Wednesday, December 13, 2023

मां की महानता को समर्पित मदर्स डे पर पढ़िए यह खास पेशकश

मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊं
मां से इस तरह लिपट जाऊं कि बच्चा हो जाऊं

मुन्नवर राणा की लिखी यह लाइन हर किसी को उसके बचपन की याद दिला देती है। वो बचपन जब हम मां के गले लगकर अपनी परेशानियां भूल जाते थे। संजय दत्त के ‘जादू की झप्पी’ सा होता है मां का प्यार जो मिनटों में हमारी तकलीफें दूर कर देता है।

मां की परिभाषा में शब्द कम पड़ जाते हैं

मां शब्द की महिमा इतनी ऊंची है कि उसे चंद शब्दों में बयां कर पाना बेहद हीं मुश्किल। मां की ममता को माला की चंद मोतियों से पिरों कर लिखा नहीं जा सकता। मां की शख्सियत और उसकी ममता के बारे में जितना भी लिखा जाए हर बार कुछ न कुछ छूट जाता है, लेख पूरा होकर भी अधूरा लगता है।

बच्चे मां की प्राथमिकता

मां के लिए उनके बच्चे किसी खूबसूरत तोहफे से कम नहीं होते। इसके विपरीत बच्चों के लिए भी मां एक नायाब तोहफा होती है जो उसे इतनी बड़ी दुनिया से रूबरू कराती है, जन्म देने के बाद से अपना सारा वक्त देती है, जिंदगी जीना सिखाती है और अपनी खुशी बच्चों की खुशी से जोड़ लेती है। यूं कहूं तो मां के लिए उनके बच्चे प्राथमिकता होते हैं।

Mother's Day

बच्चों की खुशी में खुश और गम में परेशान होती है मां

बच्चों की उदासी से मां की मुस्कुराहट तकलीफ में बदल जाती है और उसकी एक हंसी से मां की सारी तकलीफें दूर हो जाती हैं। मां से अपनी परेशानी हमें बोलकर नहीं बतानी होती। हमारी अनकही बातें वह हमारे चेहरे पर पढ़ लेती है, आंखों में देख लेती है। सच, मां की गोद, लोरी और उसकी थपकी में एक अजब सा जादुई रिश्ता होता है।

बड़े होने के बाद भी बचपन के उन दिनों में लौटने को जी चाहता है जब मां अपने हाथों से खाना खिलाती, बाल बनाती। वो सुकून वाली नींद सोने का मन करता जब मां थपकी देकर सुलाती और लोरी गाती।

मां यानी धरती

मां यानी हमारी जननी, हमें जन्म देने वाली और शायद यही कारण है कि हम धरती को भी मां कहकर संबोधित करते हैं। धरती ने हीं हमें जन्म दिया है और हमारे जीने के लिए सुख सुविधा की हर वस्तु प्रदान की.. खुला आसमान, कल-कल बहती नदियां, बर्फ से ढके पहाड़, खेती करने को ज़मीन.. लेकिन बदले में हमने क्या किया… जंगलों की कटाई; हवा, पानी और मिट्टी को दूषित; न्यूक्लियर बम और ग्लोबल वार्मिंग।

पृथ्वी को बीमार किए हैं हम

मनुष्य, पेड़-पौधे और पशु पक्षियों के जैव विविधता से मुस्कुराती हमारी पृथ्वी जिसे हमने बीमार कर दिया है। हमने विकास के नाम पर जंगलों का काट कर बड़ी बड़ी इंडस्ट्री की स्थापना की; उसके धुएं को हवा में मिलाया, कचरे को नदियों और मिट्टी में, वन्य जीवों के जीवन को असंतुलित किया। सच हम कभी भी मां की महत्ता और उसका निस्वार्थ प्यार समझ हीं नहीं पाते। हम भूल जाते हैं कि जिसकी प्राथमिकता है हम उसके प्रति भी हमारा कोई कर्तव्य है।

मदर्स डे (Mother’s Day) हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। यह दिन हमें हमारे उसी कर्तव्य को याद दिलाने का दिन है। मदर्स डे की शुरुआत 1908 में एना जार्विस नाम की एक अमेरिकी महिला ने की थी। एना अपनी मां से बेहद प्यार करती थीं। उनके निधन के बाद एना ने पश्चिम वर्जिनिया के ग्रैटन में अपनी मां के प्रति सम्मान व प्यार प्रकट करने लिए सेंट वर्जिन के मैथोडिस्ट चर्च (St Andrew’s Methodist Church) में मेमोरियल का आयोजन किया था।

यह दिन मां के प्रति सम्मान दिखाने का दिन है जिसने हमें बनाया है। साथ हीं पृथ्वी का भी ख्याल रखने का है जिसने हमें आश्रय दिया है। इन दोनों मां के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने का दिन है, मदर्स डे।