अक्सर लोगों को नदियों, झीलों के आसपास घूमना बेहद पसंद होता है। इस शौक को पूरा करने के लिए जब आप नदियों और झरनों के किनारें जाते हैं तो वहां आपने ढेर सारे पत्थर देखें होंगें, जो यूँ हीं किनारें पर बिखरे रहते हैं। लेकिन यदि आपसे कहा जाए कि ये पत्थरें बेकार नहीं हैं, तो आपको हैरानी होगी। जी हां, यहां एक शख्स ऐसा भी है जो इन पत्थरों से क्रिएटिव आर्ट बनाकर अच्छी-खासी कमाई करता है। इसी कड़ी में आइए जानते हैं उस शख्स के बारें में विस्तार से-
कौन है वह शख्स?
हम बात कर रहे हैं प्रल्हाद भगवानराव पवार (Pralhad Bhagwanrao Pawar) की, जो महाराष्ट्र (Maharastra) के परभणी जिले के रहनेवाले हैं। इनके द्वारा बनाई गई क्रिएटिव प्रोडक्ट को लोगों को काफी पसंद आते हैं जिसके कारण उनका डिमांड भी अधिक है। वे पिछले 5 वर्षों से अपनी कला के जरिए नदी किनारें के पत्थरों का इस्तेमाल करके तरह-तरह के शानदार आर्ट बना रहे हैं। इसके लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया जा चुका है। इस कला के जरिए वे बेहतर कमाई भी कर लेते हैं।
प्रल्हाद बताते हैं कि, उनके जीवन का अधिकांश समय गांव की गलियों में व्यतीत हुआ है। उनके यहां गोदावरी नदी बहती है जहां वे अक्सर खेलने या घूमने के लिए जाते थे। वहां किनारे पड़े पत्थरों से वे खेल-खेल में ही भिन्न-भिन्न डिजाइन की कलाकृतियां बनाते थे। उसी समय से इस काम के प्रति उनका रुझान बढ़ने लगा और वे इस क्षेत्र में आगे बढ़ने लगे। हालांकि, ऐसा करने की उनकी कोई प्लानिंग नहीं थी और न ही उन्हें यह क्या है कैसे में के बारें में अधिक जानकारी थी
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एक महिला की कलाकृति से बढ़े आगे
वह बताते हैं कि, उन्होंने साल 2016 में पत्थरों से एक महिला की कलाकृतियां बनाई, जो उनके एक परिचित को बेहद पसंद आई और उसने खरीद लिया। इतना ही नहीं उस परिचित ने ऐसे ही अन्य कलाकृतियों की इच्छा जताई। यह उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट था, वह कहते हैं वह आर्ट यूनिक और नया था, इसलिए लोगों को काफी पसंद आया। लेकिन आज की तुलना में देखा जाए तो वह सामान्य कलाकृति थी। सामान्य आर्ट होने के बावजूद भी लोगों का प्यार देखकर उन्हें समझ आ गया कि इस आर्ट से पैशन को पूरा करने के साथ-साथ कमाई का जरिया भी बनाया जा सकता है।
महाराष्ट सरकार द्वारा दी गई फेलोशिप देख हुए प्रेरित
अब प्रल्हाद ने इस आर्ट को बड़े लेवल पर शुरु करने के लिए नदी किनारे पड़े पत्थरों को इकट्ठा करके कलाकृतियां बनानी शुरु कर दी। अब उन्हें इनके लिए मार्केटिंग की जरुरत थी, जिसके लिए वे भिन्न-भिन्न जगहों पर प्रदर्शनी लगाकर मार्केटिंग करनी शुरु किए। उसी दौरान उन्हें महाराष्ट्र सरकार द्वारा 3 वर्ष की फेलोशिप दी गई, जिसमें आर्ट के बारें में अनेकों जानकारियां मौजूद थीं। उस फेलोशिप में सामाजिक अभियान से जुड़ी कई सारी चीजें जो अलग-अलग थीम पर थी, देखकर वे उसके प्रति काफी प्रेरित हुए।
हर कला के पीछे एक वजह छुपी होती है चाहे वह वजह सामाजिक बुराइयों को दिखाने के लिए हो या किसी घटना से प्रेरित होकर हो या ऐसे ही अन्य वजह हो। वह बताते हैं कि, किसी चीज के बारें में हम जितना सोचेंगे, जितना इसके बारें में अलग-अलग कल्पना करेंगे आर्ट उतना ही अधिक बेहतर बनेगा। Pebble Art making business by Maharastra man Pralhad Bhagwanrao pawar.
पत्थरों से बनाते हैं कई सारी क्रिएटिव आर्ट्स
प्रल्हाद ने नदी किनारे के पत्थरों का इस्तेमाल करके मूर्ति, होम डेकोरेशन आइट्मस और सामाजिक जागरुकता से जुड़े आर्ट्स बनाने लगे और वर्ष 2020 में एक स्टार्टअप “सृष्टि आर्ट” (Srishti Art) की नींव डाली। वैसे तो किसी भी काम को शुरु करने के लिए ट्रेनिंग की जरुरत होती है, वहीं यदि मन में कुछ सीखने की इच्छा हो तो किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ा जा सकता है। लेकिन प्रल्हाद को इस काम को करने के लिए किसी भी प्रकार के प्रशिक्षण की जरुरत नहीं पड़ी, वे रोज कुछ-न-कुछ नया सीखने की इच्छा से आगे बढ़ते गए।
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पत्थरों से कैसे बनाते हैं आर्ट?
बता दें कि, किसी भी आर्ट को बनाने से पहले वे उसके थीम के बारें में सोचते हैं। जब थीम सेट हो जाता है तब वे गोदावरी नदी, बोरी और बेतवा जैसी नदियों से थीम के अनुसार पत्थरों को ढूंढकर इकट्ठा करते हैं। उसके बाद इन पत्थरों को एक विशेष गोंद से जोड़कर आर्ट तैयार करते हैं। पत्थरों से बने आर्ट की विशेषता यह है कि वे बिना कटे हुए पत्थरों से बनाए गए होते हैं। जी हां, प्रल्हाद प्राकृतिक पत्थरों से बेहतरीन कलाकारी करते हैं।
प्रल्हाद 1000-1200 रुपये लगात से एक प्रेम को तीन दिन में तैयार करते हैं। वहीं वे अपने आर्ट को 9×12 के साइज में फ्रेम करते हैं। प्रल्हाद के अनुसार, पत्थरो से कलाकारी करना पेबल आर्ट (Pebble Art) के अंदर ही आता है, जो एक बेहद ही अनोखी कला है।
एक उत्तम वक्ता, हाडाचा पत्रकार, ग्रामविकासाचे शिलेदार , एक उत्तम मार्गदर्शक , दिलदार मित्र माझे सहकारी श्री बाळू राठोड सर आपणास वाढदिवसाच्या हार्दिक शुभेच्छा 💐💐@BaluD_Rathod pic.twitter.com/HoaqNPLqDe
— Artist Pralhad Pawar Wazurkar (@PralhadPawar16) April 24, 2022
मार्केटिंग के लिए करते हैं सोशल मीडिया का इस्तेमाल
किसी भी बिजनेस को बढ़ाने के लिए मार्केटिंग करनी बहुत जरुरी होता है। प्रल्हाद भी मार्केटिंग के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए वे अपने द्वारा बनाई गई कलाकृतियों का फोटो और उसका वीडियो बनाकर व्हाट्सएप ग्रुप और सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से ही लोग अपने पसंद के अनुसार, उनके आर्ट को पसंद करते हैं और ऑनलाइन वहीं उसका ऑर्डर देते हैं, जिसके बाद प्रल्हाद प्रोडक्ट को कूरियर के जरिए उनतक पहुंचाते हैं। इसके अलावा वे लोगों द्वारा डिमांड की गई कलाकृतियां भी बनाते हैं।
बता दें कि, अपने प्रोडक्ट की बिक्री के लिए वे सिर्फ ऑनलाइन ही नहीं बल्कि अलग-अलग जगहों पर भी स्टॉल लगाते हैं। अभी तक वे राजस्थान मध्य प्रदेश महाराष्ट्र समेत अन्य कई राज्यों में स्टाल लगा चुके हैं उनके एक आर्ट की कीमत 1500 रुपए है। Pebble Art making business by Maharastra man Pralhad Bhagwanrao pawar.
सरकारी अभियानों के लिए भी बना चुके हैं कलाकृति
प्रह्लाद अभी तक गणेश चतुर्थी और शिक्षक दिवस के अवसर पर कई सारे आर्ट बना चुके हैं। उनके द्वारा बनाई गई एक आर्ट का नाम माई टीचर रॉक्स है। इसमें दिखाया गया है कैसे एक शिक्षक बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत लड़कियों को शिक्षा दे रहा है। वहीं उनके द्वारा बनाए गए एक अन्य कलाकृति में यह प्रस्तुत किया गया है कि एक युवा लड़की पौधें की पानी दे रही है। इसके अलावा एक आर्ट में उनके द्वारा स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 अभियान के तहत चेहरे पर मास्क लगाए एक महिला द्वारा सड़क पर झाड़ू लगाते हुए चित्र को चित्रित किया गया है।
हालांकि, कोविड-19 ने सभी के बिजनेस को ठप करने का काम किया है। प्रल्हाद की कलाकृतियां भी कोरोना महामारी के कारण कम बिक रही हैं। ऐसे में उनकी चाहत है कि इस कला को पहचान मिले और अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे। बता दें कि इस आर्ट के लिए उन्हें कई लोग सम्मानित कर चुके हैं।