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प्रेमचंद शर्मा: पहाड़ी इलाकों में आधुनिक खेती और बागवानी को बढ़ावा देने वाला किसान, जिन्हें पद्मश्री से नवाजा गया

भारत (INDIA) एक कृषि प्रधान देश है। जहाँ कृषकों की कोई कमी नही है। हर जगह आपको यहां किसान मिल जाएंगे। अगर खेती के बारे में बात करें तो खेती संसार का सबसे पुराना व्यवसाय है। यह मनुष्य के सभ्यता की ओर उन्मुख होने का प्रथम चरण है। भारत गाँवों में बसता है, कहने का यही अर्थ है कि भारत की बहुसंख्यक जनता किसान है और किसान गाँवों में ही रहते हैं। भारतमाता ग्रामवासिनी’ कहकर कवि पंत ने इसी तथ्य ओर संकेत किया था। क्योंकि किसान ही भारत की पहचान है।

आज हम आपको उत्तराखंड (Uttarakhand) के किसान प्रेमचंद शर्मा के बारे में बताएंगे जिन्होंने खेती और बागवानी को एक नई दिशा प्रदान की है। उनके खेती करने के अनोखे ढंग से कई किसान प्रेरित हुए हैं। खेती और बागवानी के क्षेत्र में सफल और प्रगतिशील परिवर्तन करने वाले किसान प्रेमचंद शर्मा के कार्यों को देख कर भारत सरकार ने उन्हें सम्मानित भी किया है। आमतौर पर खेती-बाड़ी और बागवानी को आज भी लोग इतनी गंभीरता से नहीं लेते हैं। पर प्रेमचंद शर्मा के बारे में अगर आप सुनेंगे तो उन पर आपको गर्व होगा। आइए जानते हैं उनके बारे में। (Premchand Sharma)

ज्यादा पढ़ नही पाए प्रेमचंद (Premchand Sharma padma shri)

प्रेमचंद शर्मा का जन्म उत्तराखंड (Uttarakhand) के देहरादून जनपद के अटाल गांव में हुआ था। उनके घर में खेती को बहुत महत्व दिया जाता था। प्रेमचंद शर्मा ने ज्यादा पढ़ाई भी नही की। वह मात्र पाचवीं कक्षा तक ही पढ़ पाए। अपने कम उम्र में ही वह अपने पिता के साथ खेतीबाड़ी करने लग गए। माता-पिता के निधन के बाद सारी जिम्मेदारी उनके कंधे पर ही आ गई और फिर उनके संघर्ष का सफर शुरू हुआ। जीवन के शुरुआती दिनों में उनको कई प्रकार की परेशनियों का सामना करना पड़ा फिर भी उन्होंने हार नही मानी।

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खेती में नए प्रयोग (Premchand Sharma padma shri)

पुरखों से मिली परंपरागत खेती से अलग हटकर प्रेमचंद ने खेती में नए प्रयोग करने शुरू किए।उन्होंने फलों को बढ़ावा देने के लिए अनार की खेती की शुरुआत की। उन्होंने अनार की उन्नत किस्म के डेढ़ लाख पौधों की नर्सरी तैयार कर जनजातीय क्षेत्र और हिमाचल के करीब साढे तीन सौ कृषकों को अनार के पौधे वितरित किए। वह कई राज्यों में वे प्रशिक्षण देने के लिए भी गए। प्रेमचंद द्वारा ग्रामीण स्तर पर कृषि सेवा केंद्र की शुरुआत कर खेती-बागवानी के विकास में अहम भूमिका भी निभाई गई।

 uttarakhand farmer premchand sharma awarded with padmashri

आधुनिक खेती में सफल (Premchand Sharma padma shri)

प्रेमचंद शर्मा ने परंपरागत खेती से अलग हटकर कुछ नया करने का प्रयास किया। इसमें सफल होने के बाद उन्होंने अपने साथ के कई किसानों को आधुनिक खेती करने की सलाह दी। उन्होंने कई किसानों को आत्मनिर्भर बनाया। उन्होंने क्षेत्र में नगदी फसलों के उत्पादन को बढ़ावा भी दिया और इस पहल से कई ग्रामीण किसानों को जोड़ा, जिससे उनकी आर्थिकी स्थिति को संवारने में मदद मिली। उनके द्वारा जैविक खेती को भी बढ़ावा दिया गया। जिसके कारण उनके गांव को नई पहचान मिली। लोग उन्हें अलग नजरिए से देखने लगे।

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बागवानी का कठिन कार्य किया (Premchand Sharma padma shri)

उत्तराखंड के दुर्गम इलाकों में प्रेमचंद शर्मा के द्वारा खेती-बागवानी का कठिन कार्य किया गया। उन्होंने आधुनिक तरीके से अनार, ब्रोकली और टमाटर की खेती की। प्रेमचंद शर्मा ने न सिर्फ खेती-बागवानी में ही अग्रणी भूमिका निभाई, बल्कि गांव में अहम पदों की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। उन्होंने अपने गांव में एक जनप्रतिनिधि के तौर पर भी भूमिका निभाई है।खेती और बागवानी में अपने अनोखे कार्यों के लिए प्रेमचंद शर्मा को देश के सर्वोच्च सम्मान में से एक पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है। साथ ही साथ उन्हें राज्य सरकार के द्वारा भी कई तरह के सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।

प्रेमचंद शर्मा ने कृषि क्षेत्र में जो अभूतपूर्व योगदान दिया है उसकी जितनी तारीफ की जाए कम है। किसानों को उनसे सीखने की आवश्यक्ता है।

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Shubham वर्तमान में पटना विश्वविद्यालय (Patna University) में स्नात्तकोत्तर के छात्र हैं। पढ़ाई के साथ-साथ शुभम अपनी लेखनी के माध्यम से दुनिया में बदलाव लाने की ख्वाहिश रखते हैं। इसके अलावे शुभम कॉलेज के गैर-शैक्षणिक क्रियाकलापों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

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