर से इन युवाओं के सुनहरे भविष्य के लिए शुभकामनाएं।
यदि आप Cordyceps Militries mushroom की खेती के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो 8107028844, 9694403269 पर जानकारी हासिल कर सकते हैं।