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एक ऐसी बस जो गांव-गांव जाकर बच्चों को कंप्यूटर सिखाती है, 1300 बच्चे अभी तक सीख चुके हैं

Mini Digital bus giving computer education to the children of the village

एक समय था जब टेक्नोलॉज़ी के बारें में लोगों को बहुत कम जानकारी थी लेकिन मौजूदा दौर में हर काम टेक्नोलॉज़ी के जरिए हो रहा है। टेक्नोलॉज़ी के इस युग में अब सभी घर बैठे तरह-तरह की जानकारियां जुटा रहे हैं। अब बच्चों की शिक्षा को ही देख लीजिए, कोरोना के बन्दी में सभी क्लासेज ऑनलाइन शुरु कर दी गई। इससे बच्चे अपने-अपने घरों में बैठ कर पढ़ाई करने लगे। इस तरह यह कहना गलत नहीं होगा कि छोटे-बड़े सभी के लिए कम्यूटर जानना आवश्यक हो गया है क्योंकि आजकल सभी काम इसी के सहारे हो रहा है, चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो।

आमतौर पर शहर में रहनेवाले बच्चे कम्यूटर की शिक्षा आसानी से ग्रहण कर लेते हैं लेकिन इस क्षेत्र में ग्रामीण बच्चे आज भी पिछड़े हुए हैं। ऐसे में जरुरत है कि ग्रामीण बच्चों को भी कम्प्यूटर की शिक्षा देने का प्रयास किया जाए ताकि वे बच्चे भी आधुनिक शिक्षा ग्रहण कर सके। बच्चों के इसी भविष्य को बेहतर बनाने के लिए ग्रामोत्थान संसाधन केंद्र की सुविधा मुहैया कराई जा रही हैं, जिसमें बच्चें कम्प्यूटर की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसी कड़ी में आइए जानते हैं इस सुविधा के बारें में-

बस द्वारा मुफ्त में दिया जा रहा है कम्प्यूटर का प्रशिक्षण

दरअसल, बच्चों को कम्प्यूटर की शिक्षा मिल सके इसके लिए “ग्रामोत्थान संसाधन केंद्र” द्वारा बस के माध्यम से यह सेवा शुरु की गई है। आप सोच रहे होंगे कि बस से कम्प्यूटर का ज्ञान कैसे दिया जा सकता है तो बता दें कि ये बस कोई साधारण बस नहीं है। इस बस में मौजूद हर सीट पर लैपटॉप की सुविधा दी गई है जिसकी मदद से गांव के सभी बच्चे बिना किसी शुल्क के शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

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एक दिन में यह बस तीन गांव के बच्चों को देती है शिक्षा

ग्रामोत्थान संसाधन केंद्र को एक समिति द्वारा संचालित किया जाता है और उस समिति के अध्यक्ष का नाम सुधीर कुमार है। समिति अध्यक्ष सुधीर कुमार ने बताया कि बच्चों को फ्री में कम्प्यूटर का ज्ञान देने के लिए बस अलग-अलग गांवों में जाती है। गांव में पहुंचकर जैसे ही बस का होर्न बजता है सभी बच्चे एकजुट हो जाते हैं।

बच्चों को कम्प्यूटर चलाना सिखाने के लिए बस में एक शिक्षक भी हैं जिनका नाम मनीष श्रीवास्तव है। चूंकि, बस के सभी सीटों पर लैपटॉप लगाए गए हैं इसलिए हर एक लैपटॉप से 2 बच्चे प्रशिक्षण लेते हैं। इतना ही नहीं यह बस एक दिन में तीन गांव के बच्चों को लैपटॉप चलाना सिखाती है। सभी बच्चे बहुत ही उत्साहपूर्वक पढ़ते हैं।

कम्प्यूटर कोर्स करने के बाद बच्चों को दिया जाता है प्रमाणपत्र

मनीष श्रीवास्तव का कहना है कि, सभी बच्चों को 3 महीने तक कम्प्यूटर कोर्स कराया जाता है और जब वे 3 महीने का कोर्स पूरा कर लेते हैं तो उन्हें कम्प्यूटर एप्लीकेशन का बेसिक सर्टीफिकेट दी जाती है। उसके बाद यह फैसला लिया जाता है कि अब कौन से गांव के बच्चों को इसकी शिक्षा देनी है।

अभी तक 50 गांवों के बच्चे ले चुके हैं कम्प्यूटर का प्रशिक्षण

ग्रामोत्थान संसाधन केंद्र द्वारा यह एक बहुत ही अच्छी पहल शुरु की गई है, जिसके जरिए विभिन्न गांवों के वैसे बच्चे भी कम्प्यूटर का ज्ञान अर्जित कर रहे हैं जिनके लिए यह एक सपना है। इस केंद्र के माध्यम से अभी तक 50 अलग-अलग गांवों के 1300 बच्चे कम्प्यूटर चलाने का प्रशिक्षण ले चुके हैं। केंद्र का कहना है कि गांव के स्कूलों में कम्प्यूटर की सुविधा नहीं है, ऐसे में अधिकांश: कक्षा 8 से कक्षा 10 तक के बच्चे बस में कम्प्यूटर सिखने के लिए आते हैं।

ग्रामोत्थान संसाधन केंद्र की तरह ही यदि और भी ऐसी पहल शुरु की जाए तो गांव के बच्चे भी कम्प्यूटर की शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे। इससे वे भी आधुनिक क्षेत्र में अपना योगदान दे पाएंगे। The Logically ग्रामोत्थान संसाधन केंद्र की प्रशंशा करता है।

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