Wednesday, December 13, 2023

कभी 6 रुपये के लिए मजदूरी करती थी लेकिन इनके चित्रकारी को अमेरिका में भी पहचान मिला: भारत सरकार ने पद्मश्री से नवाजा

गणतंत्र दिवस के मौक़े पर पद्म श्री सम्मान की घोषणा की गई. इसमें एक नाम मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के पिटोल गांव की रहने वाली भूरी बाई बरिया का भी है. भूरी बाई भील आदिवासी समुदाय से आती हैं. अपने समुदाय की वह पहली महिला हैं जिन्होंने घर की दीवारों पर पिथोरा पेंटिंग की और जनजातीय परंपराओं को जीवित रखा.

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अपने शौक को अपनी पहचान बनाने वाली भूरी बाई को बहुत हीं मुश्किलों का सामना करना पड़ा

अपने शौक को अपनी पहचान बनाने वाली भूरी बाई उस आदिवासी समुदाय से आती हैं जहां लड़कियों को पीरियड्स शुरू होने के बाद पेंटिंग करने की मनाही है लेकिन भूरी बाई ऐसे संकीर्ण मानसिकता वाले समाज से लड़कर आगे आईं और चित्रकारी के क्षेत्र में अपनी एक अलग हीं पहचान बनाई. इस मुकाम तक पहुंचने के लिए भूरी को बहुत हीं मुश्किलों का सामना करना पड़ा है.

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भीर और पिथोरा आर्ट पर वर्कशॉप

अलग-अलग जिलों में जाकर भीर और पिथोरा आर्ट पर वर्कशॉप कराने वाली भूरी बाई का जीवन बहुत हीं गरीबी में बीता है. वह आज भी सही से हिंदी भी नहीं बोल पाती लेकिन ग़रीबी और भाषा भी उनके सफ़लता के राह में रोड़े नहीं डाल सकें.

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कभी अपने गुजर बसर के लिए मजदूरी करती थी, आज पद्म श्री से सम्मानित

भूरी भाई कभी जनजातीय संग्रहालय के बगल में स्थित भारत भवन में मजदूरी कर अपना गुजर बसर करती थीं. ऐसी महिला का पद्म श्री से सम्मानित होना बहुत हीं गर्व की बात है. इतने बड़े सम्मान के लिए नामित होने के बाद भूरी बाई बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि यह सम्मान किसी सपने का हकीकत में बदलने जैसा है.

Padma Shri Artist Bhuri Bai Briya

मध्य प्रदेश से लेकर अमेरिका तक भूरी बाई की पेंटिंग्स

आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली भूरी बाई का नाम कला-संस्कृति के क्षेत्र में बहुत बड़ा है. उनकी बनाई पेंटिंग्स मध्यप्रदेश संग्रहालय से लेकर अमेरिका तक अपने रंग बिखेर चुकी है. जनजातीय परंपराओं को अपने चित्रकारी के जरिए उकरने वाली भूरी बाई को मध्य प्रदेश सरकार भी कलाकारी के लिए इन्हें कई पुरस्कार दे चुकी है. अब केंद्र सरकार भी इन्हें पद्म श्री से सम्मानित करने वाला है.