आज भारत के सभी राज्य तेजी से बढ़ते प्रदूषण से प्रभावित है। इसमे ज्यादातर प्रदूषण महानगरों में देखने को मिलती है। “सपनो का शहर” कहे जाने वाला मुम्बई (Mumbai) भी इससे अछूती नही है। जिसके कारण अब ज्यादातर मुंबईवासी स्वच्छ तथा पर्यावरण के अनुकूल जगहों की ओर पलायन कर रहे है। आज हम ऐसे ही मुम्बई के एक परिवार के दो भाई मिशाल परदीवाला (Mishal pardiwala) और मिखाइल परदीवाला (Mikhail pardiwala) की बात करेंगे, जिन्होंने शहर से 90 किलोंमीटर दूर पर्यावरण से अनुकूलित एक अवकाश घर बनाया है, जिसमे उन्होंने शिपिंग कंटेनरों का उपयोग किया है। दोनों भाइयों का मानना है कि, लोग अपनी छुटियाँ पर्यावरण अनुकूलित जगहों पर ही बिताये इसलिए उन्होंने एक पर्यावरण अनुकूलित अवकाश घर का निर्माण करवाया।
क्यों कर रहे है लोग पलायन?
मुम्बई एक ऐसा शहर है, जहां रोजाना हर दिन टन कचरा निकलता है। यहां बढ़ती जनसंख्या, कभी न रुकने वाला यातायात, पानी की कमी तथा असहनीय गर्मी लोगों को यहां से पलायन करने पर मजबूर कर रही है। इसी बढ़ती प्रदूषण तथा कई प्रकार से समस्यायों से घिरे मुम्बई के एक परिवार के सबसे कम उम्र के सदस्य मिशाल और मिखाइल परदीवाला नामक दो भाइयों ने शहर से 90 किलों मीटर दूर एक तटीय शहर अलीबाग (Alibaug) में अपने एक एकड़ के एक भूखंड में पर्यावरण अनुकूलित एक अवकाश घर बनाने का निर्णय लिया तथा इस घर को बनाने के लिए उन्होंने शिपिंग कंटेनरों (जो पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है) का उपयोग किया। हालांकि इनका परिवार शहर के पॉश कफ परेड क्षेत्र में रह रहा था, लेकिन उन्हें एक ऐसी जीवन शैली की सख्त ज़रूरत थी जिसमें स्वच्छ हवा, पानी और जैविक भोजन शामिल हो।
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कैसे आया पर्यावरण अनुकूलित घर बनाने का जुनून
मिशाल का कहना है कि, “मैंने वर्ष 2016 में अपनी नौकरी छोड़ ‘treewear’ नामक एक कंपनी लंच किया, जो पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद बनाती है। जब मैंने इस कंपनी को लंच किया तभी मेरे दिमाग मे अलीबाग में पर्यावरण अनुकूलित एक घर बनाने का भी ख्याल आया था हालांकि मैने वर्ष 2018 में इस पर काम करना शुरू किया।”
शिपिंग कंटेनर चुनने का कैसे आया ख्याल?
मिशाल ने एक न्यूज चैनल से बातचीत करने के दौरान बताया कि, “मुझे अलीबाग (Alibaug) में पुरी तरह से एक पर्यावरण अनुकूलित घर बनाना था इसलिए मैंने शिपिंग कंटेनर को ऐसा घर बनाने के लिए परफेक्ट माना हालांकि मेरे भाइयों के पास और भी कई विकल्प थे।” उन्होंने आगे कहा, “मैने शिपिंग कंटेनर को पर्यावरण अनुकूलित घर के लिए इसलिए परफेक्ट माना क्योंकि अन्य किसी पर्यावरण अनुकूल सामग्री की तुलना में, शिपिंग कंटेनर अधिक टिकाऊ और सख्त होते है। हर बार जब एक कंटेनर को रिसाइकिल किया जाता है, तो हजारों किलो मूल्य का स्टील फिर से तैयार हो जाता है। सबसे खास बात तो यह है कि जब कंटेनर का उपयोग करते है तो ईंट या सीमेंट जैसी किसी अन्य निर्माण सामग्री की आवश्यकता नहीं होती है, जिससे समग्र कार्बन पदचिह्न कम हो जाता है। ” आगे मिशाल कहते है कि, उसके बाद, कई दौरे हमने पनवेल यार्ड में किए, जहां से छह शिपिंग कंटेनर हमने इस्तेमाल किए गए खरीदे, जिनमें से प्रत्येक की लंबाई 40 फीट और चौड़ाई 8 फीट की थी। उन्हें हाइड्रो क्रेन का उपयोग करके पनवेल से अलीबाग के अंदरूनी हिस्सों में ले जाया गया।”
घर को जाना जाता है “ऑरेंज बॉक्स” के नाम से
मिशाल का कहना है कि, अलीबाग शहर में बहुत सारे आम की बगिया है तथा वहां की मिट्टी लाल है। इसलिए घर को “ऑरेंज बॉक्स” के नाम से जाना जाता है। उन्होंने आगे बताया कि, इस घर मे तीन बैडरूम है तथा एक 1500 वर्ग फुट की ऊंची छत और एक बीच मे आंगन है। मनोरंजन क्षेत्र होने के अलावे एक खुला प्रांगण है जो वर्षा जल संरक्षण के लिए एक उपकरण के रूप में काम करता है। उन्होंने आगे कहा कि, हमारा घर सूखी जमीन पर है इसलिए हम बारिश के पानी को आंगन में स्थित तालाब में जमा करेंगे और तालाब के कुछ पानी को भूजल स्तर को रिचार्ज करने के लिए पास के बोरवेल में भेजा जाएगा।
अवकाश घर बनाने का है विचार
मिशाल कहते हैं कि, वो अपने स्थायी घर में कुछ महीने बिताएंगे और देखेंगे कि विभिन्न जलवायु परिस्थितियां घर के बाहरी और आंतरिक भाग को कैसे प्रभावित कर रही हैं। उनका विचार यह है कि इसे एक ऐसा स्थान बनाया जाए जहां लोग छुट्टी ले सकें तथा आगे का यह प्लान है कि इस घर मे लोगों के लिए योग, अपसाइक्लिंग वेस्ट, प्लांटेशन आदि जैसी साप्ताहिक कार्यशालाओं की मेजबानी करने की भी योजना बनाई है।
उनका कहना है कि, “उनका विचार एक पलायन स्थापित करना है, साथ ही लोगों को प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने के तरीकों के बारे में जागरूक करना है।”