मासिक धर्म एक ऐसी क्रिया जिससे हर महिला को गुजरना होता है। महीने के वो दिन हर औरत के लिए अलग होते हैं। पीरियड्स के दौरान महिलाओं को दर्द, सिरदर्द और ऐंठन के तो आते हैं। वहीं सभी महिलाएं पीरियड्स को अलग तरह से संभालती हैं। कुछ को छोटी-मोटी असुविधाओं का सामना करना पड़ता है, जबकि अन्य इसे कष्टदायी पीड़ा के साथ ही झेलती हैं। कुछ महिलाओं को इन दिनों में काफी तेज दर्द सहना पड़ता है तो कुछ के लिए यह सामान्य होता है। पर लगभग हर औरत पीरियड के दौरान बेचैन रहती हैं।
हिंदू धर्म में तो मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को सलाह दी जाती है कि रसोई घर में काम न करें, संभोग न करें, ना ही वो मंदिर में प्रवेश करें, इसके अलावा उन्हें किसी भी धर्मिक और पवित्र कार्य में भाग लेना अथवा छूने की आज्ञा नहीं दी जाती है। बड़े दुर्भाग्य की बात तो यह है कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को शरीरिक पीङा सहन करने के साथ-साथ सामाजिक पीड़ा को भी सहन करना पङता है। इस दौरान महिलाएं मानिसक तनाव से गुजर रही होती है साथ ही उन्हें इस दौरान विशेष आराम और खान-पान की भी अवश्कता होती है। लेकिन इन सब के उल्ट हकीकत तो कुछ होती है। उन्हें कई चीजों से दूर रखा जाता है। आज हम आपको पीरियड्स से जुड़ी उन अजीब परंपराओं (Period Myths) के बारे में बताएंगे जिसे जानकर आप सोच में पड़ सकते हैं।
दुल्हन की तरह सजाना
कर्नाटक के कुछ जगहों पर जब वहां की लड़कियों को पहली बार पीरियड आता है तो उन्हें दुल्हन की तरह सजाया जाता है। लोग उस लड़की को दुल्हन के जैसे तैयार करते हैं। घर की महिलाएं घर की बेटियों की आरती भी उतारती है। घर के अंदर उत्सव मनाया जाता है। इस खास उत्सव में आसपास के लोग भी शामिल होते हैं। कहा जाता है की बुरी शक्तियां पास न भटके इसलिए ऐसा किया जाता है। इसके लिए लड़कियां पास में नींबू एवं लोहा (Period Myths) भी रखती हैं। आपको बता दें कि यह प्रथा दक्षिण के राज्य आंध्र प्रदेश और केरल के कुछ जगहों पर सदियों से चली आ रही है।
लड़कियां पीती हैं रक्त (Periods)
पीरियड्स के दौरान रक्त पीना यह सुनकर आप आश्चर्यचकित हो सकते हैं पर यह सत्य है। पश्चिम बंगाल के आसपास के इलाकों में पीरियड्स के दौरान रक्त पीने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। यहां जब लड़कियों को पहली बार पीरियड आता है तो उन्हें पीरियड्स से निकलने वाले रक्त को पिलाया जाता है। अगर लड़की न पीना चाहे तब भी उन्हें समझा के ऐसा कराया जाता है। वहां के मान्यताओं के अनुसार माहवारी के दौरान ऐसा करने से लड़कियों के शरीर में ताकत आती है। लोगों का कहना है कि इससे स्मरण शक्ति में भी वृद्धि होती है। यहां की लड़कियां अपने इस खून को गाय के दूध और नारियल के तेल में मिलाकर पीती हैं। वहां की यह प्रथा काफी प्रचलित है।
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पुरुषों को रहना होता है अलग
वहीं अगर नाईजरिया में कुछ कबीलाई जाति के लोगों की बात करें तो यह लोग पीरियड्स को अशुद्ध मानते है। यही कारण है कि जब शादी शुदा महिलाओं को माहमारी आती है तो उन्हें पुरुषों से अलग रखा जाता है। माहवारी वाली महिलाओं को घर से दूर झोपड़ी में रखा जाता है (Period Myths) जिससे वह पुरुषों के संपर्क में न आएं। नाईजरिया में कबीलाई जाति की यह प्रथा सदियों से चली आ रही है। वहां के लोगों को यह प्रथा मनना ही पड़ता है। लोग मानते हैं कि अगर महिला पुरुषों के संपर्क में आएंगी तो बीमारी फैलने के आसार होंगे इसलिए ऐसा किया जाता है।
खाना बनाने पे रोक,धार्मिक अनुष्ठान
विभिन्न प्रथाओं के बीच बांग्लादेश के कुछ इलाकों में अगर किसी महिला को माहवारी आता है तो उन्हें खाना बनाने पे रोक लगा दी जाती है। उन्हें रसोइघर में घुसने तक नही दिया जाता है। उन्हें मंदिर जाने पर भी प्रतिबंध लग दिया जाता है। वहीं अगर नेपाल के एक गांव की बात करें तो माहवारी के दौरान महिलाओं को अगर कोई छू देता है तो उस इंसान को धार्मिक अनुष्ठान से गुजरना पड़ता है। पूजा-पाठ से गुजरने के बाद ही वहां के लोग शुद्ध कहलाते हैं। ऐसी प्रथा वहां पुराने समय से ही चली आ रही है और लोग मानते भी है।
Disclaimer– The Logically के द्वारा इस आर्टिकल को लिखने का उद्देश्य पाठकों के बीच जानकारी प्रदान करना है। हम इसकी पुष्टि नही करते हैं।
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