Monday, December 11, 2023

डाकिया ने रोज 15 किमी. जंगली रास्तों पर पैदल चलकर पहुंचाए पत्र , लोग कर रहे भारत रत्न देने की मांग !

एक ऐसा डाकिया जिसने दुर्गम रास्तों पर चलते हुए इमानदारी और मेहनत से लोगों तक उनके संदेश पहुँचाए ! कुछ दिनों पूर्व उन्होंने अपनी नौकरी का कार्यकाल पूरा किया है ! जिस अथक मेहनत से डी. सिवन ने अपनी जिम्मेदारी निभाई है लोग उनके लिए भारत रत्न और पद्मश्री जैसे सम्मान की माँग कर रहे हैं !

डी. सिवन तमिलनाडु राज्य के रहने वाले हैं ! वह एक साधारण परिवार से आते हैं ! वह एक डाकिया के तौर पर तमिलनाडु राज्य में हीं नियुक्त थे ! वह ना सिर्फ मेहनतमश इंसान हैं बल्कि इमानदार और जिम्मेदार भी ! अपने कार्यों और जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हैं डी. सिवन !

रोजाना 15 किलोमीटर का दुर्गम सफर

डी. सिवन की पोस्टिंग ऐसी जगह पर थी जहाँ पर उन्हें लोगों को संदेश पत्र पहुँचाने के लिए प्रतिदिन लगभग 15 किलोमीटर का सफर पैदल चलना पड़ता था ! यह रास्ता पहाड़ी और जंगली होने के कारण बेहद दुर्गम है ! इस रास्ते में हमेशा जंगली जानवरों का खतरा रहता है ! सिवन का कई बार जंगली जानवरों से सामना भी हुआ लेकिन सिवन बिना डरे अपने कर्म-पथ पर निरन्तर चलते रहे ! दुर्गम रास्ता और जंगली जानवरों का भय भी उनकी निडरता ,साहस और कार्य को डिगा नहीं सके ! वह निरन्तर रूप से लोगों के संदेश-पत्र उनके दरवाजे तक पहुँचाते रहे !

लोग उन्हें पुरस्कार देने की कर रहे माँग

जिस दुर्लभ रास्तों पर चलकर डी. सिवन ने लोगों तक संदेश पहुँचाए हैं उनकी प्रशंसा हर जगह हो रही है ! लोग सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी बात सरकार तक पहुँचा रहे हैं और डी. सिवन को भारत रत्न या पद्मश्री सम्मान जैसे पुरस्कार की माँग कर रहे हैं ! आईएस अफसर सुप्रिया साहू लिखती हैं “पोस्टमैन डी. सीवन रोजाना 15 किलोमीटर पैदल चलकर कुनूर के घने जंगलों में हाथी , भालू जैसे जानवरों का सामना करते हुए लोगों तक उनके पत्र पहुँचाते थे ! वो फिसलन भरे रास्तों, झरनों, और सुरंगों को भी पार करते ! 30 वर्षों से वह इसी तरह से काम कर रहे थे ! हलांकि बीते हफ्ते वे रिटायर हो गए” ! एक अन्य शख्स के. ए. कुमार ने लिखा “मैंने 2018 में इनका इंटरव्यू किया था ! वह भारत रत्न के हकदार हैं ! कम से कम उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से तो नवाजा हीं जाना चाहिए” !

डी. सिवन ने जिस तरह से अपने कार्यों के प्रति समर्पित रहकर अपनी जिम्मेदारियों को निभाया है वह सचमुच प्रेरणाप्रद है ! Logically डी. सीवन जी के साहस और समर्पण को नमन करता है !

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