अपने पड़ोसियों के प्लांट वेस्ट से इलियास ने अपने खेत को पूरी तरह से ऑर्गनिक इकोसिस्टम में बदल रखा है। केरल के मलप्पुरम के रहने वाले इलियास बचपन से ही प्राकृतिक के बेहद करीब रहे हैं। इन्होंने लगभग 15 साल पहले 10 एकड़ जमीन से खेती की शुरूआत की, जिसमे वो सब्जी उगाने के साथ मवेशी पालन, और लगभग 55 किस्मों के फलदार वृक्ष भी लगाये हैं। इलियास को केरल के सर्वश्रेष्ठ किसान का अवार्ड भी मिला चुका है। जानवरों के अपशिष्ठ पदार्थों एवं पड़ोसियों के प्लांट वेस्ट से उन्होंने अपने खेत में पूरी तरह से ऑर्गेनिक इकोसिस्टम बनाया है।
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इलियास ने 4 एकड़ जमीन में लगाए फलों के पेड़ , 2 एकड़ में सब्जी एवं बाकी में छायादार वृक्षों। इलियास खेती के साथ डेयरी फार्मिंग और जल संरक्षण के लिए भी काम करते हैं। अपने 10 एकड़ की जमीन में इलियास ने 5 सरोवर का निर्माण किया है, गर्मी के मौसम में जब पानी की जरूरत पड़ती है तो ये सरोवर के जल का उपयोग करते है। ये वर्मी कंपोस्टिंग और बायोगैस संयंत्र कि मदद से खेतों के लिए खुद उर्वरक तैयार करते हैं। इलियास हर रोज अपने आस पास के कचरों को इकठ्ठा कर अपने वर्मी कंपोस्ट की मदद से प्लास्टिक को बाहर निकालकर रीसाइक्लिंग केंद्रों भेज देते हैं।
अपने खेतों की देख रेख करने के अलावा और भी काम
खेती मे होने वाले लाभ और उससे महत्व के बारे में इलियास वहाँ के छात्रों को बताते हैं इन्होंने छात्रों को रीसाइक्लिंग के बारे में भी जानकारी दी है, पर्यावरण संरक्षण के लिए इन्होंने फील्ड ट्रिप मे अपने फर्म का निर्माण भी कीया है। इलियास को समाज और पर्यावरण के भलाई के एक अलग पहचान हासिल हुई है। इन्हें राज्य पुरस्कार सहित सरोजनी दामोदर फाउंडेसन अक्षयश्री पुरस्कार भी मिलें हैं। इनकी सहायता इनकी पत्नी ‘मेमूना’ और इनके बच्चें अब्दुल रहमान, आयशा मन्ना और मासना ने भी की है। किसी भी काम मे जब परिवार का सहयोग मिलता है तो वो काम आसान हो जाता है।
इलियास के पर्यावरण संरक्षण, कचरों के प्रबंधन और खेती करने की सीख देने के लिए Logically अभिनंदन करता है।