आज के दौर में लड़कियां किसी भी क्षेत्र में लड़कों से कम नहीं है। ऐसा कोई भी काम नहीं है जो लड़कियां नहीं कर सकती। हर क्षेत्र में लड़कियां, लड़कों से कंधा मिलाकर चल रही हैं तथा सभी क्षेत्रों में वे अव्वल होती भी दिख रही हैं। आज हम बात करेंगे एक ऐसी बहादुर लड़की की, जिसने अपने संघर्षों से सबका ध्यान अपने तरफ आकर्षित करवाया है।
कौन है वह बहादुर लड़की?
हम माउंटेन गर्ल शीतल के बारे में बात कर रहे हैं , जिन्होंने सबसे कम उम्र में माउंट एवेरेस्ट फतह करने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है। वे उत्तराखंड (Uttarakhand) के पिथौरागढ़ के एक छोटे से गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता टैक्सी ड्राइवर और मां गृहणी हैं।
कहां से पूरी की शिक्षा?
शीतल (Mountain girl Sheetal) ने अपने शहर के सतशिलिंग इंटर कॉलेज और एलएसएम पीजी काॅलेज पिथौरागढ़ से इंटर और ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने डार्जलिंग में हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट से माउंटेनियरिंग का कोर्स किया और इसके बाद कई अभियान पर गईं और सभी में पास भी हुईं।
एनसीसी (NCC) से जुड़ी
माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट से माउंटेनियरिंग में कोर्स करने वाली शीतल को पहाड़ों पर चढ़ने में बचपन से हीं दिलचस्पी थी। शुरुआती पढाई के दौरान कॉलेज के दिनों में उन्होंने एनसीसी (NCC) जॉइन किया था लेकिन उन्हें इसके बारे में कुछ ज्यादा पता नहीं था। एनसीसी (NCC) से जुड़ने के बाद हीं उन्हें माउंटेनियरिंग का मौका भी मिला।
शीतल (Mountain girl Sheetal) का कहना है कि ‘मैं NCC की रिपब्लिक डे की परेड में भाग लेना चाहती थी। मेरी छोटी हाइट के कारण मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ। इस बात से मैं बहुत दुखी थी। उसी समय माउंटेनरिंग की ट्रेनिंग का ऑफर आया। मैंने बिना देर किए ऑफर को स्वीकार लिया।’
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जन्म के समय दादी हुई थी नाखुश
माउंटेन गर्ल शीतल (Mountain girl Sheetal) का जब जन्म हुआ तो उनकी दादी बिल्कुल भी खुश नहीं थी, क्योंकि घर में बेटी का जन्म हुआ था। लेकिन तब शायद उन्हें भी नहीं पता था कि एक दिन यही बेटी उनके कुल के साथ हीं साथ पूरे देश का नाम रोशन करेगी । शीतल जैसे – जैसे बड़ी होती गईं उनकी प्रतिभा तथा हुनर लोगों को प्रभावित करने लगा। परिवार में उनके जन्म से ही जो माहौल था उसे ठीक करने के लिए शीतल ने कुछ बड़ा करने का फैसला किया और इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत करने का संकल्प किया।
शीतल का माउंटेनियरिंग का सफर
शीतल का माउंटेनियरिंग का सफर 2013 से शुरू हुआ। 2015 में उन्होंने ‘हिमालयन इंस्टीट्यूट आफ माउंटेनियरिंग, दार्जिलिंग’ और फिर ‘पर्वतारोहण संस्थान, जम्मू से माउंटेनियरिंग का एडवांस कोर्स किया। 2015 में ही उन्होंने 7,120 मीटर ऊंची त्रिशूल पीक पर चढ़ाई की। इसके बाद 2017 में 7,075 मीटर फंची सतोपंथ पर पहुंचकर उन्होंने तिरंगा फहराया।
इसके बाद 21 मई 2018 की सुबह दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंघा (8,586 मीटर) पर देश का झंडा फहराया और कंचनजंगा पर चढ़ने वाली सबसे युवा महिला बनीं। उनकी यह उपलब्धि ‘गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में भी दर्ज हुई।
उसके बाद उन्होंने सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट फतह की और माउंट छीपायडोंग पर चढ़ाई करने के अभियान में हिस्सा लिया और सबसे पहले चढ़ाई पूरी की। इसी साल वे माउंट अन्नपूर्णा चढ़ने वाली दुनिया की सबसे छोटी माउंटेनियर बनीं।
उन्होंने (Mountain girl Sheetal) बताया कि, ‘ कंचनजंघा पर चढ़ने के बाद मैं कंचनजंघा पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र की महिला बन गई। उस वक्त मेरी उम्र 22 साल थी। मैं चोटी पर 3 बजे भोर में पहुंच गई थी तो मुझे उस लम्हे को कैमरे में कैद करने के लिए सुबह तक का इंतजार करना पड़ा। इसके बाद मैंने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर भी चढ़ाई किया।’
मिल चुके हैं कई पुरस्कार
शीतल (Mountain girl Sheetal) के साहस और जज्बे के लिए कई खिताब मिल चुके हैं। उनको उत्तराखंड सरकार ने वीर बाला तीलू रौतेली के नाम पर दिए जाने वाले अवॉर्ड ‘स्त्री शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार’ से सम्मानित किया। साथ हीं साथ उन्हें उत्तराखंड राज्य के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान का ब्रांड एंबेसडर भी बनाया गया है। राज्य में साहसिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए शीतल, ‘क्लाइंबिंग बियॉन्ड द सम्मिट्स’ की को-फाउंडर बनीं है।
राष्ट्रपति से हुई सम्मानित
माउंटेनियरिंग गर्ल शीतल (Mountain girl Sheetal) ने आज के समय में अपने साहस से खुद तथा अपने माता-पिता का नाम रौशन किया है। आज वे बतौर माउंटेन गाइड भी काम कर रही हैं। शीतल को लैंड एडवेंचर के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ‘तेनजिंग नोर्गे अवॉर्ड’ दिया है। वे राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद से पुरस्कृत होने पर काफी खुश थी।
उन्होंने (Mountain girl Sheetal) कहा कि, ‘मेरे लिए जिंदगी का सबसे खूबसूरत वो पल था, जब मुझे राष्ट्रपति भवन में अवॉर्ड मिला था।’
लोगों के लिए बनी प्रेरणा
अपने मेहनत और सफलता के बदौलत सफलता हासिल करने वाली शीतल ने सफलता की नई इबादत लिखी है। उन्होंने सही दिशा में अपने प्रयासों से सबको चौंकाया है। उनकी सफलता उनके संघर्ष को प्रदर्शित करती है। आज के समय में वे हजारो लोगों के लिए प्रेरणा बनीं हुई है।
अपने सफलता के बारे में बात करते हुए वे (Mountain girl Sheetal) कहती हैं कि, ‘जिन लड़कियों को पहाड़ आकर्षित करता है, उन्हें माउंटेनियरिंग जरूर करनी चाहिए। लड़कियां-लड़कों से ज्यादा ताकतवर होती हैं। बस, कई बार उन्हें इस बात का एहसास नहीं होता। जिस दिन इसका एहसास उन्हे होता है तो वे इतिहास रच जाती हैं।’
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