कोरोना महामारी से अगर कोई क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ है तो वह शिक्षा का क्षेत्र है। कोरोना महामारी के शुरुआत से ही सभी स्कूलों और कॉलेजों की पढ़ाई ठप हो चुकी है , जिसके कारण ना ही बच्चे स्कूल जा पर रहे हैं और ना ही किसी कोचिंग संस्थान की मदद से पढ़ाई कर पा रहे हैं ।
हालांकि इस महामारी के बीच ऐसे बहुत सारे संस्थान हैं जिन्होंने ऑनलाइन पढ़ाई कराना शुरू किया लेकिन शिक्षा का यह तरीका भी देश के कई भागों में पूर्ण रूप से कारगर नहीं है। कहीं बच्चों के पास मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं है तो कहीं मोबाइल ही नहीं है ।
कोविड-19 के बाद अगर किसी राज्य में शिक्षा व्यवस्था को लेकर सबसे बड़ी समस्या किसी राज्य में खड़ी हुई है तो वह है जम्मू और कश्मीर। वहां इंटरनेट के काम नही करने के कारण छात्रों को अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है छात्र अलग अलग तरकीबों का उपयोग कर अपनी पढ़ाई को किसी भी तरह से जारी रखने का प्रयास कर रहे हैं , लेकिन इससे कुछ विशेष फायदा नज़र नही आ रहा है।
इन सब के बीच जम्मू कश्मीर से एक सकारात्मक कहानी सुनने में आ रही है जहां गणित के शिक्षक ‘मुनीर’ कोविड-19 का ख्याल रखते हुए अपने स्टूडेंट्स को खुली हवा में पढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं । इनके क्लास में 15-20 बच्चे पढ़ने आते हैं जो सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए अपनी पढ़ाई करते हैं।
मुनीर के अनुसार जम्मू में वह अपनी कोचिंग चलाते थे जिसमें 11 और 12 के छात्रों को पढ़ाया जाता था , लेकिन कोरोनावायरस के कारण हुए लॉकडाउन में इन्हें अपनी संस्थान बंद करनी पड़ी । बच्चों को पढ़ाने के लिए इन्होंने ऑनलाइन पढाने की कोशिश की, लेकिन इंटरनेट की बदहाली के कारण अगर यह किसी हाल में डाक्यूमेंट्स भेज भी देते थे तो स्टूडेंट उसे देख नहीं पा रहे थे इस परिस्थिति से मुनीर चिंतित हो गए।
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लेकिन मुनीर ने क्लास चलाने का एक अनोखा तरीका ढूंढ लिया, अब वह बच्चों को खुले आसमान के नीचे पढ़ाते हैं जिसमें भीड़ की कोई संभावना नहीं होती है। बहुत ही कम बच्चों को एक साथ क्लास में बुलाया जाता है और पढ़ाने की कोशिश की जाती है। मुनीर के अनुसार काफी दिनों से बच्चों के पढ़ाई में बाधा आ रही थी , लेकिन अब सुधार होना हो रहा है।
देश के अलग-अलग हिस्सों में शिक्षा को सुचारू रूप से चलाने के लिए लोग नई-नई तरकीबों को अपना रहे हैं जिसमें मुनीर के द्वारा किया जा रहा प्रयास सराहनीय है । मुनीर के प्रयास को Logically नमन करता है और समाज के सभी शिक्षित लोगों से अपील करता है कि अपने आसपास रह रहे बच्चों को पढाने की पुरज़ोर कोशिश करें।