हमारे देश भारत में कई पुरुष ऐसे हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और काबिलियत से उस ऊंचाई तक पहुंचे हैं और गोल्ड मेडल हासिल किए हैं। परंतु कई बार यह देखने को मिलता है कि गोल।ड मेडेलिस्ट लोग भी छोटे-मोटे काम करने को मजबूर होते हैं। आज की यह कहानी वैसे हीं एक व्यक्ति की है। यह गोपाल प्रसाद यादव की कहानी है। जिन्होंने स्विमिंग में गोल्ड मेडल प्राप्त किया लेकर हालात ये हैं कि आज वे पटना में एक चाय की स्टॉल लगाकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
हमारे देश में खिलाड़ियों की कभी कद्र की नहीं जाती है। चाहे वो क्रिकेट, फुटबॉल, स्विमिंग जैसे हर खेल के छेत्र में खिलाड़ी अपने मेहनत और बलबूते पर गोल्ड मेडल प्राप्त करते हैं। परंतु आगे चलकर उनमें से कई लोगों को वैल्यू नहीं मिल पाती। गोपाल प्रसाद यादव बिहार के रहने वाले हैं। यह पटना में साल 1988 और 1989 में एक नेशनल स्विमिंग चैंपियन रह चुके हैं और इन्हें इस स्विमिंग चैंपियन में गोल्ड मेडल मिल चुका है। गोपाल कहते हैं कि हमें इस गोल्ड मेडल मिलने से कोई सम्मान और कोई अधिकार अभी तक नहीं मिला। जिसके वो पूर्ण रूपेण से हकदार हैं। वे बताते हैं कि पिछले 20 वर्षों से पटना के सड़क के किनारे चाय बेच कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। और अपने चाय के स्टॉल पर सारे गोल्ड मेडल लटका रखे हैं।
गोपाल बताते हैं कि उनसे कई लोग मिलने आते हैं और आश्वासन भी देते हैं कि उन्हें जो अपने देश के लिए किया है उसका हक उन्हें जरुर मिलेगा परंतु यह आश्वासन सिर्फ उसी समय के लिए रहता है। उसके बाद इसके बारे में कोई चर्चा भी नहीं होती है। वह बताते हैं कि हमने अपने देश का नाम रोशन किया। परंतु हमें ना तो केंद्र से कोई मदद मिली और नहीं कोई राज्य सरकार से सुविधा मिला।
गोपाल प्रसाद बताते हैं कि हमने सरकार से काफी कोशिशें की कि हमें कोई सरकारी नौकरी मिल सके। परंतु हमारी सभी कोशिशें नाकाम रही। इसके बाद हमने अपनी जीवन यापन चलाने के लिए पटना में चाय बेचना शुरू कर दिया। यह बताते हैं कि खेल हमारे रग-रग में अभी तक जिंदा है। हम अभी भी स्विमिंग करते हैं और यहां के बच्चों को भी निशुल्क स्विमिंग सिखाते हैं। इसलिए हम सोमवार से शनिवार तक चाय का स्टॉल लगाते हैं। रविवार को बच्चों को गंगा नदी में स्विमिंग सिखाते हैं। वह कहते हैं कि हमारा यह मसूबा है कि जैसे मैंने अपने राज्य के लिए और देश के लिए मेहनत करके गोल्ड मेडल प्राप्त किया। वैसे ही यहां के बच्चे भी अपने मेहनत से देश और राज्य का नाम रोशन करें।
गोपाल प्रसाद बताते हैं कि जब हमने चाय का स्टॉल लगाया था तो उस समय बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव थे तब वे हमारे चाय की दुकान पर आए थे और वह अपने गाड़ी पर बैठा कर हमसे काफी बातचीत किए थे और हमें आश्वासन भी दिए की आपने देश और राज्य के लिए जो सम्मान प्राप्त किए हैं उसका हक आपको जरूर मिलेगा। परंतु कई दिन बीत गए अभी तक सरकार के तरफ से कोई सुविधा नहीं मिली है। गोपाल बताते हैं कि हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को भी पत्र लिखकर अपने बारे में बताया। परंतु अभी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के तरफ से कोई जवाब नहीं आया।
गोपाल प्रसाद यादव बताते हैं कि हमारी इस मेहनत से कोई सफलता प्राप्त नहीं हुई। हमने अपने देश के लिए और राज्य के लिए जो सम्मान प्राप्त किया उसका हमें कोई अधिकार नहीं मिला। हम पिछले 20 वर्षों से चाय बेचकर और लोगों के जूठे बर्तन धोकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। इससे पता चलता है कि हमारे देश में गोल्ड मेडल लिस्ट खिलाड़ियों के साथ कुछ अच्छा नहीं हो सकता है। चाहे वो कितना भी मेहनत करके अपने देश और राज्य का नाम रोशन करें और गोल्ड मेडल प्राप्त कर ले परंतु उन्हें जो सम्मान मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाता है।