Sunday, December 10, 2023

महज़ 300 गज़ की ज़मीन में शुरू किए मोती की खेती और महीने में कमा रहे हैं लाखों रुपये: Pearl farming

भारत एक कृषि प्रधान देश है ! यहां अधिकत्तर लोगों की निर्भरता कृषि पर है ! आज किसान जब परंपरागत फसलों की खेती कर कृषि में कोई खास सफलता नहीं अर्जित कर पाते और फलस्वरूप उन्हें लगता है कि खेती करके कुछ नहीं मिलता , कुछ प्राप्त नहीं होता ऐसे में राजस्थान के नरेन्द्र कुमार गरवा ने उनके लिए खेती से हीं एक प्रेरणा का सृजन किया है ! दरअसल वे धान , गेहूँ , मक्का आदि परंपरागत फसलों को ना उपजाकर मोती की खेती करते हैं और आज अपने परिश्रम से सफलता का इबारत लिख रहे हैं ! आईए जानते हैं कि नरेन्द्र ने किस तरह मोती की कृषि से सफलता पाई और लोगों के लिए प्रेरक बने…

नरेंद्र ने यह सिद्ध किया कि कृषि का क्षेत्र बहुत व्यापक है और परंपरागत फसलों से अलग हटकर ऐसे भी उत्पाद हैं जिन्हें उत्पादित कर लोग सफलता और कमाई अर्जित कर सकते हैं !

नरेन्द्र कुमार गरवा राजस्थान के रेनवाल के रहने वाले हैं ! साधारण से परिवार से आने वाले नरेंद्र एक समय किताब बेचने का काम करते थे ! उन दिनों बहुत परिश्रम करने के पश्चात भी उन्हें उस कार्य में कोई खास सफलता नहीं मिल पा रही थी ! ऐसे में वे किताब बेचने का काम छोड़कर कुछ अलग करने का विचार बनाया !

गूगल से ढूँढा मोती की खेती का विकल्प

नरेन्द्र को जब अपने किताब बेचने के कार्य से कोई खास आमदनी नहीं हो रही थी ऐसे में उन्होंने कुछ अलग करने के विचार से गूगल का सहारा लिया और नए-नए तरीके खोजने लगे ! एक बार उनकी नजर मोती की खेती पर गई ! इच्छुक होकर मोती की खेती पर उन्होंने खोजबीन करना शुरू किया जिसके फलस्वरूप उन्हें पता चला कि राजस्थान में बहुत हीं कम लोग हैं जो मोती की खेती कर रहे हैं ! मोती की खेती में नरेन्द्र को एक बेहतर भविष्य दिखा और वे इसी कार्य को करने के लिए अग्रसर हो गए !

Photo Source:- Indiatimes

परिवार व अन्य लोगों के तानों को सहकर अपने कार्य को रखा जारी

जब नरेंद्र ने मोती की खेती करने का निश्चय करके अपना काम शुरू किया , अपने घर के छत पर बागवानी का काम शुरू किया तो लोग उन पर हँसने लगे , ताने देने लगे ! लोग बोलने लगे कि तेरा दिमाग खराब हो गया है ! इससे कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है ! परिवार के लोग भी उन्हें उत्साहित करने के बजाय हतोत्साहित करने में लग गए ! परिवार के कई लोगों ने उन्हें पागल कहना शुरू कर दिया ! इन सबके बावजूद नरेन्द्र के कदम नहीं रूके और दृढ इरादे के साथ उन्होंने अपने प्रयास को निरन्तर जारी रखा !

CIFA जाकर लिया खेती हेतु प्रशिक्षण

जिस समय उन्होंने मोती की खेती करने की ठानी उनके पास उसका कोई ज्ञान नहीं था , इंटरनेट पर भी कुछ ज्यादा नहीं ज्ञान नहीं मिल पाया ! उसी समय उनके जानकारी मिली कि उङीसा में “सेन्ट्रल इंस्टीटयूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर” एक संस्थान है जो सीप की खेती का प्रशिक्षण देता है ! अपनी खेती को सफल बनाने हेतु उन्हें प्रशिक्षण की आवश्यकता थी इसलिए वे CIFA इस्टीच्यूट पहुँच गए और बारीकी से मोती की खेती हेतु प्रशिक्षण लेने लगे ! कुछ दिनों बाद प्रशिक्षण लेकर वे लौटे और खेती का काम शुरू कर दिया !

Photo Source:- Indiatimes

नरेंद्र इस तरह करते हैं सीप की खेती

वे 300 गज के अपने क्षेत्र में कई छोटे-छोटे तालाब बनाए हुए हैं ! इस तालाब में वे केरल , मुंबई , गुजरात सहित कई जगहों के मछुआरों से सीप का बीज खरीदते हैं और उन्हें अपने तालाब में रखते हैं ! अच्छी खेती और पैदावार ज्यादा होने के लिए वे ज्यादा मात्रा में सीप को एक साथ रखते हैं ! वैसे तो हर साल लगभग 20 प्रतिशत सीप खराब हो जाते हैं ! लेकिन नरेन्द्र अच्छे तकनीक के साथ कार्य करते हैं जिसके परिणामस्वरूप उन्हें गुणात्मक और अच्छी मोती प्राप्त हो जाती है ! अच्छे , डिजाइनर और गोल मोती मिल जाने से खराब हुए 20 प्रतिशत सीप का भरपाई हो जाता है ! वे कहते हैं कि “छोटी सी जगह में काम करके मैं 4-5 लाख रुपये सलाना कमा रहा हूँ यदि बड़े स्तर पर यह कार्य किया जाए तो और भी कमाया जा सकता है” !

नरेन्द्र के प्रयास को कई दिग्गजों ने की सराहा है

नरेन्द्र ने जिस तरह 30 हजार की छोटी सी रकम से सीप की खेती कर सफलता हासिल किया है वह वाकई प्रशंसा के हकदार हैं ! वे पूर्व कृषि मंत्री प्रभु लाल सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा सराहे गए अपने प्रयास को हमेशा याद करते हैं ! उन्होंने बताया कि उनके द्वारा प्रशंसा मिलने से मुझे आगे भी उसका फायदा मिलता रहा है , उन्हें कई बार सरकार से भी मदद मिली है ! अपने सीप की खेती से वे अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं ! कई युवा उनसे प्रशिक्षण लेते हैं ! नरेन्द्र अब तक सैंकड़ों लोगों को सीप की खेती हेतु प्रशिक्षित कर चुके हैं !

नरेन्द्र कुमार गरवा ने जिस तरह खेती को सफलता का परिचायक बनाया वह ना सिर्फ कई किसानों के लिए प्रेरणा हैं बल्कि उन नए युवाओं के लिए भी पथप्रदर्शक हैं जो कृषि में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं ! The Logically नरेन्द्र कुमार गरवा जी के प्रयासों की भूरि-भूरि प्रशंसा करता है !