दिल्ली के सिंधु बॉर्डर (Singhu Border) पर आंदोलन करते हुए किसानों को एक महीने से भी अधिक समय हो चुका है। हाल ही में राजधानी का न्यूनतम तापमान 3.6 डिग्री दर्ज किया गया वहीं दूसरी ओर रात की सर्द और ठिठुरन और भी अधिक बढ़ने के आसार मिल चुके हैं। इन सब के बावजूद किसान अडिग है और उनका मनोबल बांधे रखने के लिए कई संस्थाएं और व्यक्तिगत रूप से लोग हर मुमकिन तौर पर मदद करने को हाथ बढ़ा रहे हैं।
रात भर जागकर टेंट सिटी की करती हैं देखरेख
एक महीने से अपनी तीन बेटियों और एक बेटे के साथ परमजीत कौर (Paramjeet Kaur) किसान आंदोलन का हिस्सा बनी हुई है। यहां वो मुख्य तौर पर देखरेख के काम में हाथ बटा रही हैं। दरअसल, सिंधु बॉर्डर पर पेट्रोल पंप के पास बने “टेंट सिटी” (Tent city) में एनजीओ (Non government Organisation) की तरफ से मिले 150 वॉटरप्रूफ टेंट लगे हैं। यहां परमजीत अन्य लोगों के साथ मिलकर रात भर जागती हैं। सभी लोग मिलकर आंदोलन को बाधित करने वाले आपत्तिजनक तत्वों पर नजर रखते हैं।
बुजुर्ग किसानों की सेवा में भी शामिल
वह बुजुर्ग किसानों के लिए खानपान, दवाई और अन्य जरूरी चीजों का भी ध्यान रखती हैं। दिन में वह कीर्तन में भी भाग लेती हैं। कम्युनिटी किचन (Community Kitchen) और कई लंघरों से आए खाने को भी किसानों में बांटती हैं।
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सेंट्रल टीम को देना होता है अपना विवरण
परमजीत की तरह कई और लोग भी रात को टेंट सिटी में सिक्योरिटी मैनेजमेंट का काम देखते हैं। एक ग्रुप में 20 लोग शामिल हैं। जिन्हें सेंट्रल टीम को अपना नाम, पता, आईडी प्रूफ विवरण जमा करना होता है। इसके बाद उन्हें रात भर सतर्क रहने के लिए कहा जाता है, वे बदमाशों या स्थानीय लोगों की तलाश में जुटे रहते हैं जो किसी भी तरह की बाधा डालने की कोशिश करते हैं।
आंदोलन से अंतिम तक जुड़े रहने का लक्ष्य
परमजीत ने मीडिया को बताया कि “उनके पति घर पर यानी हरियाणा के कैथल जिले में खेतों की देखरेख कर रहे हैं जबकि वो खुद अपने तीन बच्चों के साथ आंदोलन में शुरुआती दौर से ही जुड़ गई थी और अंतिम तक इससे जुड़ी रहेंगी।
किसान परिवार में जन्म तो नहीं हुआ लेकिन वो एक किसान की पत्नी जरूर है। ससुराल में आकर उन्हें खेती से जुड़ी कई चीजें सीखने को मिली। रात में खेतों की देखरेख करने के उन्हें जगने की आदत भी हो गई।