वह व्यक्ति उन सभी के लिए प्रेरणा होतें हैं जो अपनी ज़िंदगी में तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए बड़ा स्थान प्राप्त करतें हैं। कोई व्यक्ति अमीर या गरीब नहीं होता बस कुछ जरूरतें होती है जो इंसान को अमीर या गरीब बना देती हैं। अपनी इन्हीं ज़रूरतों को पूरा करने के लिए हर व्यक्ति दिन रात मेहनत कर पैसे इकट्ठा करता है ताकि वह अपने और अपने परिवार की ज़रूरतों को पूरा कर जिंदगी का आनंद ले सके।
यह कहानी एक ऐसे महिला की है जो सिलवटें बेंचती थी और आज सब इंस्पेक्टर बन गई है। तो चलिए पढ़ते हैं, इनकी प्रेरणादायक कहानी।
पद्यशिला तिरपुडे
इनके बारे में में आईपीएस अधिकारी दीपांशु काबरा ने उनकी तस्वीर को साझा किया और यह दावा किया कि “परिस्थितियां आपकी उड़ान को नहीं रोक सकती। किस्मत भले ही आपके माथे पर भारी पत्थर रखे लेकिन उससे कामयाबी का पुल कैसे बनाना है यह कोई महाराष्ट्र की पद्यशीला तिरुपुडे से पूछे और उनसे यह सीखे। यह पत्थर के सिलवटें का निर्माण कर उन्हें बेचकर अपना जीवन गुजारा कर रही थीं। लेकिन इन्होंने अपनी मेहनत से एमपीएससी में सफलता प्राप्त कर आज सब इंस्पेक्टर बनी हैं।”
पति ने की है मदद
अगर हम पढ़ाई लिखाई या फिर कोई नया कारोबार स्थापित कर रहे हैं और परिवार के किसी भी सदस्य का समर्थन मिल जाए तो वह कार्य थोड़ा आसान हो जाता है। या यूं कहें तो सोने पर सुहागा वाली बात होती है। ऐसा ही पद्यशीला के साथ भी हुआ, उनके पति ने उनके इस काम में खूब सहायता की और उनका मनोबल बढ़ाया। खुद को यहां लाने और ज़िंदगी को बदलने के लिए यह आज सबके लिए उदाहरण बनीं हैं।
परिस्थितियाँ आपकी उड़ान नहीं रोक सकती.
किस्मत भले आपके माथे पर भारी पत्थर रखे लेकिन उनसे कामयाबी का पुल कैसे बनाना है ये भंडारा, महाराष्ट्र की #पद्मशीला_तिरपुडे से सीखें. पत्थर के सिलबट्टे बनाकर बेचने वाली पद्मशीला ने मेहनत की और MPAC में उत्तीर्ण होकर पुलिस उपनिरीक्षक बनीं pic.twitter.com/TjIUMBSkjH
— Dipanshu Kabra (@ipskabra) October 22, 2020
बनी पुलिस
दो तस्वीर शेयर हुई। पहली तस्वीर में एक महिला अपने सर पर सिलबट्टे रखी है और गोद में बच्चे को ली है। दूसरे तस्वीर में एक महिला वर्दी में अपने परिवार वालों के साथ बैठी है। दोनों तस्वीर पद्यशिला तिरपुडे की बताई जाती है। हलांकि इन्होंने यह बताया कि यह मैं नही हूं। इन्होंने बताया कि मेरे मेहनत और अतीत को सही तरह से पेश नहीं किया गया है। मैंने सिलबट्टे बेचने का कार्य कभी नहीं किया। मैंने प्रेम विवाह किया और नासिक रहने लगी। मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और स्नाकोत्तर पूरा किया। मैं कंपटेटिव एग्जाम की तैयारी में लग गई। वर्ष 2012 में यह एग्जाम पास कर पुलिस बनी। इनका एक फोटो लिया गया पूरे परिवार के साथ और आगे इसे एडिट किया गया और एक औरत अपने बच्चे को गोद में लिए, सिर पर सिलबट्टे लिए खड़ी है। ये अलग बात है कि पहली तस्वीर की महिला बिल्कुल मेरी तरह ही है।
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लॉकडाउन के बाद इन्हें बहुत दिक्कत आई। यह अपने बेटे से 7 माह के लिए दूर रहीं हैं। इनका बेटा 6 साल का होने जा रहा है तो इन्होंने यह मन बनाया कि मैं सरप्राइज देते हुए इसके जन्मदिन पर इससे मिलूंगी। पैसे की दिक्कत है तो इन्होंने निश्चय किया कि हम फ्लाइट से तो जा नहीं सकते तो अपनी एक्टिवा से जरूर जाएंगे। वहां जाने के लिए इन्हें 8 हजार रुपये और 38 घण्टे लगे।