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पिता से सीखी बढ़ई का काम, आज घर के साथ दुकान भी संभालती हैं: प्रीति हिंगे

प्रीति हिंगे

आज महिलाएं पुरुष से कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। महिलाएं हर वो काम कर रही हैं जो पुरुष करते है। कहा जाता है कि महिलाएं सिर्फ घर संभालने के लिए होती हैं। जिससे वो अपना सिर्फ घर संभाले और पुरुष बाहर काम करें। परंतु यह बिल्कुल गलत है। आजकल की महिलाएं घर संभालने के साथ-साथ बाहर भी अपना काम करती हैं। आज महिलाएं सभी काम में अव्वल हैं। कई मामलों में तो पुरुषों के मुकाबले महिलाएं बेहतर काम करती हैं।

कहते हैं कि नारी में इतनी शक्ति होती है कि वह किसी काम को करने की ठान ले तो वो काम जब तक सफल नहीं हो जाता हुआ करती रहती हैं और उन्हें अंततः सफलता जरुर हासिल होती है। आज हम आपको एक ऐसे ही कहानी के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपने पिता से बडही का काम सीख करके आज वह अपने घर परिवार को संभालते हुए कारपेंटर की दुकान भी संभालती हैं। वैसे तो हम लोगों ने पुरुषों को कारपेंटर का काम करते देखा है परंतु यह ऐसी महिला हैं पुरुषों के मुकाबले आज वो इस कारपेंटर की दुकान को काफी अच्छे तरीके से चला रही हैं।

• प्रीति हिंगे (Preety Hinge)

प्रीति हिंगे महाराष्ट्र के नागपुर की रहने वाली हैं। इनके पिता एक कारपेंटर थे जो लकड़ियों से कई तरह के सामान फर्नीचर जैसे बनाते थे। उसमें प्रीति के पिता के पास कोई दुकान नहीं था इसलिए वो अपने घर पर ही कारपेंटर का काम करते थे। वैसे तो इनके पिता ज्यादातर दूसरों के घरों में जाकर के काम किया करते थे। प्रीति बचपन से अपने पिता के इस कलाकारी को देखती आ रही थी जिसकी वजह से उन्हें इस कलाकारी में काफी रुचि होने लगा था।

प्रीति को इन लकड़ियों के समान बनाना तथा मकान बनाना इन सब में काफी रुचि थी जिसकी वजह से उन्होंने सोच लिया था कि हमें आगे चलकर के कारपेंटर का काम करूंगी। प्रीति इसके लिए अपने पिता को काम सिखाने के बारे में कहा जिससे वह लकड़ियों से फर्नीचर बना सकें इसके साथ-साथ वह अपना एक अलग दुकान खोल सकें। जब प्रीति ने कारपेंटर सीखने के लिए अपने पिता को कहा तो पिता अपनी बेटी की बात सुनकर काफी अचंभित हो उठे। उन्होंने सोंचा कि एक लड़की होकर के यह काम कैसे करेगी। परंतु फिर भी उन्होंने अपनी बेटी को निराश नहीं किया और इन्होंने प्रीति को काम सिखाना शुरू कर दिया।

Preety Hinge a Lady Carpenter
प्रीति हिंगे (महाराष्ट्र )

• पिता से सीखे फर्नीचर बनाने का हुनर

प्रीति अपने पिता के साथ बढ़ई का काम सीखने लगी। इन्होंने सबसे पहले पिता से फर्नीचर बनाने के औजार को चलाना सिखा। उनके पिता उन्हें बारीकी से हर चीज समझाते और सिखाते थे। प्रीति के इस कदम से वहां के रहने वाले आसपास के लोग काफी अलग नजरिए से देख रहे थे। लोगों ने काफी भला बुरा भी कहा। लोगों की इस तरह की बातें सुनकर के प्रीति के पिता को थोड़ा डर सा सताने लगा था। परंतु प्रीति ने इन सभी बातों को अनसुना करके वह अपना काम लगातार करते रहे। इनके कामों में इनके पिता काफी सहयोग कर रहे थे। जिसके बाद प्रीति ने इन कामों को काफी बारीकी से सीखा। जिसके बाद आगे चलकर के इन्होंने इस कारपेंटर के कामों में काफी अव्वल हो गए।

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• शादी के बाद खुद का खोला वर्कशॉप

प्रीति काफी बड़ी हो चुकी थी जिसके बाद इनके पिता ने प्रीति की शादी करने के बारे में सोंचने लगे। आगे चलकर उन्होंने प्रीति की शादी कर दी। शादी हो जाने के बाद प्रीति का दांपत्य जीवन अच्छा चल रहा था। उनकी संतान के रूप में एक बच्ची भी हो गई थी। परंतु घर की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी इसलिए प्रीति ने ठान लिया कि पिता के द्वारा सिखाए गए कारपेंटर की दुकान खोलेंगे और अपनी आर्थिक स्थिति इसी से मजबूत करेंगे। जिसके बाद इन्होंने नागपुर के वाठोडा में 8000 रुपए के किराए पर दुकान ले लिए।

दुकान के लिए यह पैसा प्रीति ने काफी मुश्किल से जुटा पाई थी। प्रीति अपने घर का सारा काम कर लेने के बाद अपनी बच्ची को गोद में उठाकर के प्रति दिन दुकान समय से जाती थी और काम पर लग जाती थी। यहां अपने इस काम को काफी मेहनत और लगन के साथ कर रही थी। इनका काम धीरे-धीरे काफी अच्छा चलने लगा और इन्हें फर्निचर बनाने के लिए काफी आर्डर आने लगे। इनकी बनाई हुई फर्निचर लोगों को काफी पसंद आने लगा। जिसके बाद यह और भी अच्छे तरीके से कारपेंटर का काम करने लगी और तरह-तरह के फर्नीचर बनाने लगी। बाद में फिर इनकी दो बच्ची और हुई परंतु इन्होंने अपने काम को कभी नहीं छोड़ा प्रेग्नेंसी के दौरान भी यह अपना काम करते रहे।

• बनाई पहली अलमारी

प्रीति ने जब अपने पिता से काफी हुनर सीख लिया तो इन्होंने एक आलमारी बनानी शुरू कर दी। प्रीति कारपेंटर का काम सीखने के बाद दिन का यह पहला काम था जो यह काफी बारीकी से बना रही थी। 20 साल की उम्र में प्रीति ने पहला आलमारी बना डाला। इनकी बनी हुई आलमारी को देख कर के इनके पिता काफी खुश हुए और अपने बेटी की हुनर को काफी सराहा। प्रीति की बनाई हुई अलमारी कुछ दिनों के बाद बिक भी गई। इसे देखकर प्रीति के अंदर का जज्बा और भी बढ़ गया और इन्होंने अपने भविष्य के बारे में सोचने लगा कि आगे चलकर के हम भी कारपेंटर का काम करेंगे।

पिता से सीखा बढ़ई का काम

• कोरोना के कारण पड़ा व्यवसाय पर असर

प्रीति का काम काफी अच्छा चल रहा था, लोगों के काफी आर्डर आने लगे थे। प्रीति को अब इतना आर्डर मिलने लगा कि इनकी कोशिश रहती थी कि पहले का आर्डर हम जल्द से जल्द दे दें। सब कुछ अच्छे से चल रहा था कि बीच में कोरोना जैसी महामारी आ गई, जिसके बाद प्रीति के व्यवसाय पर काफी असर पड़ने लगा। वैसे तो करोना की वजह से सभी की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी थी। वैसे ही प्रीति के व्यवसाय पर भी यह असर काफी पढ़ने लगा और काम धीरे-धीरे काफी कम हो गया परंतु वे हौसला नहीं हारीं। जब करोना का कहर धीरे-धीरे कम हुआ तो इनका काम फिर से वैसे ही चलने लगा। और लोगों के पहले की जैसा आर्डर आने लगे। आज प्रीति अपने इस व्यवसाय से नागपुर में प्रॉपर्टी खरीद चुकी हैं और इनका उद्देश है कि आगे चलकर के हम अपने इस व्यवसाय को और भी बढ़ाएंगे और एक अच्छा सा शोरुम खोलूंगी

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• भारत सरकार द्वारा स्किल इंडिया मिशन में लिया हिस्सा

प्रीति बताती हैं कि कोरोना के कम हो जाने के बाद हमारा काम फिर से अच्छे तरीके से चलने लगा। इसी बीच मुझे पता चला कि भारत सरकार द्वारा स्किल इंडिया मिशन के तहत द नेशनल इंस्टीट्यूट और अंत्रप्रेन्योरशिप एंड स्मॉल बिज़नेस डेवलपमेंट का प्रोग्राम चलाया जा रहा है। जब मुझे भारत सरकार के इस मिशन का पता चला तो मैं भी इस मिशन में हिस्सा लेने लगी। भारत सरकार के द्वारा चलाए गए यह अभियान में मैंने 15 दिन रह कर के यहां काफी कुछ सीखने को मिला।

• प्रेरणा

प्रीति हिंगे से हम सभी को यह प्रेरणा मिलती है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। और अगर हम अपने काम को तन-मन के साथ करें तो अंततः सफलता जरुर हासिल होती है। प्रीति ने अपने हौसले को कभी टूटने नहीं दिया लोगों की बातें सुनने के बावजूद भी इन्होंने अपने काम को आगे बढ़ाते चले गए जिसके बावजूद आज प्रीति हिंगे एक सफल महिला बन गई हैं।

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