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इस किसान ने पारम्परिक खेती छोड़ शुरू किया औषधीय पौधों की खेती, कमाई ने किस्मत बदल दी

आज से पहले हम बहुत से कामयाब कृषकों की बात कर चुके हैं, परंतु आज की हमारी कहानी उससे बिल्कुल अलग है। आमतौर पर हम ऐसे कृषिकों की बात करते हैं जो कि फल ,फूल या सब्जिया उगाते हैं। पर आज हम एक ऐसे कृषि की बात करेंगे जो यह सब से भिन्न कई प्रकार की औषधि में अपना हाथ आजमा रहे हैं और वह इस कार्य में सफल भी हो रहे हैं।

प्रसेनजीत कुमार (Prasenjit Kumar)

प्रसेनजीत कुमार झारखंड (Jharkhand) के बोकारो (Bokaro) जिले के कसमार प्रखंड (kasmar prakhand) के रहने वाले हैं। हर युवा के मन में अच्छी भविष्य की चाह होती हैं। इसके लिए युवा अच्छी नौकरी की और भागते हैं परंतु प्रसेनजीत ने ऐसा नहीं किया उन्होंने कृषि का मार्ग चुना। उन्होंने औषधि के पौधे से शुरूआत की।

प्रसेनजीत ने लगाए औषधि के पौधे

प्रसेनजीत स्टीविया (मीठी तुलसी) के कुछ पत्तों से अपनी खेती की शुरूआत की। वह स्टीविया के पत्ते चेन्नई (Chennai) से मंगाए थे सिर्फ के इतना ही नहीं प्रसेनजीत खेती की जानकारी लेने के लिए चेन्नई भी गए। पूरी जानकारी प्राप्त करने के बाद वो 14 एकड़ में उसकी खेती कर रहे हैं।

Herbal farming

महिलाओ को मिला रोजगार

प्रसेनजीत साल 2020 के फरवरी माह में, एक एकड़ जमीन पर नोनी के लगभग 50 पौधे लगा चुके हैं। उनकी खेती में पत्ते की छंटाई और पैकिंग का काम महिलाएं करती हैं। कुल 15 महिलाएं इस काम में लगी हैं जिनकी हर महीने की आमदनी 3 से 4 हजार रुपये है।

प्रसेनजीत ने शुरू की ऑनलाइन प्रक्रिया

प्रसेनजीत स्टीविया (मीठी तुलसी) के पत्ते से जूस का उत्पादन करते हैं। जब वह इस कार्य में सफल हुए उनका कारोबार कई राज्यों में फैल गया, तब उन्होंने इसे ऑनलाइन भी बेचना शुरू किया।

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प्रसेनजीत द्वारा स्टीविया की जानकारी

प्रसेनजीत बताते हैं की हर तीन महीने बाद स्टीविया पू पतर्ण रूप से तोङने के लिए तैयार हो जाते हैं। पत्ते को तोङने के बाद वह इसे सुखाकर घर में ही इसकी पैकेजिंग करते हैं। जिसमें 15 महिलाओं के साथ 250 युवा कमीशन एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं। प्रसेनजीत ना सिर्फ अपने लिए रोजगार का जरिया बनाया साथ हीं बहुत से युवाओं को भी रोजगार दिया।

The logically प्रसेनजीत कुमार के नई सोंच की तारीफ करता है, और उन्हें उनके इस कामयाबी के लिए बधाई देता है।

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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