Wednesday, December 13, 2023

बिहार का एक ऐसा नायाब स्कूल जहां बच्चों से फीस में पैसे नहीं बल्कि कचरा लिया जाता है

आजकल पढाई यानी कि शिक्षा का बहुत बड़ा महत्व है जो बच्चे अपनी मेहनत के बदौलत पढ़ाई करते हैं वह आगे चलकर एक सफल व्यक्ति बन जाते हैं। आज बात बिहार का एक ऐसे नायाब स्कूल की जहां बच्चों से फीस के रूप में कचरा लिया जाता है यानि पैसे की जगह कचरा इकट्ठा कर स्कूल में जमा करें और पढ़ाई करें। यह बिहार का स्कूल अपने आप एक यूनिक है आईए जानते हैं इस स्कूल के बारे में।

फीस की जगह देते हैं कचरा:-

प्राइवेट स्कूलों में बिना पैसे दिए एडमिशन नहीं होता। इसके साथ-साथ हर महीने फीस भी भरनी पड़ती है। बिहार के गया जिले में एक ऐसा स्कूल है जहां पर बच्चे से फीस नहीं ली जाती बल्कि फीस की जगह बच्चों को घर या सड़क पर से कचरा लाने को कहा जाता है। जब बच्चे स्कूल पढ़ने के लिए आते हैं तो वे अपने घर से और घर से स्कूल तक के रास्ते में जितने भी कचरे मिलते हैं उन्हें उठाकर स्कूल लाते हैं और इस कचरे को स्कूल के गेट के पास रखी डस्टबीन में डाल देते हैं। गया जिले के इस स्कूल का नाम पद्मापानी स्कूल है जो पद्मापानीएंड सोशल फाउंडेशन चलाता है।

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इस स्कूल के संस्थापक राकेश रंजन बताते हैं कि यह स्कूल साल 2014 में शुरू किया गया था। इस स्कूल में कक्षा एक से लेकर कक्षा आठ तक लगभग 250 बच्चे पढाई करते हैं। बच्चे द्वारा फीस की जगह कचरा लाने का काम साल 2018 में किया गया था। इस अभियान से बच्चे के साथ-साथ उनके मां-बाप और समाज को एक सकारात्मक संदेश पहुंचता है।

कचरे का उपयोग किन चीजों में होती है

बच्चे द्वारा लाए गए कचरे को इकट्ठा करके उसे स्कूल के अधिकारी रीसायकल करने के लिए दे देते हैं और उन कचरे से जो भी पैसे मिलता है उसे बच्चों के ऊपर खर्च किया जाता है। जैसे बच्चे के यूनिफार्म, कॉपी, किताब, खाना और स्कूल के मेंटेनेंस जैसे काम में खर्च किया जाता है। इससे बच्चे के मां-बाप को बच्चों को पढ़ाने के ऊपर खर्च नहीं करनी पड़ती है और बच्चे पढ़ाई के साथ साथ-साथ सफाई का भी काफी ध्यान रखते हैं।

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पर्यावरण का विशेष ध्यान

स्कूल की प्रिंसिपल मीरा कुमारी बताती हैं कि हम लोग पर्यावरण का भी विशेष ध्यान रखते हैं अभी तक हमारे स्कूल के बच्चों ने करीब 700 पौधे लगा चुके हैं जो वह पौधे अब बड़े पेड़ में तब्दील हो चुके है। साथ ही साथ स्कूल का सारा उपकरण सोलर एनर्जी से चलता है जिससे बिजली की काफी बचत होती है।

बिहार का यह स्कूल अपने आप में एक यूनिक स्कूल है। इस स्कूल से देश को एक संदेश मिलता है कि पर्यावरण के साथ-साथ हम अपने आसपास को साफ-सुथरा रखें और हमें शिक्षा को व्यवसाय ना बना करके उन गरीब बच्चों के भविष्य के लिए कुछ करें।