Home Environment

छत्तीसगढ़ के कुम्हार ने बनाया 24 घण्टे जलने वाला जादुई दिया, पूरे देश से हो रही है इसकी डिमांड

आजकल सोशल मीडिया पर एक दीये की बहुत चर्चा है और हो भी क्यों न यह कोइ ऐसा-वैसा दीया थोड़ी न हैं। यह एक खास किस्म का दीया है जिसमे आपको बार बार तेल डालने की ज़रूरत नही पड़ती। यह जादुई दीया बनाया है छत्तीसगढ़ के रहने वाले अशोक चक्रधारी ने (Ashok chakradhari)। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के कोंडागांव ज़िले के कुम्हारा पारा के रहने वाले अशोक चक्रधारी 40 वर्षो से कुम्हार का काम करते हैं और कच्ची मिट्टी से मूर्तियों का निर्माण करते हैं। इन्होंने चौथी कक्षा तक पढ़ाई की और उसके बाद अपने पिता के साथ कुम्हार के काम मे लग गए। माता-पिता के निधन के बाद घर की सारी जिम्मेदारी अशोक के कंधो पर आ गयी ।
शुरू में अशोक घर-घर जा कर लोगो के घरों में मिट्टी के केवलु बनाते थे।

magic lamp made for soil

यह दिया बनाने का विचार कैसे आया

अशोक बताते हैं 35 साल पहले भोपाल में एक प्रदर्शनी लगी थी जिसमे एक कलाकार ने मिट्टी की कई तरह की चीज़ो का निर्माण किया था। जिसे देख अशोक को यह अहसास हुआ कि मिट्टी से कई तरह की वस्तुएं बनाई जा सकती हैं। अशोक बताते है कि इस तरह के दीये का निर्माण वह पिछले साल से करने की कोशिश कर रहे थे पर पहले के तीन प्रयास में वह विफल हो गए । अपने चौथे प्रयास में अशोक ने इस दीये का निर्माण किया। इसके बाद उन्होंने यह दीया अपने दोस्तों को दिखाया और इस तरह से यह दिया इस दीवाली सबकी नजर में आया।

यह भी पढ़े :- कामधेनु आयोग ने गाय के गोबर और मिट्टी से 33 करोड़ दीये बनाने का लिया संकल्प: आत्मनिर्भर भारत

इस दीये की ख़ासियत

अशोक के बनाये इस दिए के दो भाग हैं। नीचे के भाग में दिया-बाती लगाई जाती है और ऊपर के भाग में जो कि एक मटकी की तरह है उसमें तेल भरा जाता हैं। जब दिए के निचले हिस्से में तेल कम होने लगता है तब ऊपर के मटकी नुमा भाग से तेल अपने आप धीरे धीरे निकलने लगता हैं। इस तरह आपको बार बार दीये में तेल नही भरना पड़ता हैं।

पहले थी काम की कमी पर आज हैं इस दिए के कारण समय की कमी

अशोक बताते है कि पहले प्लास्टर ऑफ पेरिस, प्लास्टिक आदि के सामान की बाज़ार में ज़्यादा मांग थी जिसके कारण उनके मिट्टी के सामान की बिक्री नही हो पाती थी। अगर कोई खरीदता भी तो पैसे कम देता । इन सब के कारण अशोक के कई साथी तो यह पेशा छोड़ कर किसी और काम मे लग गए। पर अशोक ने हिम्मत नही हारी और अपने काम मे लगे रहे। आज अपने इस जादुई दीये के कारण अशोक को समय नही मिल पा रहा। पहले वह एक दिनमे 30 दीयों का निर्माण कर लेते थे पर अब दीयो की मांग के कारण एक दिन में 100 दीयो का निर्माण करना पड़ता हैं। इस काम मे उन्होंने 10 अन्य साथियों की मदद ले रहे हैं ताकि दीवाली तक वह मांग के अनुसार दिये बना सके। आज अशोक के पास दिल्ली, मुंबई और भोपाल जैसे शहरों से दिये के लिए फ़ोन आ रहे हैं।
इस दीये की क़ीमत 200 रुपए और अगर इसे भेजना हो तो पैकेजिंग और ट्रांसपोर्ट की कीमत अलग से लगेगी।

पिछले साल अशोक चक्रधारी (Ashok chakradhari) साल केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय की ओर से मेरिट प्रशस्ति पत्र दे कर समानित किया गया था ।

मृणालिनी बिहार के छपरा की रहने वाली हैं। अपने पढाई के साथ-साथ मृणालिनी समाजिक मुद्दों से सरोकार रखती हैं और उनके बारे में अनेकों माध्यम से अपने विचार रखने की कोशिश करती हैं। अपने लेखनी के माध्यम से यह युवा लेखिका, समाजिक परिवेश में सकारात्मक भाव लाने की कोशिश करती हैं।

2 COMMENTS

Comments are closed.

Exit mobile version