खेती-बाड़ी से लगातार हो रहे मुनाफे की वजह से नौकरीपेशा करने वाले लोग भी खेती की तरफ काफी आकर्षित हो रहे हैं। सभी अपने-अपने तरीके से अलग-अलग प्रकार की खेती कर रहे हैं। कई प्रोफेशनल्स भी स्मार्ट किसान बनने की राह पर अग्रसर हैं। स्मार्ट किसान बनने के लिए कई लोगों ने एमएनसी की अच्छी-खासी नौकरी को छोड़ कर खेती कार्य से जुड़ रहे हैं तथा वे काफी मुनाफा भी कमा रहे हैं।
ऐसे में सभी भिन्न-भिन्न प्रकार के सब्जियों, अनाजों तथा फलों का उत्पादन कर रहे हैं। जिससे मोटी कमाई भी हो रही है। ऐसे में मशरूम की खेती काफी ट्रेंड कर रहा है। ज्यादातर लोग मशरूम की खेती से जुड़ रहे हैं और 3 गुना 4 गुना मुनाफा भी कमा रहे हैं। इस कहनी के माध्यम से आप सभी को मशरुम की खेती करने के बारे में जानकारी हासिल होगी। आईए जानते हैं पौष्टिकता और स्वाद से भरपूर मशरुम की खेती करने के बारे में।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मशरूम तीन प्रकार के होते हैं। 1.बटन मशरूम, 2. ढींगरी मशरूम या ओयस्टर मशरूम तथा 3. मिल्की मशरूम। मशरूम की खेती वर्ष में तीन बार किया जा सकता है। यह मशरूम के प्रकार पर निर्भर करती है। धींगरी मशरूम की खेती सितंबर माह से मध्य नवंबर तक होती है। बटन मशरूम की खेती फरवरी और मार्च के महीने में होती है। इसके अलावा मिल्की मशरूम की खेती जुन-जुलाई के महीने में किया जाता है। इस प्रकार मशरूम की खेती को वर्ष भर किया जा सकता है तथा कमाई भी अच्छी हो सकती है।
बटन मशरूम।
मशरुम के इस प्रकार की खेती कम तापमान वाले क्षेत्रों में किया जाता है। लेकिन कई जगहों पर लोग AC लगाकर तापमान को मैनेज कर लेते हैं। इसके अलावा बटन मशरुम की खेती करने के लिए ग्रीन हाऊस तकनीक का भी प्रयोग किया जाता है। मशरुम की खेती करने के लिए बीज की क्वालिटी की विशेष भूमिका होती है। एक महीने पुराना बीज का भी इस्तेमाल किया जाता है।
बटन मशरुम की खेती के लिए विशेषत: नमी का बेहद ध्यान रखा जाता है। इसकी खेती के लिए तापमान को 22 डिग्री से 26 डिग्री सेल्सियस के बीच में रखने की कोशिश करनी चाहिए। बटन मशरूम की खेती में रोगों से बचाने पर विशेष ध्यान दिया जाता है। कंपोस्ट जितना बेहतर होगा खेती भी उतनी ही अच्छी होगी।
ढींगरी मशरुम अथवा ओयस्टर मशरुम।
ढींगरी मशरूम की खेती के लिए बीज अथवा स्पाइन ज्यादतर 7 दिन पुराना होना चाहिए। उसके बाद भूसा, पॉलीबैग, कार्बेडाजिम, फॉर्मलीन तथा बीज के लेकर आगे का कार्य किया जाता है। 10 किलो भुस्से में 1 किलो बीज की आवश्यकता होती है। ओयस्टर मशरूम की खेती महीने दिन में तैयार हो जाती है। यह बैग में चारों तरफ से निकलने लगते हैं। धींगरी मशरूम अथवा ओयस्टर मशरूम की विशेषता होती है कि किसान इसे सुखाकर भी इसकी बिक्री कर सकते है। इसका स्वाद बहुत अलग होता है।
मिल्की अथवा दूधिया मशरूम।
दूध की तरह सफेद होने की वजह से मशरूम के इस प्रकार को दूधिया मशरूम अथवा मिल्की मशरूम कहा जाता है। इसे सुखाने के बाद भी इसका रंग उजला हीं होता है। मशरूम के इस प्रकार को अप्रैल से सितंबर माह में उपजाया जाता है। इसका उत्पादन गर्मियों के मौसम में भी अच्छा होता है। मिल्की मशरूम को 30 डिग्री से अधिक के तापमान पर भी आसानी से उगाया जा सकता है। इसकी उत्पादन क्षमता 60 से 70 फीसदी तक होती है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मशरूम की खेती करने के लिए सभी राज्यों के कृषि अनुसंधान केंद्र की तरफ से प्रशिक्षण प्रोग्राम चलाया जाता है। यह ट्रेनिंग प्रोग्राम 1 हफ्ते से लेकर 1 महीने तक होता है। ट्रेनिंग में हिंसा के लिए रजिस्ट्रेशन होता है। उसके बाद हीं इस ट्रेनिंग में कोई भी हिस्सा ले सकता है। हालांकि कई विश्वविद्यालय और कॉलेज मशरूम की खेती के लिए वर्कशॉप करा रही है।
मशरूम की खेती को किसी बड़े जगह की जरूरत नहीं होती है इसे छोटे जगह में भी उगाया जा सकता है कई लोग मशरूम को अपने कमरे में उगा रहे हैं, तो कई लोग खेतों में, तो वहीं कई लोग रैक बनाकर भी मशरूम की खेती कर रहे हैं। मशरूम की खेती के लिए सामान्य ट्रेनिंग की आवश्यकता होती है। उसके बाद कोई भी इसे छोटी जगह में भी लगा सकता है।
The Logically अपने पाठकों से उम्मीद करता है कि इस कहानी के माध्यम से सभी को मशरूम उगाने में सहायता प्रदान होगी।