कई बार पढ़े-लिखे लोग भी शिक्षा का महत्व नहीं समझ पाते हैं। वहीं इसके विपरीत कुछ लोग ऐसे होते हैं जो खुद भले ही शिक्षा से वंचित रह गए हों लेकिन वह शिक्षा का महत्व बहुत अच्छी तरह से समझते हैं फिर चाहे वह माता-पिता हो या कोई अन्य।
कुछ ऐसा ही नजारा बिहार इंटरमीडिएट की परीक्षा (Bihar Intermediate Board Exam 2023) में देखने को मिला जहां एक मां अशिक्षित होने के बावजूद भी अपनी बेटी को परीक्षा दिलाने के लिए रोजाना 80 km का सफर तय कर रही है। खुद अनपढ़ होने के बावजूद भी वह मां अपनी बेटी को पढ़ा-लिखाकर बड़ा आदमी बनाना चाहती है।
बेटी को परीक्षा दिलाने के लिए यह मां तय करती है 80km का सफर
दरअसल, बिहार में 1 फरवरी से इण्टरमीडिएट बोर्ड की परीक्षा (Bihar Intermediate Board Exam) शुरु हो चुकी है जहां तकरीबन 13 लाख छात्र-छात्राएँ परीक्षा में बैठ रहे हैं। ऐसे में परीक्षा केंद्र अलग-अलग जगहों पर होने की वजह से वहां पहुंचना सुदूर गांव के बच्चों समेत उनके मां-बाप के लिए भी एक चुनौती है।
इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस परीक्षा के लिए एक मां भी अपनी बेटी के साथ 80 km का सफर तय कर रही है। बिहार इण्टरमीडिएट की छात्रा रूमा अपनी मां के साथ परीक्षा केंद्र पर पहुंचने के लिए रोजाना एक ओर से 40 कम का सफर तय करती है। इस तरह वे दोनों मां बेटी प्रतिदिन ट्रेन से 80 किमी का सफर तय कर रही हैं।
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बेटी को बनाना चाहती हैं अधिकारी
हर माता-पिता की तरह रूमा की मां जिनका नाम सकीला देवी है, का भी सपना है कि उनकी बेटी खूब पढ़े और बड़ा आदमी बने। उनका सपना है कि बेटी रूमा पढ़-लिखकर बड़ा अधिकारी बने। खुद अनपढ़ होकर भी इस सपने को पूरा करने के लिए ढोली सकरा गांव से प्रतिदिन 80km का रास्ता तय करके बेटी को परीक्षा केंद्र पर लेकर जाती हैं।
रूमा जब तक परीक्षा हॉल में रहती है उनकी मां बाहर बैठी रहती हैं। जब परीक्षा खत्म होती है तो वाब बेटी को साथ लेकर वापस अपने घर लौट जाती हैं। हालांकि, रास्ता कठिन और दूर है लेकिन मंजिल तक जानेवाला हर रास्ता कठिन ही होता है। शायद यही वजह है कि यह मां इतना मुश्किल सफर तय कर रही है।