इस दुनिया का हर एक इंसान उस महानता के सफर को तय नहीं कर सकता है लेकिन अगर आप उन महानता की सीढ़ियों पर चलना चाहते है तो आपको मेहनत करनी होगी। मेहनत के बिना कुछ भी संभव नही है।
जो इंसान मेहनत करता है सफलता उसके कदम चूमती है। इस बात के प्रत्यक्ष उदाहरण स्वरूप हैं झारखंड के रहने वाले श्री सिमोन उरांव जी। जिन्होंने अपने गांव में पानी की व्यवस्था करने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। कभी उनके गांववाले और परिजन पानी की समस्या का सामना करते हुए गांव छोड़कर जाने को विवश हो गए थे। लेकिन सिमोन उरांव (Simon Oraon) ने गांव वालों की इन परेशानियों को देखते हुए खुद ही पानी की व्यवस्था करने की ठानी और अकेले की कुआं खोदकर इस समस्या से निजात दिलाया। इसके लिए सरकार ने उन्हें सम्मानित भी किया है। आइये जानते हैं उनके बारे में।
महसूस हुई पानी की कमी
झारखंड (Jharkhand) के एक छोटे से गांव में किसान परिवार में जन्में सिमोन उरांव (Simon Oraon) के गांव में शुरू से ही पानी की किल्लत थी। उनका गांव एक पहाड़ी इलाके पर स्थित था जिसके कारण वहां पानी का आना बहुत मुश्किल था। पानी लेने के लिए गांव वालों को दूर-दूर तक जाना पड़ता था। सिमोन ने यह परेशानी बचपन से ही सही थी। उन्होंने देखा था कि कैसे पानी की कमी के कारण उनके गांव वाले और परिजन गांव छोड़कर दूर जाने लगे थे।
सिमोन ने उपाय ढूंढा (Simon Oraon solution of water crisis)
सिमोन उरांव ने लोगों को पलायन करता देख बचपन से ही इस समस्या का उपाय करने की ठान ली। उन्होंने सबसे पहले अपनी मेहनत से कुआं खोदा। जिससे प्रेरित होकर इसके कार्य में कई लोग जुड़ गए। मिट्टी का कटाव न हो इसके लिए पौधे भी साथ-साथ लगाते चले गए। बांध तैयार हुए तो सैकड़ों एकड़ भूमि खेती के योग्य बन गई। जहां एक फसल नहीं होती थी, सिंचाई सुविधा बहाल हो जाने के बाद लोग तीन-तीन फसल लेने लगे। देखते देखते सिमोन उरांव ने ग्रामीणों की मदद से अपने इलाके में तीन बांध ,5 तालाब और कई कुएं खोदे। बांध और तालाबों में बरसात के पानी के जमाव से भूमि का जलस्तर भी उपर आ गया और पीने के पानी के साथ साथ लोग खेती भी करने लगे ।
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लोगों का पलायन रुका
जो लोग गांव छोड़ के जाने वाले थे वो भी इस बड़े बदलाव को देख वही रुकने की ठान ली।अपनी मेहनत से पानी के लिए रास्ता बनाने वाले सिमोन उरांव ने सिंचाई के लिए भी पानी की व्यवस्था की। जहां साल में एक फसल भी ठीक से नहीं हो पाती थी लोग साल में तीन तीन फसल निकलने लगे। ग्रामीणों की मदद से तीन बांध, पांच तलाब और 10 से कुआं का निर्माण करवाकर उन्होंने एक मिशाल पेश की। आज इस बांध से चार सौ एकड़ से अधिक भूमि में सिंचाई किया जा रहा है।
झारखंड के जल पुरूष कहने लगे लोग (Simon Oraon Jharkhand Ke jal purush)
गांव के लोगों के पानी की सुविधा दिलाने वाले सिमोन उरांव के कारनामों को देखकर लोग उन्हें जल पुरूष कहकर संबोधिक करने लगे। उन्होंने प्रकृति को बचाने के लिए हमेशा एक प्रहरी के रूप में अपना जीवन समर्पित कर दिया है। अपने दम पर उन्होंने ‘साथी हाथ बढ़ाना’ का नारा दिया और ग्रामीणों के सहयोग से तीन बांध, पांच तालाब और कुओं की लंबी श्रृंखला खड़ी कर दी। महज साक्षर भर होकर उन्होंने जल प्रबंधन के क्षेत्र में जो कर दिखाया है, वह सिर्फ बेड़ो के लिए ही नहीं, पूरे राज्य के साथ-साथ राष्ट्र के लिए विकास का पैमाना बन सकता है।
सरकार ने किया सम्मानित (Simon oraon awarded by government)
जल संचयन के लिए अकेले छह गांवों में तालाब खुदवाकर और पेड़ लगाकर एक अनोखी मिसाल पेश करने वाले सिमोन उरांव के उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया है। यही नहीं वो कई अन्य सम्मान से भी सम्मानित हो चुके हैं। उन्हें अमेरिकन मेडल ऑफ ऑनर लिमिटेड स्टा्राकिंग 2002 पुरस्कार के लिए चुना गया था। उन्हें विकास भारती विशुनपुर से जल मित्र सम्मान से नवाज़ा जा चुका है।
आज वह लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं। उन्होंने समाज के लिए जो उत्कृष्ट काम किया है उसकी जितनी तारीफ की जाए कम है।
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