जिंदगी में हमें प्रत्येक दिन कुछ ना कुछ नया सिखाती है। बस हर किसी में उसे सीखने की चाह और लगन होनी चाहिए। हर विद्यार्थी की रुचि अलग-अलग विषयों में होती है। किसी को हिंदी तो किसी को इंग्लिश, विज्ञान, संस्कृत, या भूगोल में ज़्यादा रूचि होती है। ऐसे बहुत कम विद्यार्थी होते हैं जिन्हें गणित विषय ज्यादा पसंद हो। बहुत से विद्यार्थियों को गणित विषय बहुत कठिन लगता है। इसके फार्मूला को याद रखना और प्रश्नों को हल करना विद्यार्थियों को उबा देता है। वहीं कुछ बच्चों के लिए यह काफी रोचक भी होता है। आज की इस कहानी के माध्यम से हम आपको ऐसे ही लड़के के बारे में बताएंगे। इस लड़के को उसकी काबिलियत के दम पर 20 वर्ष की उम्र में ही पूरे विश्व मे “ह्यूमन कैलकुलेटर” का नाम प्राप्त हुआ है।
नीलकंठ भानु प्रकाश
नीलकंठ भानु प्रकाश (Neelakantha Bhanu Prakash) का जन्म 13 अक्टूबर 1999 को हैदराबाद (Hyderabad) में हुआ। इन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से मैथ ऑनर्स विषय से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। इन्होंने देश के लिए पहला स्वर्ण पदक प्राप्त कर देश का नाम गौरवान्वित किया है। यह हमेशा अंको के बारे में सोचते रहते हैं और चाहते हैं कि गणित की सभी परेशानियों को पूर्णतः खत्म किया जाए ताकि विद्यार्थी इसमें दिलचस्पी दिखाएं और इस विषय से डरे नहीं। इनका मानना है कि अगर यूसेन बोल्ट 100 मीटर की दूरी कुछ ही मिनट या महज़ कुछ सेकेंड में पूरी कर सकता है तो हम गणित के प्रश्नों का हल क्यों नहीं कर सकते?हमारा शरीर तो हम जैसा चाहे वैसा कार्य करता है तो क्यों ना हम इसे अंको के लिए ही प्रेरित करें।
5 वर्ष की उम्र में हुई एक दुर्घटना
भानु महज 5 वर्ष के थे तब एक दुर्घटना में उन्हें सर पर काफी चोट लगी और वह गंभीर रूप से घायल हो गये। इस दुर्घटना में उन्हें 12 महीने तक बेड पर ही रहना पड़ा। इस दौरान इनके माता-पिता को बताया गया कि भानु असामान्य बच्चों की तरह रहेंगे। इतनी कम उम्र में ही इन्होंने खुद को मेंटल मैथ्स कैलकुलेशन के जरिए वयस्त रखना शुरू कर दिया। उसी समय इन्होंने सोचा कि मैं सिर्फ और सिर्फ गणित को ही अपना मुकाम बनाउंगा और इसी से डिग्री हासिल करुंगा।
स्कूल से लौटने के बाद मैथ के लिए करते थे प्रैक्टिस
भानु जब स्कूल से घर लौटते तब वह 6-7 घंटे मैथ्स के लिए ही प्रैक्टिस करते थे। इनका मकसद चैंपियन बनना था और इसके लिए इन्होंने जी-तोड़ मेहनत की।
वह हमेशा अंको के बारे में सोचते रहते और दिमाग को इन्हीं में रुझा के रखते थे। अगर भानु संगीत सुनते, गेम खेलते, या किसी अन्य लोगों से बात भी करते तो पलकें कितनी बार झपक रही है उसे गिनते। अगर इस दौरान कोई वाहन वहां से गुजरे तो उसके नंबर को जोड़ अपने दिमाग को कार्य के लिए हमेशा अग्रसर रखते थे।
मिले हैं बहुत सारे पुरस्कार
भानु ने देश के लिए स्वर्ण पदक सहित कुछ वर्ल्ड रिकॉर्ड 50 लिम्का रेकॉर्ड और अन्य उपलब्धियों को प्राप्त किया है। इन्होंने अपने परिवार का नाम रौशन किया है।
देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना और विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए The Logically नीलकंठ भानु प्रकाश (Neelakantha Bhanu Prakash) को बधाई देता है। साथ ही देश के युवाओं से उम्मीद रखता है कि वह भी इनसे जागरूक होकर देश का नाम गौरवान्वित करेंगे।