पर्यावरण को सुरक्षित रखना हमारे लिए किस तरह आवश्यक है इसे हम भलि-भांति जानते हैं। इस लॉकडाउन में हमारे पर्यावरण पर बहुत हीं अच्छा प्रभाव पड़ा है। बहुत से लोगों को हिमालय पर्वत अपने छत से दिखाई दिया है। यमुना का पानी भी स्वच्छ रहा है। ये सभी कार्य इसलिए हुए कि सभी व्यक्ति अपने घर पे थे और किसी भी वाहन का धूल-धुंआ बाहर नहीं आया।
एक और समाचार इस वक्त सामने आया है कि 60 मिलियन वर्षों के बाद एक पौधे को पुनर्जीवित होते देखा गया है। ये जलवायु परिवर्तन का प्रभाव है।
कुछ जगहों के लिए है सकारात्मक
दैनिक रूप से महसूस हुआ है कि नकारात्मक प्रभावों के साथ यह चर्चा का विषय है। इसे लेखन, प्रस्तुति, टीवी सेगमेंट, सेमिनार, सम्मेलनों और पॉप संस्कृति में आगे लाया गया है। मुख्य रूप से प्रभाव कुछ भी हो लेकिन अच्छा है, क्योंकि दिलचस्पी की बात यह है कि इसके परिणामस्वरूप दुनिया के कुछ हिस्सों में सकारात्मक बदलाव हुए हैं।
लगभग 60 मिलियन वर्ष पूर्व देखे गए
यूके में एक प्राचीन पौधा जो 60 मिलियन से अधिक वर्षों में नहीं देखा गया है वह आज देखने को मिल रहा है। यह जलवायु परिवर्तन में हुए ऊर्जाओं के कारण हुआ है। इन पौधों को उस वक़्त देखा गया था जब डायनासोर थे तब साइकाड के पौधे वहां थे। टीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 60 मिलियन साल पहले वे यूके में थे। यह माना जाता है कि तापमान में वृद्धि से उनकी वापसी हुई है।
वेटनर ने अपने बयान में यह कहा कि “वह यूनाइटेड किंगडम में दरवाजों से बाहर निकलने वाली पहली महिला शंकु है। यह हमें 60 मिलियन वर्षों में पहली बार पराग को स्थानांतरित करने और यूनाइटेड किंगडम में बीज उत्पन्न करने के लिए एक रोमांचक अवसर के साथ प्रस्तुत कर रहा है।