आजकल हर तरफ चाय के काफी चर्चे हो रहे हैं। इस्का कारण यह है कि नए-नए युवा कुछ रोजगार न मिलने पर तो कुछ नौकरी छोड़ सुकून के लिए चाय का स्टार्टअप शुरु कर रहे हैं और सभी का नाम भी बहुत ही अतरंगी अंदाज में रह रहा है। जैसे हर्बल चायवाला, नर्सिंग चायवाली, Actor चायवाला, बेवफा चायवाला, MBA चायवाला, ग्रेजुएट चायवाली की तरह ऐसे बहुत सारे चाय स्टॉल खुल चुके हैं जो चाय को एक अलग रंग और फ्लेवर में लोगों के सामने पेश कर रहे हैं।
इसी तरह आजकल NRI चायवाला (NRI Chaiwala) काफी सुर्खियां बटोर रहा है, हर तरह इसी के चर्चे हैं। इतना ही नहीं इस चायवाले के पास चाय पीने के लिए लोग मुंह मांगी कीमत देने के लिए तैयार रहते हैं। इसी क्रम में चलिए जानते हैं इस चायवाले की बारें में-
NRI चायवाला जगदीश कुमार
हम बात कर रहे हैं NRI जगदीश कुमार (NRI Jagdish Kumar) की, जो दिल्ली (Delhi) के रहनेवाले हैं। एक समय था जब जगदीश कुमार न्यूजीलैंड में हॉस्पिटैलिटि इन्डस्ट्री में कार्यरत थे जहां उन्हें अच्छी-खासी आमदनी हो रही थी। साथ ही वे अपने परिवार के साथ एक बेहतर जीवनयापन भी कर रहे थे। लेकिन 15 वर्षों तक इस फील्ड में काम करने के बाद उनका मन अपने देश वापस लौटने का किया, जिसके बाद वे हॉस्पिटैलिटि इन्डस्ट्री का काम छोड़कर साल 2018 में वापस भारत लौट आए।
NRI चायवाले से बनाई एक अलग पहचान
भारत (India) के आने के बाद उन्होंने नौकरी करने के बजाय खुद का व्यापार शुरु करना चाहते थे। काफी सोच-विचार करने के बाद उन्होंने चाय का स्टार्टअप (Tea Startup) शुरु करने का फैसला किया। उन्होंने महज 2 सालों में ही अपने चाय को इस मुकाम पर पहुँचा दिया कि सालाना 1.8 करोड़ की आमदनी होने लगी। बेहतर मुनाफा कमाने के साथ ही पूरे देश में उन्होंने “NRI चायवाला” (NRI Chaiwala) से अपनी एक अलग पहचान बना ली।
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बेची जाती है 45 अलग-अलग किस्मों की चाय
इतना पढ़ने के बाद आपको लग रहा होगा कि जैसे बाकी चायवाले हैं उसी तरह ये भी है। यदि आप ऐसा समझ रहे हैं तो आप गलत समझ रहे हैं क्योंकि यह कोई आम चायवाले नहीं है। जी हां, अन्य टी स्टॉल पर कुछ ही प्रकार के चाय की बिक्री होती है लेकिन NRI चायवाले के यहां चाय की 45 अलग-अलग किस्में मौजूद हैं जिनमें विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियों (Herbs) का भी इस्तेमाल किया जाता है।
आसान नहीं था चाय का व्यापार शुरु करना
NRI जगदीश के अनुसार, चाय के व्यापार को शुरु करना आसान नहीं था। उन्होंने बताया कि, चाय बेचने के लिए वे कई शहरों के कई कंपनियों के चक्कर काटे लेकिन कहीं भी जगह नहीं मिली। हर तरफ से निराशा हाथ लगने के कई बार लोग टूट जाते हैं लेकिन जगदीश कुमार ने अप्ना हौसला कम नहीं होने दिया। उन्होंने कोर्पोरेट्स ऑफिस के सामने ही चाय बेचना शुरु किया। अब उन्हें जरुरत थी अपने व्यापार को नाम देने की ताकि लोगों को उनके बारें में जानकारी मिल सके। ऐसे में उन्होंने NRI चायवाला का बैनर लगा लिया।
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90 रुपये तक की चाय मिलती है NRI चायवाले के पास
किसी भी व्यापार को शुरु करने से पहले उसके मार्केट के बारें में जानकारी जुटाना आवश्यक होता है, ताकि व्यापार में नुकसान होने की सम्भावना कम हो। जगदीश भी भारत में चाय के मार्केट को अच्छी तरह समझ चुके थे। वे इस बात से भली-भांति परिचित थे कि मार्केट में चाय के व्यापार (Tea Business) को स्थापित करना काफी कठिन काम है इसलिए उन्होंने चाय की कीमत 10 रुपये रखी। लेकिन वर्तमान में उनके यहां 90 रुपये तक की चाय भी मिलती है।
अन्य कई आउटलेट्स खोलना चाहते हैं NRI चायवाला जगदीश
आपको जानकर हैरानी होगी कि, जगदीश (NRI Chaiwala Jagdish Kumar) की कमाई का माध्यम कई मल्टीनेशनल कम्पनिया हैं। ग्राहकों को चाय की बेहतर क्वालिटी और अलग-अलग फ्लेवर में चाय परोसने के लिए वे असम से भिन्न-भिन्न प्रकार के चाय की पत्तियां मंगवाते हैं। उसके बाद अपने हिसाब से उन्हें मिक्स करते हैं और तब चाय बनाते हैं। अब उनका सपना है कि वे देश के अलग-अलग हिस्सों में अन्य आउटलेट्स खोलना चाहते हैं।
चाय का व्यापार शुरु करने की प्रेरणा उन्हें देश की प्रधानमंत्री द्वारा शुरु किया गया स्टार्टअप क्लचर से मिली। अन्त में वह कहते हैं कि बेकार बैठने से बेहतर है सरकारी स्कीम का लाभ उठाया जाए और आत्मनिर्भर बना जाए। जगदीश का कथन एकदम सत्य है। बेरोजगार होने से बेहतर है कुछ करके आत्मनिर्भर बनना और कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। इन्सान को जिस काम में संतुष्टी मिले उस काम को करने से पीछे नहीं हटना चाहिए।