Sunday, December 10, 2023

गाजियाबाद वायरल वीडियो केस में आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी, युवक का आसिफ को पीटना कहां तक जायज?

इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रही है जिसमें युवक 14 साल के बच्चे को बड़ी बेरहमी से पीट रहा है। स्क्रॉल करते हुए या फॉर्वर्डेड मैसेज में आपकी नजर भी इस पर जरूर गई होगी। इसके अलावा मेनस्ट्रीम मीडिया ने भी इसे काफी तरजीह दी। मामला धार्मिक समुदाय हिन्दू – मुस्लिम के बीच का है। अलग – अलग टीवी चैनल्स पर खूब डिबेट भी हुई।

इस पूरे प्रकरण (Gaziabad viral video) को मीडिया दो तरह के एंगल से दिखा रहा है। अब ये आप पर निर्भर करता है कि इसे किस चश्मे से देखें। इस बारे में गहराई से जानने के पहले समझ लीजिए कि पूरा मामला क्या है?

 reaction on Gaziabad case

पूरे मामले पर एक नगर

बीते शुक्रवार को गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर में श्रृंगी नंदन यादव (Shringi Nandan Yadav) नाम के युवक ने कथित तौर पर मंदिर में पानी पीने आए मुस्लिम लड़के आसिफ की पिटाई कर दी। लड़के की उम्र करीब 14 साल बताई जा रही है। इतना ही नहीं नंदन यादव ने पिटाई करते दौरान अपने साथी से इस करतूत की वीडियो भी बनवाई। जिसे उसने बेधड़क इंस्टाग्राम पर भी पोस्ट कर दिया।

नंदन यादव गोपालपुर थाना संवारा भागलपुर बिहार के रहने वाला है जो 6 महीने पहले ही गाजियाबाद में शिफ्ट हुआ था। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह हिंदू एकता संघ नामक संगठन का सदस्य है।

मारपीट और वीडियो बनाने वाले पर लगी ये धाराएं

वीडियो वायरल होने के बाद स्थानीय पुलिस हरकत में आ गई। बिना समय गवाए आरोपी नंदन यादव को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने जानकारी दी कि इस मामले में सह-अभियुक्त शिवानंद ने लड़के की बर्बर पिटाई का वीडियो रिकॉर्ड किया था। दोनों आरोपियों के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा-504 (शांति भंग करने के इरादे से जान-बूझकर किया गया अपमान), 505 (सार्वजनिक उपद्रव के लिए दिया गया बयान) और 352 (हमला करना) के तहत केस दर्ज (Gaziabad police filed case against Nandan Yadav and Shivanand) किया गया है।

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अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी खूब टिप्पणी की

भारतीय मीडिया की कवरेज के साथ इस खबर को अंतरराष्ट्रीय अखबारों (International media reaction on Gaziabad case) ने भी खूब जगह दी। खासतौर पर मुस्लिम बहुल्य देश बांग्लादेश, पाकिस्तान,तुर्की के अलावा ब्रिटेन ने भी टिप्पणी की। कुल मिलाकर मामले ने इतना तूल पकड़ लिया कि अब ये मजहबी एजेंडा बन गया है। जिसमें मीडिया भी दो गुटों में बंटा हुआ है।

“यहां मुसलमानों का प्रवेश वर्जित है” – क्या है इसका माजरा?

हाल ही में यह बात खुलकर सामने आई है कि मंदिर में मुस्लिम समुदाय के शोहदे आए दिन लड़कियां छेड़ने मंदिर के चक्कर लगाते है। तीन बार परिसर में डाका भी पड़ चुका है। साथ ही कुछ बदमाश मंदिर में मौजूद शिवलिंग से छेड़छाड़ भी करते पाए जा चुके है। इसलिए मंदिर के बाहर बोर्ड पर “यह मंदिर हिंदुओं का पवित्र स्थल है। यहां मुसलमानों का प्रवेश वर्जित है। आदेशानुसार यति नरसिंहानंद सरस्वती।” लिखवा दिया गया है। यह सब मंदिर के पुजारी ने एक स्थानीय मीडिया चैनल को बताया।

 reaction on Gaziabad case

मंदिर के श्रद्धालु ने कही ये बात

आज तक की रिपोर्ट अनुसार मंदिर में मौजूद एक श्रद्धालु ने मीडिया को बताया कि अगर बात पानी की होती तो पानी पीने के लिए मंदिर के ठीक बाहर सरकारी नल लगा है, वहां पी लेता।

आसिफ पर रेकी का आरोप

जबकि वहीं मौजूद एक सेवादार सरोज शात्री ने कहा कि वो लड़का हो सकता है कि रेकी के इरादे से आया हो और वो कबाड़ का काम करता है। रात में कबाड़ चोरी करता। ये बाहर जो बोर्ड लगा है वो अब से कम से कम 5 साल पहले लगा था, जब चोरी और छेड़छाड़ की घटना हुई थी। सेवादार का यह भी कहना था कि बोर्ड लगे होने के बावजूद भी लोग आते हैं और उन्हें कोई नहीं रोकता।

अक्सर मंदिर में पानी पीने जाता रहा है आसिफ

आसिफ का घर मंदिर से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर है। मीडिया जब उससे बात करने घर पहुंची तो उसने बताया कि वह अक्सर मंदिर में पानी पीने जाता था, लेकिन पहले कभी किसी ने मना नहीं किया था।
आसिफ के पिता हबीब दैनिक मजदूर हैं जो डासना इलाके में किराए के एक कमरे में रहते हैं।

एक सवाल यह भी

आसिफ निर्दोष है या वो किसी गलत मंसूबे से मंदिर में घुसा था ये बात अभी स्पष्ट नहीं है। ऐसे में एक बार के लिए मान भी लेते है कि वह नाबालिग गलत भी हो तो मंदिर प्रशासन या किसी युवक को उस पर कार्रवाई या मारपीट करने का अधिकार किसने दिया?