Sunday, December 10, 2023

UPSC में फेल तीनों दोस्तों ने शुरू की ‘मिलिट्री मशरूम’ की खेती, डेढ़ से दो लाख रुपये प्रति किलो बिकता है

दोस्त हमारे जीवन के बहुत ही महत्वपूर्ण अंग होते हैं। आमतौर पर हम दोस्ती इसलिए करते हैं ताकि हम अपनी समस्याओं को किसी से बांट सके अपने परेशानियों को साझा कर सकें। लेकिन जब यही दोस्ती जब सफलता की योजना बनाने लगे और साथ मिलकर ऊंचाई छूने लगे तो और क्या चाहिए। आज हम ऐसे ही तीन दोस्तों के बारे में बात करने जा रहे हैं जिन्होंने पूरे दुनिया में अपने हुनर का लोहा मनवाया हैl

कौन है यह तीन दोस्त

हम बात कर रहे हैं राजस्थान के गंगानगर जिले के रहने वाले अभय बिश्नोई मनीष बिश्नोई और संदीप बिश्नोई के बारे में। संदीप और मनीष की बात करें तो इन्होंने बीते किया है और संदीप ने एमसीए करने के बाद प्रशासनिक सेवा परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहे थे लेकिन इसमें उन्होंने दो बार प्रयास किया और उन्होंने दूसरा क्षेत्र सुनने का मन बनाया।

Military mushroom farming

यूपीएससी की तैयारी कोई संभावना ना देखते हुए क्षेत्र बदल डाला

अभय बताते हैं कि वह साथ में यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे लेकिन उन्हें सफलता दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही थी। जीवन को ऐसे ही नष्ट करने से अच्छा उन्होंने सोचा कि क्यों ना कुछ अलग किया जाए। इसी क्रम में उन्हें अपने दोस्त के जरिए मिलिट्री मशरूम के बारे में पता चला जो कि यूनाइटेड किंगडम में रहा करते थे। यूनाइटेड किंगडम में लोग इसे हेल्थ सप्लीमेंट के तौर पर प्रयोग करते हैं। इसके बाद सभी ने इंटरनेट पर इसकी पूरी जानकारी प्राप्त की।

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कई जगह से बटोरा ज्ञान और शुरू कर दी अपनी मिलिट्री मशरूम की यात्रा

उन्हें पता चला कि उत्तराखंड में मिलिट्री मशरूम की खेती एक दिव्या रावत जी कर रही हैं। यूट्यूब पर जाकर इनके बारे में जाना और मशरूम को कैसे उगाना है यह भी देखा। 1 साल के बाद तीनों ने मिलकर नैनीताल स्थित अंब्रोस फूड फॉर्म से मशरूम की खेती कैसे करनी है उसकी ट्रेनिंग ली और मार्च 2019 में अंतर कुल 1200000 रुपए इकट्ठा करके अपने गांव में एक वेंचरस स्थापित किया जिसका नाम था जे बी कैपिटल और लग गया मिलिट्री मशरूम की खेती करने में।

Military mushroom farming by three friends

पहली बार में हुई बर्बादी

अभय ने बताया कि जब उन लोगों ने पहली बार 1208 लगाएं तो सारे के सारे बर्बाद हो गए। लेकिन कभी किसी ने हिम्मत नहीं हारी और जो गलतियां उन्होंने पहले की थी उससे उन्होंने सबक लेना ही सही समझा। और फिर दोगुने आत्म बल के साथ आगे बढ़े।

आखिर कैसे होती है खेती

दरअसल मिलिट्री मशरूम एक तरीके से चिकित्सीय उत्पाद माना जाता है। इसे जार में ही उड़ाते हैं और एक 400 ग्राम के जार में आप 2 ग्राम मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं और उनके लाभ में तो 3000 से भी ज्यादा जार रखे हुए हैं । इनके पास एक बार में लगभग 3 से 4 किलो मिलिट्री मशरूम का उत्पादन किया जाता है और इसे पूरी तरीके से तैयार होने में कम से कम 3 महीने का वक्त तो लग ही जाता है। आपको इसके लिए जीरो कण्टामिनेशन लगाना पड़ता है और अगर आपने कोई भी भूल कर तो आपकी पूरी मेहनत बर्बाद हो सकती है।

उसके बाद आपको मिलिट्री मासूम को जार में ब्राउन राइस को 120 डिलीट आप पर ऑटो करना पड़ेगा जिससे यह बैक्टीरिया मुक्त हो जाएंगे पूर्ण बनाओ फिर आप इससे जागने पढ़कर सभी जरूरी केमिकल्स को डाल सकते हैं। इसे लेना पड़ेगा ताकि इस बच्चे को जो भी है वह भी मर जाएंगे। इसके बाद आप इसे अंधेरे कमरे से निकाल कर किसी प्रकाश वाले जगह पर रख सकते हैं जहां पर उसे प्रकाश संश्लेषण में कोई परेशानी ना हो।

mushroom

90 दिनों के अंदर आपका फसल हो जाएगा तैयार

मात्र 90 दिनों में आपके पर सर बिल्कुल तैयार हो जाएंगे और आपको कमरे का तापमान 22 डिग्री तक रखना पड़ेगा। जब एक बार आपका फसल तैयार हो जाए तो आप इसे इंडस्ट्रियल ओवन में ड्राई कर सकते हैं जिसके बाद आप इसे सेवन में ला सकते हैं।

बन गया ब्रांड

अबे नहीं बताया कि अब उनके उत्पाद बाजार में ₹200000 प्रति किलो बिकते हैं और इस तरह अगर आकलन करते हैं तो आप देख सकते हैं कि 3 महीने में इनका टर्नओवर 600000 को भी पार कर जाएगा। आज इनके पास दो सौ से भी ज्यादा ग्राहक मौजूद हैं और पहले जो एक संकुचित दायरे में इनका बिजनेस था अब वह बीकानेर चूरू पंजाब-हरियाणा तक फैल चुका है।

लोगों के प्रोत्साहन ने बना डाला कोर्डी माइन

सभी ने देखा कि लोगों का बहुत अच्छा प्रतिक्रिया देखने को मिल रहा है जिस से उत्साहित होकर इन्होंने एक ब्रांड बना डाला जिसका नाम था कोडी माइन। अब इसकी पैकेजिंग भी होती है और अगले महीने से सोशल प्लेटफॉर्म पर बनाएंगे।

Military mushroom farming

कोरोना ने पहुंचाया काफी नुकसान

जैसा कि हम सब ने देखा कि कोरोना न्यू सदी के जीवन में बहुत ही बड़ा हमला किया है। जिस साल इन दोस्तों ने मिलकर यह योजना बनाई थी कि यह अपने बिजनेस को काफी ऊंचाई तक ले जाएंगे उसी के बीच में कोरोनावायरस होगया। जो फायदा उन्हें उससे पहले होता था अब वह कम होने लगा जहां ₹200000 प्रति किलो मशरूम की बिक्री होती थी अब उसे डेढ़ लाख रुपए नहीं बेचना पड़ रहा था।

युवा किसानों को कर रहे हैं प्रोत्साहित और तैयार जीबी कैपिटल पूरे राजस्थान में मशरूम की खेती के लिए पहला सेंटर था जिसे संदीप ने और उनके दोस्तों ने बढ़ाने का लक्ष्य बनाया था। वह सभी उन लोगों या कहें तो उन युवा किसानों को ट्रेनिंग देना चाहते हैं जो इस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि अपने बुरे या अच्छे अनुभव को लोगों तक पहुंचाएं ताकि लोग दोबारा उस गलती को दोहराया नहीं।

आखिर कैसे करेंगे इस मिलिट्री मशरूम का इस्तेमाल

मिलिट्री मशरूम ट्यूमर अस्थमा थायराइड डायबिटीज जैसी बीमारियों के लिए रामबाण मानी जाती है। इसमें जो पोषक तत्व पाए जाते हैं वह आपके शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बहुत ज्यादा बढ़ा देंगे। आप इसे रात में गर्म पानी में उबाल रात भर इसमें एडिनोसिन सक्रिय हो जाता है अगर आप अगली सुबह खाली पेट इसका सेवन करते हैं तो आपको इससे बहुत ही ज्यादा लाभ मिलेगा।

The Logically इन युवा योद्धाओं के जज्बे को सलाम करता है और युवा पीढ़ी से यह निवेदन करता है कि वह भी अपने क्षेत्र में खूब आगे बढ़े और अपना नाम ऊंचा करें।