“हम माहवारी को बंद नहीं करा सकते, कुदरत पर हमारा कोई बस नहीं है। जैसे-तैसे करके इसे संभालना ही होता है। इस वक़्त हम फटे-पुराने कपड़ों से काम चलाते हैं।” ये उन महिलाओं की लाचारी है जिनके लिए पीरियड्स के दौरान सेनेटरी पैड खरीदना तो दूर साफ कपड़े की भी व्यवस्था हो जाए तो बड़ी बात है।
थोड़ी-बातचीत के बाद ये महिलाएं सहज होकर बात करने लगती हैं। एक महिला मुड़कर अगल-बगल देखती हैं कि कहीं कोई हमारी बात सुन तो नहीं रहा। फिर धीमी आवाज़ में बताती हैं, “मेरी बेटी तो जिद करती है कि वो पैड ही इस्तेमाल करेगी, कपड़ा नहीं।” (मजदूर महिलाओं से मेरी बातचीत के कुछ अंश)
इनके लिए प्यूबर्टी स्टेज पर पीरियड बन जाता है चैलेंज
बाजार में तरह तरह के कंफर्टेबल सेनेटरी पैड्स (Sanitary Pads) मौजूद हैं लेकिन इसे खरीदना हर किसी के बस की बात नहीं। खामियाजा शारीरिक तौर पर उन लड़कियों को ज्यादा झेलना पड़ता है जो प्यूबर्टी स्टेज (Puberty stage) में प्रवेश करने वाली होती हैं। आर्थिक तौर पर कमजोर होने के साथ उनके पास कोई एक्सपीरिएंस भी नहीं होता।
सिर्फ पैड नहीं ये उनके लिए कॉन्फिडेंस है
प्रयागराज (Prayagraj) में “शुरुआत – एक ज्योति शिक्षा की” समाजिक संस्था (Social organisation) के फाउंडर अभिषेक शुक्ला ने जब महिलाओं की इस समस्या के प्रति अपनी टीम के साथ पहला कदम उठाया था तब उन्हें भी नहीं पता था कि इस कोशिश से उन तमाम लड़कियों के अंदर एक नया कॉन्फिडेंस अा जाएगा।
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हीन भावना से लोगों ने आंका, फिर भी नहीं थमे
अभिषेक बताते हैं की शुरुआती दौर में उन्होंने गरीब बस्तियों की ओर रुख कर के उन तमाम महिलाओं और लड़कियों से उनकी पीड़ा और जरूरतों के बारे में बातचीत करने की कोशिश की। हालांकि रिजल्ट ये रहा की उनमें ज्यादातर बात करने को तैयार नहीं होती थी या तो फिर आसपास के लोग उन्हें हीन भावना से देखकर आपत्तिजनक टिप्पणी करते थे।
पैड डिस्ट्रीब्यूट करने तक नहीं बनी बात
इन सभी बातों को देखते समझते उन्होंने सेनेटरी पैड्स डिस्ट्रीब्यूट करने की पहल शुरू की लेकिन बाद में पता चला कि इसका इस्तेमाल भी वें सीमित तौर पर करती थी। खासतौर पर तब जब उन्हें किसी संस्था के माध्यम से पैड मुहैया हो जाता था या तो कोई व्यक्तिगत तौर पर मदद कर देता था। अभिषेक का मानना है कि इवेंट बेसिस पर इनकी मदद करने से इस समस्या का हल नहीं हो सकता था। जरूरत थी एक नए शड्यूल की एक ऐसी व्यवस्था की जिससे इन महिलाओं को हर महीने मदद मिल सके।
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अब प्रयागराज में भी मौजूद फ्री सेनेटरी पैड बैंक
इसी कड़ी में शुरुआत संस्था ने 1 जनवरी को प्रयागराज के पहले सेनेटरी पैड बैंक का शुभारंभ किया है। ये यूपी का तीसरा पैड बैंक है। जो जरूरतमंद महिलाओं और लड़कियों को फ्री पैड उपलब्ध कराएगा। इसके लिए आपको केवल रजिस्ट्रेशन कराना होगा जिसके बाद एक पासबुक मुहैया कराई जाएगी। हर महीने आप पासबुक पर एंट्री करा के पैड बैंक से खुद फ्री पैड्स ले सकती हैं।
फिलहाल शुरआत संस्था अपनी इस पहल को सांझा करने के लिए प्राथमिक स्कूलों में विशेष कैंपेन चलाने जा रही है। जहां लड़कियों को पैड बैंक की सुविधाओं और उससे जुड़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
ऐसे काम करेगी चेन पॉलिसी
“शुरुआत” संस्था से लगभग 100 से भी ज्यादा लड़कियां जुड़ी हुई हैं। इसमें शालिनी, अंजू, अंकिता, अंजली, श्रद्धा, यामिनी, पूजा, श्रेया, आशिया और तमाम लड़कियों वॉलंटियर के तौर पर काम कर रही हैं।
अभिषेक ने बताया कि उन्होंने हर एक लड़की से 10 ऐसी लड़कियों को इस मुहीम से जोड़ने की अपील की है जो माहवारी के दौरान पैड नहीं इस्तेमाल करती हैं। संस्था ने इसे चेन पॉलिसी का नाम दिया है। इस पॉलिसी का फायदा यह है कि इससे कई बस्तियां कवर की जा सकेंगी।
“जब हर एक लड़की सेनेटरी पैड के महत्व को समझने लगेगी और इसका नियमित तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। वही हमारे लिए उपलब्धि होगी।”
अभिषेक शुक्ला, फाउंडर “शुरुआत – एक ज्योति शिक्षा की”
जुड़िए एक पैड एक जिंदगी के नाम से
संस्था को फिलहाल किसी भी तरह का सीएसआर या फंड नहीं मिलता है। लेकिन उन तमाम लोगों की मदद जरूर मिल रही है जो इस मुहीम से जुड़ना चाहते हैं। अबतक ऐसे कई लोग है जो पैड या पैड को खरीदने का मूल्य देकर अपना योगदान देते आए हैं। आप भी इन जरुरतमंद लड़कियों की मदद करने के लिए पैड या फंड डोनेट कर सकते है। इसकी शुरुआत एक पैड डोनेट कर के भी की जा सकती है।
अधिक जानकारी के लिए आप इस नंबर पर +91 70079 17085 पर संपर्क कर सकते हैं। आपकी एक छोटी कोशिश किसी जरूरतमंद के चेहरे पर मुस्कान लाएगी।