अगर हम मोतियों के विषय में चर्चा करें तो इसके विषय में हमारे देश की महिलाएं बहुत अच्छी तरह जानती हैं और इसकी पहचान तथा कीमत से भी वे अच्छी तरह रू-ब-रू हैं। मोतियों का डिमांड सिर्फ हमारे देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खूब है। इसका उपयोग आभूषणों के निर्माण में किया जाता है जिसकी खूबसूरती से हर कोई इसके तरफ आकर्षित होता है।
वैसे तो मोती समुंद्र से पाए जाते हैं परंतु अब इसकी खेती भी की जा रही है। इसी कड़ी में रांची की महिलाओं ने मोती की खेती में बड़ी सफलता हासिल की है। वे तालाब में इसकी खेती कर अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में सक्षम हो रही है। तो आईए जानते हैं रांची में किस तरह महिलाएं मोतियों की खेती से सफल हो रही हैं।
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संजू देवी की कहानी
रांची से ताल्लुक रखने वाली संजू देवी तालाब में मोती की खेती कर महिलाओं के लिए उदाहरण बनी हैं। उन्होंने इस कार्य द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बनाया है। उन्होंने अपनी पहचान बनाने का रास्ता मोती की खेती को चुना और सैकड़ों के बीच में अपनी अलग पहचान बनाई। उनके इस कार्य से यहां की कई महिलाएं प्रभावित हुई और उनके साथ जुड़ना चाहती हैं। वह बताती हैं एक वक्त था जब मैं मोती की अंगूठी खरीदने के लिए शोरूम में जाया करती थी और उनकी कीमत तुमको सुनकर अजीब सा लगता था। -Pearl Farming by Sanju Devi
लागत 50 हजार और आमदनी 3 लाख
संजू मैनेजमेंट एजेंसी को इसकी खेती के विषय में प्रशिक्षण देती है और यह बताते हैं कि मोती की खेती कैसे की जाए??? इसके उपरांत जब यह तैयार हो जाते हैं तो उन्हें खरीद लिया जाता है। वह कहती है कि आप इसमें 50 हज़ार रुपये लगाकर 3 लाख रुपए आसानी से कमा सकते हैं। मोतियों को तैयार होने में लगभग एक से डेढ़ वर्ष का समय लगता है। -Pearl Farming by Sanju Devi
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ऐसे होते हैं मोती तैयार
मोतियों के उत्पादन के लिए सीप की मदद ली जाती है जिसके लिए लगभग 500 वर्ग फिट के पानी के टैंक या तालाब की आवश्यकता होती है। अब सीप को लाकर उन्हें तालाब में 10 दिनों के लिए रखा जाता है ताकि वे वातावरण के अनुसार ढल सके फिर उनकी सर्जरी की जाती है और उसमें न्यूक्लियस को डाला जाता है। आगे इसे एंटीबॉडी में रख दिया जाता है इसके उपरांत इन्हें लगभग 12 से 14 माह के लिए तालाब में छोड़ा जाता है और फिर इन्हें बाहर निकाल कर मोतियों को निकाल लिया जाता। -Pearl Farming by Sanju Devi