Sunday, December 10, 2023

कॉलेज में चौकीदार और माली की नौकरी करने वाले ‘ईश्वर सिंह’ आज उसी कॉलेज में प्रिंसिपल बन गए: खुद से लिखी अपनी किस्मत

कहते है कि किस्मत का खेल कोई नही जानता, ये राजा को भी रंक और रंक को राजा बना देती है। लेकिन ऐसा भी नही है कि किस्मत बदलने के लिए प्रयास तक नही करें। अगर आप आपके अंदर कुछ बड़ा करने का जुनून है तो कोई भी तूफान आपके रास्ते का बाधा नही बन सकती। इस बात को साबित किया है, छत्तीसगढ़ (Chhatisgadh) के भिलाई (Bhilai) के रहने वाले ईश्वर सिंह बादगाह (Ishavar Singh Baadgaah) ने। इन्होंने किस्मत बदलने का इंतजार नही किया बल्कि इसके लिए अपने जीवन मे लाखों मुसीबतों का सामना किया लेकिन अपने लक्ष्य पर डटे रहे और आज अपने मंजिल को पा लिया है।

जिस कॉलेज में कभी माली हुआ करते थे, आज है उसी कॉलेज में प्रधानाचार्य

ईश्वर सिंह बादगाह (Ishavar Singh Baadgaah) किस्मत बदलने पर नही मेहनत करने पर यकीन करते है। इन्होंने अपना किस्मत अपने मेहनत के बदौलत बदला है। एक समय ऐसा था कि, ईश्वर सिंह (Ishavar Singh Baadgaah) कल्याण( Kalyaan College) कॉलेज में माली हुआ करते थे लेकिन आज अपने मेहनत के बदौलत उसी कॉलेज में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत है।

Ishavar Singh Baadgaah becomes principal of college

कैसे रहा इनका संघर्ष से भरा यह सफर

ईश्वर सिंह बादगाह (Ishavar Singh Baadgaah) का जन्म पैदाइश बैठलपुर के घुटीया में हुआ था। इन्होंने अपनी 12वीं तक की शिक्षा अपने गांव से ही प्राप्त किया। घर की आर्थिक स्थिति सही नही होने के कारण इनको बीच मे ही अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी तथा सन 1985 में मात्र 19 साल की आयु में घर के खर्चों के पैसो के लिए इन्होंने अपनी नौकरी तलाशनी शुरू कर दी। नौकरी के तलाश में ही वो भिलाई आ पहुंचे, जहां इन्होंने एक कपड़ा स्टोर में सेल्समैन की नौकरी करनी शुरू कर दी। इस नौकरी में इनको महीना के वेतन के तौर पर मात्र 150 रुपये दिया जाता था। लेकिन अभी भी इनके अंदर अपनी पढ़ाई को पूरी करने की ललक जिंदा थी। उसी बीच उन्होंने कल्याण कॉलेज ( Kalyaan College) में अपनी बीए की डिग्री हासिल करने के लिए फार्म भर दिया और कपड़े के दुकान में नौकरी करने के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी पूरी करने लगे। कल्याण कॉलेज में मात्र 2 महीना एडमिशन कराने के बाद इन्होंने सेल्समैन की नौकरी छोड़ उसी कॉलेज में माली की नौकरी करना शुरू कर दिया। वहां पर पढ़ाई के साथ-साथ कभी चौकीदार की नौकारी करते तो कभी सुपरवाइजर की। इनकी मेहनत और लगन को देखकर कॉलेज के आला अधिकारी इतने खुश हुए कि उन्होंने इनको कॉलेज में होने वाले सभी निर्माण कार्यों का सुपरवाइजर बना दिया। इस बीच इन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी और वर्ष 1989 में ग्रेजुएशन की डिग्री भी प्राप्त कर ली। जिसके बाद इनको इसी कॉलेज में क्राफ्ट टीचर की नौकरी मिल गई। बाद में इनके योग्यता और लगन को देखते हुए कॉलेज में इनको असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी मिल गई और इसी दौरान इन्होंने एमएड, बीपीएड और एमफिल की पढ़ाई पूरी कर इसकी डिग्री भी हासिल कर ली और अंततः वर्ष 2005 में इनके योग्यता को देखते हुए इनको कल्याण कॉलेज के प्रधानाचार्य के रूप में चुन लिया गया। इनका माली से प्रधानाचार्य बनने तक का सफर आसान नही था बल्कि बहुत संघर्षपूर्ण था।

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सेक्यूरिटी फ़ोर्स में काम करना चाहते थे ईश्वर सिंह

ईश्वर सिंह (Ishavar Singh Baadgaah) बताते है कि, वह हमेशा से सेक्यूरिटी फ़ोर्स में काम करना चाहते थे, इसके लिए इन्होंने कई बार टेस्ट भी दिया लेकिन वो इसमे सफल नही हो पाए। शायद इसलिए कि इनके किस्मत में कॉलेज का प्रधानाचार्य होना तय था। लाखों मुसीबतों का सामना करते हुए आज वो जिस कुर्सी पर बैठे है वो देख कर सबका सीना चौड़ा हो जाता है।

Ishavar Singh Baadgaah becomes principal of college

मार्गदर्शक बने थे कॉलेज के शिक्षक और प्रिंसिपल

ईश्वर सिंह (Ishavar Singh Baadgaah) ने बताया कि, एक माली से प्रिंसिपल बनना इतना आसान नही था। इनको इनके लक्ष्य तक पहुंचाने में बहुत लोगों ने सहायता की है। कल्याण कॉलेज ( Kalyaan College) के तत्कालीन प्रिंसिपल प्रोफेसर टीएस ठाकुर ने इनके मेहनत और लगन को देखते हुए इनकी बहुत सहायता की थी और इनके मार्गदर्शक भी बने। इसके अलावे कई शिक्षको ने भी इनकी खूब सहयोग किया था। इन शिक्षकों में शिक्षा विभाग के एचओडी पीके श्रीवास्तव, रसायन के एचओडी एचएन दुबे औऱ जेपी मिश्रा जैसे कई शिक्षकों ने इनके इस कामयाबी के सफर में सहयोगी रहे।

छात्रों को भी होता है इनपे गर्व

कल्याण कॉलेज ( Kalyaan College) के छात्रों का कहना है कि, अपने प्रिंसिपल को देख इनका सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है क्योंकि एक कॉलेज के माली से प्रिंसिपल तक का सफर पूरा करना इतनी आसान बात नही है। कई छात्र तो इनको (Ishavar Singh Baadgaah) अपने प्रेरणा के स्रोत मानते है।