लोग शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी से तंग आकर सुकून की तलाश में गांव की ओर रुख कर रहे हैं। क्योंकि गांव में प्रकृति के शांत माहौल में समय व्यतीत करने का मौका मिलता है। यह कहानी भी एक ऐसे ही दंपति का है, जो मल्टीनेशनल कम्पनी की नौकरी छोड़ सुकून की तलाश में शहर से दूर जाकर बस गया और ऐसा होमस्टे का निर्माण किया, जहां आज सैलानियों का तान्ता लगा रहता है और उससे अच्छी कमाई भी होती है।
कौन है वह दंपत्ति?
हम बात कर रहे हैं मुंबई के रहनेवाले बुजुर्ग दंपत्ति विनोद नायर (Viinod Nair) और उनकी पत्नी बीना नायर (Beena Nair) की, जिन्होंने गांव में एक ऐसा ईको-फ्रेंडली होमस्टे (Eco-friendly Homestay) बनवाया जहां हजारों की संख्या में देश-विदेश के सैलानी आते हैं और विकेंड में समय व्यतीत करते हैं। अब उन्हें इससे हर महीने 50 हजार की अच्छी आमदनी हो रही है साथ ही वे ग्रामीणों को रोजगार देकर आत्मनिर्भर भी बना रहे हैं।
कैसे आया ईको-फ्रेंडली होमस्टे बनाने का ख्याल?
65 वर्षीय विनोद साल 2009 तक एक मल्टीनेशनल एडवरटाइजिंग में प्रेसीडेंट के पद पर कार्यरत थे। लगभग 35 वर्षों तक एडवरटाइजिंग कंपनियों के लिए काम करने के दौरान उन्हें काम के सिलसिले में काफी ट्रैवल करना पड़ता था, जिससे उनकी जिंदगी भागदौड़ भरी थी। इसी बीच “स्लिप डिस्क” नामक बीमारी ने दस्तक दे दिया, जिसके बाद उन्होंने निश्चय किया कि वे अपनी भागदौड़ और स्ट्रेस भरी दिनचर्या को बदलेंगे। इसके लिए उन्हें गांव से बेहतर कोई और जगह नहीं दिखी इसलिए वे मुंबई से दूर गांव में ही बसना चाहते थे।
4 वर्षों की कड़ी मेहनत से बनाया “बनयान ब्लिस” नामक ईको-फ्रेंडली होमस्टे
गाँव में बसने की ख्वाहिश ने उन्हें आधुनिक सूख-सुविधा छोड़ने पर मजबूर कर दिया और परिणामस्वरुप विनोद और उनकी पत्नी बिना साल 2009 में वसुंदे गांव में बस गए, जो मुंबई से 120 किलोमीटर की दूरी पर था। उस गांव के लोगों को बाहरी दुनिया के बारें में अधिक जानकारी नहीं थी। यहां तक कि वहां जाने के लिए न तो बस या ट्रेन की सुविधा थी, न बिजली और न ही पानी की। इसके बावजूद भी उन्होंने कई सारी चुनौतियां का सामना करके 4 वर्ष की कड़ी मेहनत के बाद एक बेहद खूबसूरत होमस्टे का निर्माण किया जिसका नाम “बनयान ब्लिस” (Banyan Bliss) रखा।
होमस्टे का नाम क्यों पड़ा “बनयान ब्लिस”?
दरअसल, जहां इस होमस्टे को बनाया गया है वहां 150 साल पुराना एक बरगद का पेड़ है, जिसके नीचे होमस्टे के पांच कॉटेज का निर्माण किया गया है। यह होमस्टे पूरी तरह से बरगद के पेड़ के बीचों-बीच निर्मित होने के कारण लोगों को प्रकृति का आनंद मिलता है। यही वजह है कि इस ईको-फ्रेंडली होमस्टे का नाम बनयान ब्लिस (Sustainable Homestay Banyan Bliss) रखा गया।
बनयान ब्लिस होमस्टे के कमरे न तो अधिक गर्म रहते हैं और न ही अधिक ठंड
एक एकड़ में बने बनयान ब्लिस नामक होमस्टे को विनोद ने बिल्कुल ट्रेडिशनल तरीके अर्थात मिट्टी, गोबर और लकड़ी से बनाया है। मिट्टी से बने इस होमस्टे की सबसे खास बात यह है कि बाकी घरों या बिल्डिंग्स की तरह यहां न तो अधिक गर्मी रहती है और न अधिक ठंडी। सैलानियों के लिए मशहूर इस होमस्टे में यात्रियों के रहने और खाने की सुविधा देने के लिए 2 छोटे और 4 बड़े कॉटेज का निर्माण किया गया है।
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मिलती हैं ये सुविधाएं
इसके अलावा यहां आनेवाले सैलानियों को आधुनिक सुविधाएं जैसे टीवी, इंटरनेट और AC जैसी सुविधाएं नहीं मुहैया कराई जाती है, क्योंकि लोग यहां प्राकृतिक वातावरण का आनंद उठाते हैं। इसके विपरीत यहां किताबों की सुविधा उपलब्ध है। इस प्राकृतिक होमस्टे में ऑर्गेनिक फल और सब्जियों का भी उत्पादन किया जाता है साथ ही यहां वर्षा जल को स्टोर करने की सुविधा भी बनाई गई है जिसके पानी का इस्तेमाल पेड़-पौधों की सिंचाई के लिए किया जाता है।
इस होमस्टे में ठहरने के लिए करने होते हैं कुछ नियमों का पालन
चूँकि, इस होमस्टे में आधुनिक सुख-सुविधाओं से दूर पूरी तरह से प्राकृतिक अनुभव मिलता है इसलिए यहां के कुछ नियम है, जिन्हें इस होमस्टे में ठहरने वाले यात्रियों को पालन करना पड़ता है। उदाहरण के लिए यदि आप यहां रहने के लिए जा रहे हैं तो आपको अपना टॉवल और टॉयलेटरीज अपने साथ लेकर आना होगा। इसके अलावा पानी भरने के लिए आपको बॉटल भी खुद ही लाने होंगे। हालांकि, ध्यान रहें कि ईको-फ्रेंडली होने की वजह से यहां प्लास्टिक का इस्तेमाल करना वर्जित है।
शहर की भीड़-भाड़ से दूर सुकून के पल व्यतीत करने के लिए आते हैं लोग
विनोद के अनुसार, शहर की भीड़भाड़, गाड़ियों के शोर-शराबे और प्रदूषण से मुक्त होने के कारण यहां अधिक लोग आते हैं, ताकि शहर से दूर सुकून के पल व्यतीत कर सके। जैसा कि आप जानते हैं आजकल बच्चे अपनी जमीनी स्तर से दूर होते जा रहें हैं। ऐसे में यहां बच्चों को गांव की सैर कराई जाती है, ताकि वे भारत की खुबसूरती जो गांवो में बसती है देख सके।
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ग्रामीणों को मिल रहा रोजगार
बनयान ब्लिस होमस्टे बनने के बाद यहां के ग्रामीणों को रोजगार भी मिला है जैसे सलानियों के लिए खाने बनाने और उनका ध्यान रखने के लिए महिलाएं हैं। वह कहते हैं कि, प्लम्बर, इलेक्ट्रिशियन, ड्राइविंग और खाना पकाने के लिए लोगों के लिए इनसब कामों के लिए ग्रामीणों को प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि वे काम के साथ कुछ पैसे भी कमा सके।
कर रहें हैं और भी होमस्टे का निर्माण
विनोद 5 एकड़ में इस प्रकार के और भी होमस्टे का निर्माण कर रहे हैं जो तकरीबन 4 सालों में बनकर पूरा हो जाएगा। उसमें महिलाओं को आगे बढ़ने और सशक्त बनाने के लिए उन्हें कढ़ाई, बुनाई और योग की शिक्षा दी जाएगी। साथ ही डेयरी का काम भी किया जाएगा। वह कहते हैं कि गांव में रहकर भी अच्छी जीवन जी जा सकती है।