कहते हैं “मेहनत करने वाले की कभी हार नहीं होती”। वह हर परिस्थिति में खुद को साबित करके ही दम लेते हैं। आज तक हमने ऐसे कई व्यक्तियों के बारे में बात की है, जो बेहद गरीबी से उभर कर आज एक सफल व्यक्ति बने हैं। ऐसे ही लोगों के लिए कहा जाता है कि “मन के जीते जीत हैं और मन के हारे हार है”। क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में जो भी लक्ष्य तय किया उसे पूरा करके दिखाया। उनके संघर्ष की यह कहानी हर युवा के लिए एक प्रेरणा बन जाती है।
अक्सर हम युवाओं को यह कहते हुए सुनते हैं कि उनके पास सुविधाएं मौजूद नहीं थी इसलिए वह सफल नहीं हो पाए। ऐसे युवाओं को इन व्यक्तियों से प्रेरणा लेना चाहिए कि सफलता प्राप्त करने के लिए सुविधाओं की कोई जरूरत नहीं पड़ती। – Prem Ganapathi from Tamil Nadu has made a small start and has achieved a good footing, has 70 outlets all over the world
दरअसल आज हम बात कर रहे हैं भारत के उस ‘डोसा किंग’ ( Dosa king) के बारे में, जिसका जन्म तो एक गरीब परिवार में हुआ, लेकिन वह अपनी मेहनत और लगन से खुद को इतना सफल बना लिया कि आज वह भारत के बङे व्यवसायियों में से एक बन गए हैं। डोसा किंग के नाम से प्रसिद्ध प्रेम गणपति (Prem Ganpati) तमिलनाडु (Tamil Nadu ) राज्य के तूतीकोरिन जिले के नागलपुरम के रहने वाले हैं। उनका जन्म (1973) एक गरीब में हुआ था। गरीबी के कारण वह चाह कर भी उच्ची शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए। वह केवल 10वीं तक की पढ़ाई कर पाए।
- 10वीं के बाद छोड़नी पड़ी पढ़ाई
प्रेम गणपति पर केवल अपना ही नहीं बल्कि अपने सात भाई-बहनों और माता–पिता की भी जिम्मेदारी थी। वह सबका पेट पालने के लिए बेहद ही कम उम्र में नौकरी की तलाश में निकल पड़े। शुरुआत में काफी ठोकर खाने के बाद भी वह केवल 250 रुपए ही कमा पाते थे। इसी दौरान एक जान-पहचान के व्यक्ति ने मुंबई में उन्हें काम का ऑफर दिया, जिसमें सैलरी 1200 रुपए थी। यह उनके लिए एक बहुत बड़ी रकम थी। प्रेम को इस बात का एहसास था कि उनके माता-पिता उन्हें मुंबई नहीं जाने देंगे इसलिए वह बिना घर में बताएं नौकरी का सपना लिए मुंबई चले गए। हालांकि जिस परिचित ने उन्हें बुलाया था। वह व्यक्ति ने प्रेम को ठग लिया और उससे 200 रुपए चुरा कर उन्हें वहां अकेला छोड़ दिया।
- बर्तन धोने से लेकर व्यापार शुरू करने का सफर
इस बार भी किस्मत ने प्रेम का साथ नहीं दिया, लेकिन वह इससे हार मानकर घर जाने के बजाय कुछ करने का फैसला किया। उन्हें माहीम की एक बेकरी में 150 रुपए में बर्तन धोने का काम मिल गया और रात में बेकरी में ही सोने की इजाजत भी मिल गई, जिससे प्रेम को रहने की जगह भी मिल गई और काम भी। 2 साल तक इसी तरह काम करने के बाद अब उनका लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना बन चुका था। साल 1992 तक प्रेम इतना पैसा जमा कर चुके थे कि वह अपना व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया। वह व्यवसाय वाशी रेलवे स्टेशन के सामने इडली-डोसा बेचने का था। – Prem Ganapathi from Tamil Nadu has made a small start and has achieved a good footing, has 70 outlets all over the world.
- इस तरह किए दुकान की शुरुआत
शूरुआत में प्रेम ने 150 रुपए महीने पर एक ठेला किराए पर लिया और 1 हजार रुपए में बर्तन, चूल्हा और अन्य जरूरी सामान खरीदे। काम को बढ़ाने के लिए प्रेम ने अपने दो भाइयों मुरुगन और परमशिवन को मुंबई बुला लिया। कुछ ही समय में प्रेम द्वारा बनाया गया खाना फेमस होने लगा। लोगों को उनकी खाने की क्वालिटी और साफ-सफाई काफी पसंद आई। स्वच्छता का ख्याल रखते हुए प्रेम खाना बनाते समय टोपी पहनते हैं ताकि खाने में बाल ना गिरे। कड़ी मेहनत से प्रेम को जल्द ही 20 हजार रुपए तक मुनाफा होने लगा।
- रेस्तरां का नाम प्रेम सागर डोसा प्लाजा रखा गया
प्रेम के ठेले को कई बार म्युनिसिपल अथॉरिटी द्वारा सीज भी किया गया, क्योंकि उनके पास ट्रेड लाइसेंस नहीं था, जिससे कई बार प्रेम को जुर्माना भी भरना पड़ा। इस समस्या को दूर करने के लिए उन्होंने रेस्तरां खोला। आपको बता दें कि कड़ी मेहनत से प्रेम ने साल 1997 में वाशी में 50 हजार डिपॉजिट और 5 हजार महीने के किराए पर एक रेस्तरां खोल दिया। रेस्तरां का नाम “प्रेम सागर डोसा प्लाजा” रखा गया। साथ ही मदद के लिए प्रेम दो कर्मचारियों को भी रखे। यह रेस्तरां कॉलेज स्टूडेंट्स के बीच काफी लोकप्रिय था। प्रेम पहले ही साल में इस नए रेस्तरां के जरिए खाने की करीब 26 वैरायटी शुरु किए और साल 2002 तक यहां 105 प्रकार के डोसे तैयार होने लगे।
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- देश और विदेश का मिलाकर 70 आउटलेट
प्रेम बताते हैं कि यह उनका सपना था कि वह मॉल में एक रेस्तरां खोले, लेकिन यह करना आसान नहीं था और उन्हें इसमें बार-बार असफलता मिल रही थी। हालांकि कहते हैं ना जो प्रयास करता है उसे सफलता जरूर मिलती है। कुछ ऐसा ही हुआ प्रेम के साथ भी साल 2003 में आखिरकार उनके किस्मत ने उनका साथ दिया और थाणे के वंडर मॉल में प्रेम का पहला फ्रैंचाइजी आउटलेट खुला, जिसका नाम ‘डोसा प्लाजा’ रखा गया था। आपको बता दें कि वर्तमान में डोसा प्लाजा की देश और विदेश का मिलाकर करीब 70 आउटलेट हैं। मुंबई से शुरु होकर प्रेम का डोसा न्यूजीलैंड, दुबई और ओमान तक पहुंच चुका है। रिर्पोट के अनुसार साल 2012 तक डोसा प्लाजा 30 करोड़ की कंपनी बन चुकी थी और वह लगातार आगे बढ़ रही है। – Prem Ganapathi from Tamil Nadu has made a small start and has achieved a good footing, has 70 outlets all over the world.