फरीदाबाद के अरावली क्षेत्र में हरियाली बढ़ाने और वातावरण को बेहतर बनाने के लिए हरियाणा वन विभाग ने ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल कर एरियल सीडिंग की योजना बनाई। आईआईटी-कानपुर में एक स्टार्टअप द्वारा विकसित ‘सीडिंग ड्रोन’ का उपयोग फरीदाबाद में बीजों को फैलाने के लिए किया गया। एरियल सीडिंग का उपयोग ज़्यादातर उन इलाकों में किया जाता है जहां सामान्य वृक्षारोपण गतिविधियों के लिए कोई वन मार्ग नहीं होता है। अधिकारी रजनीश यादव के नेतृत्व में अरावली की पहाड़ियों में विभिन्न प्रकार के पौधों के लगभग सवा सात लाख बीज बिखेरे गए हैं।
एरियल सीडिंग में सीड बॉल्स को पोषक तत्वों के साथ मिलाकर बिखेरा जाता है
अधिकारियों ने कहा कि एरियल सीडिंग में सीड बॉल्स को अन्य देखभाल की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इन बीजों को मिट्टी, खाद, चार और अन्य पर्याप्त पोषक घटकों के साथ मिश्रित कर बिखेरा गया है। यह लेप बीजों को आवश्यक भार प्रदान करेगा और निर्धारित स्थान पर एयरड्रॉप में मदद करेगा। साथ ही यह लेप चूहे, दीमक, चोटियों व कीड़ों के प्रकोप से भी बीजों को बचाएगा। भीतर मौजूद पोषक तत्व बीज के शुरुआती विकास में मदद करेंगे। बीज के अंकुरण और वृद्धि की प्रक्रिया इस तरह से होती है कि इसके छंटने के बाद भी इन्हें ध्यान की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। साथ ही यह तकनीक मिट्टी में किसी भी जुताई और खुदाई छेद की आवश्यकता को भी समाप्त करता है। चूंकि ये बीज पहले से ही मिट्टी, पोषक तत्वों और सूक्ष्मजीवों के लेप से ढंके हुए है और इन्हें किसी भी तरह के ध्यान की आवश्यकता नहीं है। इसलिए रोपण की इस पद्धति को ‘फायर एंड फॉरगेट’ के रूप में भी जाना जाता है।
ड्रोन की क्षमता
अधिकारियों के अनुसार, एरियल सीडिंग की यह परियोजना 18 जुलाई को शुरू हुई थी और बुधवार 29 जुलाई को समाप्त हुई। इसने फरीदाबाद, यमुनानगर, पंचकुला और महेंद्रगढ़ के चार जिलों को कवर किया। इस पद्धति का इस्तेमाल कर लगभग सवा सात लाख बीज बिखेरे गए हैं। वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस परियोजना के लिए दो ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। एक सिंगल सीडिंग ड्रोन एक बार में 2 किलोग्राम बीज ले जाने में सक्षम है। विभिन्न आकारों के बीजों के लिए “सटीक वितरण तंत्र” से लैस, ड्रोन पूर्व निर्धारित अंतराल पर बीजों को गिराता है। एक एकल ड्रोन प्रति दिन 20,000-30,000 बीज लगाने में सक्षम है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. अमरिंदर कौर ने कहा, “हरियाणा में यह परियोजना प्रायोगिक आधार पर अरावली और शिवालिक पहाड़ियों के दुर्गम या कठिन स्थलों पर कम वनस्पति घनत्व को पुनर्जीवित करने के लिए किया गया है।” इनके अनुसार, परियोजना के पायलट चरण में, 100 एकड़ भूमि पर “बीज फैलाव तंत्र की प्रभावशीलता का परीक्षण करने और सफलता दर की समीक्षा करने के लिए वृक्षारोपण की इस विधि को लागू किया गया था। ड्रोन सीडिंग अभ्यास प्रति हेक्टेयर औसतन 5,000 बीज के साथ किया गया था।
अरावली क्षेत्र में लगाई गई पौधों की प्रजातियां
अरावली क्षेत्र में रोपण के लिए पौधों की वो प्रजातियां चुनी गईं हैं जो उस क्षेत्र में आसानी से बढ़ सकते हैं। इनमें बबूल सेनेगल (खैरी), ज़िज़िफस मौरिटिआना (बेरी), और होलेरहेना एसपीपी (इंद्रजो) शामिल हैं। इनके अलावा जंगल जलेबी, रौद्र, व छापड़ी पौधों के भी बीज शामिल हैं। इन सभी में इन क्षेत्रों में जीवित रहने की अधिक संभावना है। हम इस बार अच्छे अंकुरण की उम्मीद करते हैं, प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. अमरिंदर कौर ने कहा। साथ ही उन्होंने यह भी भी कहा कि यह तकनीक स्थानीय समुदाय, विशेषकर महिलाओं को भी काम के अवसर प्रदान करेगा, जो सीड बॉल तैयार कर सकते हैं।
इस योजना का उद्देश्य यह है कि मुश्किल व दुर्गम स्थलों को भी हरा-भरा बनाया जा सके। ड्रोन का उपयोग करने से हम बीज को कम समय में मुश्किल साइटों तक पहुंचा सकते हैं। जैसा कि मानसून आ गया है, इन बीजों के अंकुरित होने से इस क्षेत्र में हरियाली छा जाएगी और पर्यावरण को बेहतर बनाया जा सकेगा। The Logically ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल कर एरियल सीडिंग के इस प्रयास के लिए आभार व्यक्त करता है और अच्छे अंकुरण की उम्मीद करता है।
Logically is bringing positive stories of social heroes working for betterment of the society. It aims to create a positive world through positive stories.