Sunday, December 10, 2023

गरीबी में घर नीलामी हो चुका था और 10 रुपये के लिए काम करते थे, आज करोड़ों का साम्राज्य बना चुके हैं

रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखी कविता ‘वीर’ की एक पंक्ति है, “मानव जब जोर लगाता है पत्थर पानी बन जाता है।” मनुष्य यदि चाहे तो लाख विपत्तियों का सामना करते हुये जीवन में कामयाबी हासिल कर सकता है। सफलता कभी भी सरलता से प्राप्त नहीं होती है। उसे हासिल करने के लिये पूरे तन, मन से कठिन परिश्रम करना पड़ता है। यह बात शत प्रतिशत सही है कि परिश्रम करने वालों की कभी हार नहीं होती है।

नरेश गोयल नाम के एक शख्स ने उपर्युक्त बातों को सही साबित किया है। एक समय था जब वह 10 रुपये के लिये कार्य करते थे लेकिन अपनी मेहनत से इन्होंने आज करोड़ों का बिजनेस खड़ा कर लिया है।

आइये जानते हैं, नरेश गोयल के सफलता की कहानी

नरेश गोयल (Naresh Goyal) का जन्म 29 जुलाई 1949 को पंजाब (Punjab) के संगरुर (Sangrur) में हुआ था। नरेश के पिता ज्वेलरी के व्यापारी थे। नरेश जब 11 वर्ष के थे तब उनके पिता का देहांत हो गया। पूरा घर कर्ज में डूब गया था। सब कुछ बिक चुका था। यहां तक कि रहने के लिए घर भी नहीं बचा था। घर की नीलामी हो जाने के बाद वह अपने ननिहाल में रहने लगे।

Naresh Goyal jet airways

नरेश के परिवार की आर्थिक स्थिति इस कदर बुरी थी कि नरेश को घर से स्कूल जाने के लिए भी पैसे नहीं रहते थे। नरेश प्रतिदिन कई मील पैदल चलकर स्कूल जाते थे। उनकी माता के पास इतने पैसे नहीं थे, जिससे वह उनके लिए साइकिल खरीद सके। नरेश का मन था कि वह चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) की पढ़ाई करें परंतु आर्थिक स्थिति दयनीय होने की वजह से उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका। अंततः नरेश ने पास के ही एक कॉलेज से B.Com की पढ़ाई पूरी करके मन को तसल्ली दिया।

नरेश ने 1967 में स्नातक की पढ़ाई पूरी किया। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपने मामा जी के ट्रैवल एजेंसी में कार्य करना आरंभ किया। वहां वह लेबनीज एयरलाइंस के लिए कार्य देखते थे। वहां काम करने के कारण नरेश को प्रतिदिन ₹10 मिलते थे अर्थात् 1 महीने में ₹300 मिलते थे।

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नरेश ने लगभग 7 वर्षों तक यह कार्य किया परंतु इन 7 वर्षों ने नरेश को बिजनेस में ट्रेंड कर दिया था। उसके बाद उन्होंने कई कंपनियों में अच्छे-अच्छे पद पर कार्य किया। उन्होंने इराक एयरवेज के लिए पीआर (PR) का तथा रॉयल जॉर्डियन एयरलाइन के लिये रीजनल मैनेजर का कार्य किया। इसके अलावा उन्होंने मिडिल ईस्टर्न एयरलाइन कम्पनियों के इंडिया ऑफिस में टिकटींग, रिजर्वेशन सहित सेल्स का कार्य भी किया।

इंटरनेशनल कंपनियों के ऑपरेशन को करीब से देखने के बाद नरेश को इंडिया में लोगों को हो रही परेशानी के बारे में जानकारी हासिल हुई। इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने खुद कार्य करने के बारे में विचार किया। इसके लिए उन्हें अपना खुद का कार्य शुरु करना था।

Naresh Goyal jet airways

उसके बाद नरेश ने मां से कुछ पैसे उधार मांगे और जेट एयरवेज लिमिटेड की शुरुआत हुई। आरंभ के दिनों में कंपनी ने कुछ विदेशी एयरलाइन कम्पनियों के मार्केटिंग और सेल्स के काम का जिम्मेदारी लिया। उसके बाद फिलिपिंस एयरलाइन ने उन्हें पूरा इंडिया रीजन का मैनेजर बना दिया।

वर्ष 1991 के बाद जेट एयरवेज (Jet Airways) के लिए रास्ते खुलने आरंभ हो गए। भारत सरकार ने जब ‘ओपन स्की पॉलिसी’ को हरी झंडी दिया और नरेश गोयल ने मौके को भाप लिया। उन्होंने डोमेस्टिक ऑपरेशन के लिए 5 मई 1993 को जेट एयरवेज की शुरुआत हुईं। उसके बाद कंपनी लगातार अपने कार्य को आगे बढ़ाती रही। एक समय में कंपनी अपने शिखर पर थी, तब नरेश गोयल 20 सबसे अमीर लोगों में से एक हुआ करते थे।

यह सभी जानते हैं कि बिजनेस में उतार चढ़ाव होते रहते हैं। नरेश गोयल के साथ भी ऐसा ही हुआ। जेट एयरवेज ने $500 मिलियन मिलियन डॉलर में एयर सहारा को खरीद लिया था। उनके कंपनी का सालाना टर्नओवर $14 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई थी परंतु वर्ष 2014 में करोड़ों का नुकसान हुआ। लेकिन कहा जाता है, लड़ने वाले जीत का रास्ता ढूंढ ही लेते हैं। कंपनी ने नई-नई रणनीति अपनाकर स्वयं को फिर से सम्भाल लिया। अब ऑपरेशन सही ढंग से चल रहा है। आपको बता दें कि नरेश गोयल के दो बच्चे हैं और दोनों लंदन में रहते हैं।