आज बढ़ता प्रदूषण 21वी सदी की बड़ी समस्याओं में से एक है। प्रदूषण को रोकने और कम करने के उपाय आज पूरा विश्व कर रहा हैं। इसमें से एक है प्राकृतिक ऊर्जा का ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल करना। सौर ऊर्जा अक्षय ऊर्जा प्रदूषण कम करने के उपायों में से एक के रूप में लोग देख रहे हैं। आज हम बात करेंगे नागपुर के रहने वाले दिलीप चित्रे की जिन्होंने अपनी एक सेकंड हैंड वैन को बिना किसी की मदद के सोलर वैन में तब्दील कर दिया। 66 वर्षीय दिलीप चित्रे(Dilip Chitre) नागपुर के रहने वाले हैं। यह नागपुर में ही एक ड्राइविंग स्कूल चलाते हैं। इन्हें बचपन से ही खिलौनों को खोल कर देखने की उत्सुकता थी और यही उत्सुकता आज भी बरकरार है। जिसके कारण वह तरह तरह के एक्सपेरिमेंट करके नए-नए इनोवेशन बनाने की कोशिश करते रहते हैं।
सेकंड हैंड वैन को सोलर वैन में तब्दील किया
दिलीप चित्र ने अपने सेकंड हैंड वेन को बिना किसी की मदद के सोलर वैन में तब्दील किया है। अपने इस वैन में अभी वह लिथियम बैटरी का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने अपने इस वैन से अब तक 4500 किलोमीटर की यात्रा की है। दिलीप चित्रे ने अपनी इस सेकंड हैंड वैन के इंजन को 48 वोल्ट बैटरी, डीसी मोटर, गियर बॉक्स, चार्ज कंट्रोलर और इलेक्ट्रॉनिक एक्सिलरेटर में बदल दिया। उन्होंने अपने इस सोलर वन में स्पीड रेगुलेटर भी लगाया और वैन को चार्ज करने के लिए छत पर 400 वाट का सोलर पैनल इंस्टॉल किया। इस कार की बैटरी को 8 महीने में दो बार चार्ज करना पड़ता है। इसके रखरखाव में खास खर्च नहीं आता है।
25 साल का वक़्त लगा इसे बनाने में
दिलीप चित्रे को इस वन को बनाने में 25 वर्ष का लम्बा समय लगा। दिलीप को शुरू से ही मन था कि वह सोलर से चलने वाले वाहन का निर्माण करें कोशिश में लगे रहते थे असफलता हाथ लगने पर उन्होंने इसे छोड़ा भी फिर कोशिश की और इस में सफल रहे।
बाइक से पेट्रोल चोरी रोकने का सिस्टम बनाया
दिलीप चित्रे को बचपन से ही एक्सपेरिमेंट करना पसंद था। शुरुआत में उन्होंने एक ऐसा सिस्टम बनाया था जिससे बाइक से पेट्रोल की चोरी नही की जा सकती थी। इसके बाद उन्होंने सोलर एनर्जी के क्षेत्र में कुछ करने का सोचा।
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सबसे पहले एक ऑटो रिक्शा का निर्माण किया था
दिलीप चित्रे को 1995 में सौर ऊर्जा के फायदों के बारे में पता चला तब ही उन्होंने निश्चय किया कि वह सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कुछ करेंगे। उसके बाद सबसे पहला विचार उन्हें सोलर एनर्जी से चलने वाले वाहन बनाने का आया। 2003 में उन्होंने एक ऑटो रिक्शा का निर्माण किया। इस ऑटो रिक्शा के इंजन को उन्होंने इलेक्ट्रिक बैटरी में तब्दील किया। इस ऑटो रिक्शा को उन्होंने नागपुर के रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस में टेस्ट करने के लिए भी भेजा था। यह ऑटो रिक्शा उस टेस्ट में पास भी हो गया पर प्रशासन की अनदेखी और सुस्ती के कारण इस ऑटो रिक्शा को सफलता नहीं मिली। तब दिलीप ने इस ऑटो रिक्शा का प्रेजेंटेशन बनाकर देहरादून के पैट्रोलियम कंजर्वेशन रिसर्च एसोसिएशन भेजा पर वहां से भी कोई जवाब नहीं आया। इससे दिलीप ने निराश होकर इस क्षेत्र में काम करना बंद कर दिया।
सोलर कार बनाने के लिए महिंद्रा की गाड़ी खरीदी
दिलीप ने प्रशासन की अनदेखी से निराश होकर इस काम को बंद कर दिया। इसके बाद उन्होंने अपने एक दोस्त के कार शोरूम में 140 सोलर लाइट्स लगाएं। उसके बाद फिर कुछ और काम किए इन सब के बाद 2017 में दिलीप को लगा कि उन्हें एक बार फिर से कोशिश करनी चाहिए और वह फिर से सोलर कार बनाने में जुट गए।
इस काम के लिए दिलीप में महिंद्रा की e2o इलेक्ट्रिक कार खरीदी और अपना काम शुरू किया लेकिन इस बार भी दिलीप को निराशा ही हाथ लगी और उनका यह काम असफल हुआ। दिलीप ने इस बार हार नहीं मानी और वह अपने प्रयास में फिर से जुट गए और इस बार उन्होंने अपनी सेकंड हैंड वेन को सोलर वैन में तब्दील करने की ठानी। अनगिनत कोशिशों के बाद इस बार सोलर ऊर्जा से चलने वाली गाड़ी बनाने में सफल हुए। इस काम में दिलीप को लगभग 5 लाख रुपए का खर्च आया।
अपने आने-जाने में दिलीप इसी गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं
दिलीप बताते हैं कि वह अपने आने जाने में अपनी इसी सोलर वैन का इस्तेमाल करते हैं। वह अपने घर से स्कूल और स्कूल से घर इसी वैन से आते जाते हैं। इस वन से वह रोज़ 25km का सफर तय करते हैं। दिलीप कहते हैं कि सभी लोग अपनी गाड़ी को छांव में पार्क करते हैं, जबकि वह अपनी कार को हमेशा धूप में पार्क करते हैं जिससे कि वह चार्ज हो सके।
दिलीप चित्र(Dilip Chitre)को अपनी इस काम में कभी लोगों का समर्थन प्राप्त नहीं हुआ प्रशासन और जनता सभी ने उनके कामों को अनदेखा किया पर अब उम्मीद है कि लोगों का ध्यान उनके इस काम की तरफ जाएगा और प्रदूषण कम करने में उनका यह अविष्कार काम आएगा। अगर आप दिलीप चित्रे से सम्पर्क करना चाहते है तो 9371161415 पर फ़ोन पर बात कर सकते हैं।