एक हीं खेत में एक हीं बार कई फसल लगाने की बात अगर सुने तो शायद वह बात अर्थहीन लगेगी या उस पर विश्वास नहीं होगा लेकिन हम आज एक ऐसे हीं शख्स के बारे में और उनके द्वारा किए जा रहे बहुफसलीय उत्पादन के तरीकों को जानेंगे। फुल कुमार वह शख्स हैं जिन्होंने एक खेत में कई फसल का उत्पादन कर लोगों के बीच एक अनूठा उदाहरण पेश किया है। आईए जानते हैं उनके बारे में…
इस तरह आया जैविक खेती का विचार
फुल कुमार जो रोहतक के भैणी गांव के निवासी हैं। जिन्होंने ज्यादा पढाई नहीं की और 10वीं की पढाई करने के बाद कृषि करना शुरू कर दिया। उन्होंने खेती की शुरुआत 1998 में की थी। वह लगातार 22 सालों से इस कार्य में लगे हैं। फुल कुमार ने बताया कि शुरु के दिनों में बहुत उतार-चढ़ाव आये। पहले वह रासायनिक खेती करतें थे। तब कपास की खेती अधिक होती थी। रासायनिक खेती से आमदनी कम होती थी और रसायनों का खर्च अधिक होता था। साल में कपास के 1 लाख 15 हजार की आमदनी हुईं तो रसायनिक स्प्रे का खर्च 1 लाख 25 हजार रुपये था। उस परिस्थिति में तो आमदनी से ज्यादा लागत आ रही थी और चूंकि उनके जीविकोपार्जन का माध्यम भी कृषि हीं था ऐसे में घर का खर्चा जुटा पाना मुश्किल सा होने लगा। फुल कुमार ने बताया कि अधिक कीटनाशकों के प्रयोग से स्वास्थ्य पर भी बुरा असर होता है और कई लोगों को जान तक गंवानी पड़ती है। खेती से ना के बराबर आमदनी और जान का खतरा अलग इन सभी परेशानियों का कोई समाधान नज़र नहीं आ रहा था। उसी बीच फुल कुमार ने टीवी पर राजीव दिक्षित का प्रोग्राम देखा। उस प्रोग्राम में बताया गया कि जैविक खेती कैसे करें। फुल कुमार आगे कहतें है, “मैने बिना डीएपी और यूरिया के खेती करने के बारे में पहली बार सुना। राजीव दीक्षित ने अपने प्रोग्राम में किसानों को समझाया कि कैसे सब रसायन का प्रयोग कर जहर का सेवन कर रहें हैं। इसके अलावा उन्होंने जैविक कृषि के बारें में भी समझाया। अपने प्रोग्राम के अन्त में राजीव दीक्षित ने कहा कि यदि कोई किसान इस प्रोग्राम को देख और सुन रहा हैं तो एक एकड़ की भूमि पर जैविक खेती अवश्य करें। यह बातें सुन कर मैंने निश्चय किया कि अब से सिर्फ जैविक खेती ही करूंगा।”
फुल कुमार को जैविक खेती के बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं थी लेकिन फिर भी उन्होंने इधर-उधर से जानकारी प्राप्त कर खेती की शुरुआत की। घर-परिवार के भरण-पोषण के लिये आमदनी जरुरी थी इसलिए 2010 में दिल्ली ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन में बस कंडक्टर की नौकरी करने लगे। अपनी नौकरी के साथ-साथ खेती भी करतें थे। अपना काम तो अपना ही होता है। उन्हें समझ में आया कि वह नौकरी से सिर्फ अपना परिवार चला सकतें है। लेकिन खेती से वह दूसरों को भी स्वस्थ और पोषण युक्त आहार उप्लब्ध करवा सकेंगे। यही सोच कर वर्ष 2014 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी।
सुभाष पालेकर से सीखी खेती
कृषि करने में उन्हें कभी नुकसान तो कभी फायदा हुआ। मुश्किल हालातों का भी सामना करना पड़ा। लेकिन फिर भी वह जैविक खेती करने के लिये अपने निश्चय पर अटल रहे। खेती में उतार-चढ़ाव के दौरान फुल कुमार की मुलाकात जीरो बजट खेती के जनक सुभाष पालेकर से हुईं। सुभाष पालेकर ने पंचकुला में वर्ष 2017 में एक वर्कशॉप का आयोजन किया था। उन्होंने उस आयोजन में खेती पद्धति के बारें में लोगों को बताया। उन्होंने यह भी कहा कि एक एकड़ की जमीन से 6 से 12 लाख तक की आमदनी किया जा सकता है। पालेकर जी की बात सुनकर फुल कुमार ने उनसे बहस कर ली क्योंकि 7 साल से जैविक खेती में नुकसान का सामना करने के बाद इन सब बातों पर यकिन करना थोड़ा मुश्किल था। लेकिन फुल कुमार ने पालेकर की बातों को ध्यान से सुना और समझा कि वह कहां गलती कर रहें हैं। सुभाष पालेकर ने फुल कुमार को “जंगल पद्धति” का मैप बनाकर दिया और उन्हें इसके बारें में अच्छे से समझाया।
“जंगल पद्धति” से शुरू की खेती
उसके बाद फुल कुमार ने साल 2017 में अपने खेत पर “पन्चस्तरीय जंगल मॉडल” की शुरुआत की। इस पद्धति के पहले मॉडल के तहत फुल कुमार ने पौने एकड़ जमीन पर 54 नींबू , 133 अनार, 170 केले और 420 सहजन के पेड़ लगाये। उन्होंने सभी पेड़ो को उनके पौधें से ना लगाकर बीज से लगाया। फुल कुमार ने कहा कि, इस पहले मॉडल में ही 420 काली मिर्च के पेड़ और 420 अंगूर की बेल भी लगेंगी, जिसे वह इस वर्ष रोपित करेंगे। जंगल पद्धति के बारें में फुल कुमार ने बताया, “इस मॉडल में जमीन के छोटे टुकड़े में सहफसली किया जाता है। इसमें जमीन की मैपिंग कर के बीज से पौधें को लगाया जाता हैं। इसमें लागत कम लगता है क्यूंकि सैप्लींग महंगे होते है। जंगल पद्धति को विकसित होने में 2 से 3 साल का वक्त लगता है लेकिन पहले साल से कमाई होने लगती है। फुल कुमार लगाये गयें पेड़ो के बीच में हर साल मौसमी सब्जियां और मसाले भी उगाते हैं। जैसे करेला, लौकी, मिर्च, टमाटर, हल्दी, अदरक आदि। इसके बाद फुल कुमार ने जंगल पद्धति के दुसरे मॉडल में अमरूद, मौसमी, सीताफल जैसे पेड़ लगाये हैं। हालांकि दूसरा मॉडल अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है। फुल कुमार इस वर्ष बाकी के एक एकड़ जमीन पर तीसरा मॉडल लगाएँगे।
यह भी पढ़े :- फ्लोटिंग टेरेस: रस्सियों की सहायता से 20 तरह की सब्जी उगाते हैं, इस तरह अच्छी पैदावार के साथ कीड़े नही लगते
यह खेती गोबर और गौमूत्र पर आधारित है इसलिए इसमे ज्यादा इन्वेस्टमेंट नहीं होता है। यह मॉडल जितना अधिक पुराना होता है कमाई भी उतनी अधिक होती है। फुल कुमार को पहले साल पौने एकड़ की जमीन पर खेती करने से डेढ़ लाख रुपए की आमदनी हुईं थी तो वहीं इस साल आमदनी डेढ़ लाख से बढ़कर ढाई लाख तक रही।
फुल कुमार फसलों में डालने के लिये खेतों पर ही जिवामृत और घनजिवामृत बनाते हैं। इसे बनाने के लिये उन्होंने 4 गायें और 2 बछिया रखा है। फुल कुमार के अनुसार, पंचस्तरीय मॉडल से पानी के खपत कम होती है और इसके कमी से बिजली के खपत में भी गिरावट आई है। फुल कुमार और उनकी पत्नी अपना पूरा समय खेतों को देते हैं। प्रतिदिन कोई-न-कोई कार्य होते रहता है और वह सभी कार्य जरुरी होता है। पहले साल मॉडल को देखने के लिये किसान आते थे। ऐसे में उन्हें काम करने में दिक्कत न हो इसके लिए उन्होने रविवार का दिन लोगों के विजीट के लिये फिक्स किया है।
घर से हीं बिक जाते हैं सारे उत्पाद
फुल कुमार अपनी फसल के मार्केटिंग के बारें में बताते हैं कि उन्हें कभी भी अपने सब्जियां और फलों की मंडी में लेकर जाने की नौबत नहीं आई। ग्राहक सीधे उनके यहां आकर ही चीजे लेकर जातें हैं। कुछ तो रेगुलर ग्राहक फोन कर पहले ही ऑर्डर दे देते हैं और निश्चित वक्त पर आकर ले जाते हैं। हर महीने नये लोग फुल कुमार से जुड़ते है और फल तथा सब्जियां खरीदते हैं। कुछ बड़े किसान भी फल और सब्जियां खरीदने के लिये फुल कुमार के पास आते हैं।
फुल कुमार का कृषकों हेतु संदेश
फुल कुमार ने एक संदेश के तौर पर कहा कि यदि कोई सच्चे दिल से मेहनत करता है और सही तरीके से फल उगाता है तो वह 12 लाख से अधिक की कमाई कर सकता है। लेकिन यदि कोई बीन मेहनत के लाखो रुपये कमाना चाहता है तो यह सम्भवत नहीं है। फुल कुमार के फॉर्म में हर दिन 3 लोगों को रोजगार मिल रहा है। कभी-कभी सीजन में अधिक मजदूर को बुलाना पड़ता है। अपने द्वारा किये गये कार्य को देखकर फुल कुमार को अपने परिवार का आनेवाला समय उज्जवल दिखाई देता है और वह इस बात से खुश भी है। फुल कुमार किसानों को सुझाव देते है कि सभी किसान प्राकृतिक कृषि को उचित ढंग से सीखे, समझे और उसके बाद अपने खेतों में अपनाएं। इसके अलावा मेहनत करने से कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए। किसान को अपनी खेती में अपना 100% देना चाहिए। यदि कोई अपने काम में अपना 100% देता हैं तो वह अवश्य सफल होगा।
फुल कुमार से मुलाकात या बात करने का माध्यम
यूं तो फुल कुमार के बेहतरीन प्रयास और कृषि तरीके के कारण रास्ता में लगभग किसान जानते हैं। अगर उनसे जाकर मिलना हो तो कोई भी उनसे मिल सकता है और अगर बात करना चाहते हैं तो उनसे नीचे दिए नम्बर पर रात को 9 से 10 बजे के बीच संपर्क किया जा सकता है।
फुल कुमार–9992103197
फुल कुमार ने जिस तरह से अपने कृषि के माध्यम से लोगों को प्रेरित किया है वह वाकई प्रशंसनीय है। The Logically फुल कुमार जी की खूब तारीफ करता है तथा अपने पाठकों से अपील करता है कि वे भी इससे सीखकर अपनी कृषि को उन्नत बनाएं।
Comments are closed.