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इस तरह घर के सभी कचड़ों से खाद बनाकर मुम्बई की दीप्ति 30 तरह की ऑर्गेनिक सब्जियां उगाती हैं

ताजे फल और सब्ज़ियों का हमारे स्वस्थ जीवन में बहुत बड़ा योगदान होता है। ताज़े फल और सब्ज़ियों के नियमित सेवन से हम बहुत से बीमारियों सारी लड़ सकते हैं। ताजे सब्ज़ियों से हमे पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन और अन्य उपयोगी खनिज़ मिलते हैं। परंतु आज के इस भाग-दौर भरे जीवन में हम इसपर बहुत अधिक ध्यान नहीं दे पाते, जिससे हमे आगे चलकर बहुत से मुसीबतो का सामना करना पड़ता हैं। ऐसे हालात में भी कुछ ऐसे लोग हैं जो की इसके लिए वक़्त निकल रहे हैं। आज हम एक ऐसे इंसान के बारे में बात करेंगे जिससे हम सब को सीख लेने की आवश्यकता है।

दीप्ति झंझनी (Deepti Jhanjhanee)

मुंबई (Mumbai) की रहने वाली दीप्ति झंझनी जो पिछले 8 वर्ष से सब्जी उगा रही हैं। दीप्ति ने जय हिंद कॉलेज से बैचलर ऑफ मास मीडिया से ग्रेजुेएशन की डिग्री प्राप्त करने बाद पुणे के विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुेएशन किया है।

Deepti Jhanjhanee

दीप्ति झंझनी का शैक्षणिक सफर

उसके बाद दीप्ति ने नेटवर्क 18 मीडिया हॉउस के साथ कार्य किया सिर्फ़ इतना ही नहीं वह साथ ही हिंदु डीएनए तथा टाईमस ऑफ इंडिया के साथ फिल्म कर चुकी हैं। दीप्ति ने अपने बारे में बताते हुए कहा की वह हमेशा लाइफस्टाइल पर लेख लिखती थी। वह ज्यादा तर उन्ही लोगों का इंटरव्यू लेती थी जो पर्यावरण के लिए जागरूक व्यक्ति होते हैं। दीप्ति ने बताया की उनको भी कुछ अलग करने का विचार इन्ही लोगों से प्रभावीत होकर आया।

दीप्ति झंझनी द्वारा किचन गार्डन की शुरुआत

दीप्ति बताती हैं की जब उन्होंने इस कार्य की शुरुआत की तो यह समझ चुकी थी की इसकी शुरुआत मुझे घर से ही करनी होगी। शुरुआत के दिनों में जब दीप्ति सुबह सैर पर जाती थी तो वह रास्ते से कचरे उठाने वाले लोगों को अच्छे से देखती थी। वह लोग बिना मस्क तथा दस्ताने के इस्तमाल के ही सूखे तथा गिले कचरे को अलग कर देते हैं। दीप्ति ने जब घर पर इन कचड़ों से उत्पादन बनाने का फैसला किया तो तरह-तरह की शोध तथा सारे नियमो का पालन करते हुए मात्र 1 महीने में ताजे खाद बना लिए। उसके बाद उन्होंने यह फैसला किया की वो इस ताजे खाद का इस्तमाल अपने बगीचे में करेगी। वह लगभग 50 वर्ग फुट बालकनी में ही सब्जी उगाती हैं। सबसे ज्यादा फल तथा सब्ज़ि पोषण तब देता हैं जब वह ताजा होता है। बाजार से लाई गई सब्जी का हमे पता नहीं होता की वो कितनी पुरानी हैं। सब्जी की कटाई के बाद 48 घंटे के अंदर ही उसका सेवन करने से ही उसका पुरा पोषण मिलता हैं।

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कोरोना के समय में किचन गार्डन का मुनाफा

दीप्ति ने कहा की कोरोना के इस संकट भरे समय मे सब्जी उगाना बहुत जरूरी हैं, क्योंकि इसके लिए हमे बाजार जाना पड़ता हैं जो की सुरक्षित नहीं हैं। दीप्ति ने अपने बारे में बताते हुए कहा की लॉकडॉन में उनकी बालकनी हमेशा सब्जियों से भरी रहती थी। उन्होंने सब्जी उगाने वाले इस कार्य को अपना काम बना लिया। दीप्ति ने अपने बालकनी में बहुत तरह की सब्जियां उगाई हैं जैसे की टमाटर, बींस, अदरक, करेला, हल्दी तथा तीन तरीके की पालक भी उगाई हैं। दीप्ति ने बताया की वह ताजे खाद का इस्तमाल करती हैं, तथा किसी भी केमिकल का इस्तमाल नहीं करती।

नवम्बर 2017 में दीप्ति ने एडिबल गार्डन की शुरूआत की। जिसमें वह अपने ग्राहक को किचन स्थापित करने मे मदद करती हैं। दीप्ति ने सबसे बड़े एडिबल गार्डन की स्थापना 1200 वर्ग फुट मे किया है तथा सबसे छोटा बॉक्स विंडो ग्रिल में। वर्ष 2019 में दीप्ति ने कुल 20 एडिबल गार्डन की स्थापना की, साथ ही वो ग्रुप के लिए होम गार्डनीग करती हैं। सिर्फ़ इतना ही नहीं अपने उगाए जाने वाले सब्जियों पर वह 15 वर्कशॉप भी कर चुकी हैं।

दीप्ति झंझनी का किचन गार्डन उगाने के राय

हर किसी के लिये सब्जी उगाना आसान नहीं हैं। हर किसी के घर पर उतना जगह उपलब्द नहीं हो पाता जितना गर्डनिंग के लिये चाहिये। इसके उपाय में दीप्ति ने बताया की लेमनग्रास ,पुदीना, माइक्रोग्रिन, टमाटर, मिर्च और करेला जैसे सब्जियों को बॉक्स विडो ग्रिल में लगाने में मदद की। एडिबल गार्डन में बहुत सारे पेड़ हैं जिसमे केले, पपीता, शहतुत के साथ काई अन्य सब्जियाँ भी उगाई हैं।

दीप्ति ने ऐसे बहुत सारे सुझाव दिये जिससे हम घर पर भी सब्जी उगा सकते हैं। इसे बताते हुए दीप्ति ने कहा माइक्रोग्रिन उगाना सबसे आसान हैं। इसके लिये आप घर के पुराने कंटेनर का भी इस्तमाल कर सकते हैं। इसे उगाने के लिये साबुत मसालों की जरूरत हैं जैसे सरसो, सौफ, तिल, मेथी के बीज का उपयोग करना होगा।

सबसे पहले कंटेनर मे मिट्टी रखने के बाद अच्छे से बीज को उसके उपर फैला दे, इसे ऐसे फैलाये की हर बीज को बढ़ने का मौका मिल सके। इसपे पानी डालना आवश्यक है और इसे खिड़की के पास रखे। मिट्टी ना मिलने पर इसका प्रयोग कार्डबोर्ड तथा टिशू पेपर पर भी कर सकते हैं।

अगर आप कार्डबोर्ड में बनाना चाहते हैं तो कार्डबोर्ड को 24 घंटा तक पानी में भिगो कर रख दे। दूसरे दिन कार्डबोर्ड को दो टुकरो में तोड़ दे और उसके बीच में बीज को रख दे। 5 दिन में बीज अंकुरित होने लगेगा। कार्डबोर्ड पर पानी डालते रहिये क्योंकि इसे नम रखना जरूरी हैं। सिर्फ़ 10 दिन में माइक्रोग्रिन खाने के लिये तैयार हो जाता हैं। अगर माइक्रोग्रिन टिशू पेपर पर उगाना हैं तो इसे एक दिन के लिये पानी में ना डाले। बस इसे नम रखने की जरूरत हैं बाकी सब विधि सामान्य हैं। इसपे सूरज की रोशनी की जरूरत होती हैं, इसलिए इसे खिड़की के पास रखे।

सिर्फ़ इतना ही नहीं दीप्ति ने बताया की चना, राजमा, मूंग जैसे बहुत सी सब्जियां भी उगाया जा सकता हैं। उन्होंने बताया की जिसकी बाहरी परत कठोर होती हैं उसे उगाने के लिए उन्हे रात भर के लिए भिगो दे उसके बाद उसे टिशू पेपर में अंकुरित करके मिट्टी मे लगा दे।

करेला तथा खरबूज जैसे कठोर बीज को उगाने की विधि को बताते हुए दीप्ति कहती हैं की इसके लिए पहले मिट्टी को छेद कर के बीज को अंदर डालना पड़ता हैं। 20 इंच के बर्तन में निम्बू तथा इमली भी उगाया जा सकता हैं। छोटे बीज वाले सब्जियां जैसे शिमला मिर्च, मिर्च आदि के बारे में बताते हुए दीप्ति कहती हैं की इन्हे बोने से पहले धूप में रखना अच्छा होता हैं। दीप्ति अपने पौधों का खास ख्याल रखती हैं। वह महीने में दो बार खाद का छिड़काव करती हैं।

जो लोग पौधों के उपयोग के लिये खाद घर में नहीं बना पाते उनके लिये दीप्ति ने कुछ आसान सा उपाय बताया हैं। उन्होंने बताया की रोज़ के इस्तमाल में आने वाली सब्जी और फल के छिल्के को चार कप पानी मिलाकर पेस्ट बना कर उसे पौधों में खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता हैं। इस पेस्ट में सबसे ज्यादा प्रोटिन वाला केला का छिल्का हैं।

अंडे के छिल्के तथा मछली के हड्डी के बारे मे बताते हुए दीप्ति बताती हैं की इसे पहले ओवन में डीहाईडेड करने बाद इसका छिडकाव करना चाहिये इससे इसकी प्रोटिन पौधों तक जल्दी पहुँचती हैं। दीप्ति के मुताबिक इन पौधों तक रोज धूप और पानी पहुॅचनी चाहिये।

दीप्ति अपने बालकनी के अलावा अपने अपाटमेंट परिसर में किचन गार्डन की शुरूआत की। यह गार्डन 540 वर्ग फुट की दुरी में लगया गया हैं। इस गार्डन में 100 से ज्यादा वनस्पति, फुल तथा औषधीय पौधे हैं। इस पुरे अपाटमेंट में लगभग 40 लोग रहते हैं और उन सब लोगों को सब्जी यही से उपलब्ध कराया जाता है। दीप्ति ने बताया की उन्हे अपने इस गार्डन के बारे में सुनकर बहुत अच्छा लगता हैं। दीप्ति का मनना हैं की अपने हाथ से उगाई गई सब्जी सस्वास्थ्य के लिए बहुत फायेदेमंद होता है। वह कहती हैं जब मैं अपने सामने इस सब्जियों को देखती हूँ तो मुझे बहुत खुशी मिलती हैं। दीप्ति हम सब को सीख देते हुए कहती हैं की हमे पूरी तरह से बाजार के भरोसे नहीं रहना चाहिये। खाली समय में हम यह कार्य कर सकते हैं। वह राय देते हुए कहती की हम भी अपने बालकनी में ताजे सब्जियों का किचन गार्डन बना सकते हैं।

The Logically दीप्ति झंझनी के इस कार्य की सरहाना करते हुए दूसरो से भी ऐसा करने का अपील करता है।

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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