सुविधा की कमी इंसान के प्रगति में बहुत बड़ी बाधा है। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि बच्चें अच्छी सुविधा और सही मार्गदर्शन नहीं मिलने के कारण पढ़ाई में पिछड़ जाते है, क्योंकि हौसले के उड़ान को पंख की भी ज़रूरत होती है। हमारे आस-पास ऐसे कई प्रतिभावान बच्चें होते है जिनमें हर ऊंचाई को छूने का हौसला होते हुए भी अपने सपने को हकीकत में नहीं बदल पाते। कई बच्चों को किताब-कॉपी के अभाव में भी हम पढ़ाई से नाता तोड़ते हुए देखते है। कई लोग इस बात की गहराई को समझते हैं और जरूरतमंद बच्चों की मदद करना अपने जीवन का उद्देश्य बना लेते हैं। उन्हीं में से एक है अमिता शर्मा जो जरूरतमंद बच्चों को अबतक साढ़े 3 लाख किताबें मुफ्त में दे चुकी है।
अमिता शर्मा का परिचय
मेरठ (Meerut) की रहने वाली अमिता शर्मा (Amita Sharma) का कहना है कि कोई भी बच्चा किताबों के अभाव में पढ़ाई न छोड़े। अमिता का जन्म और पालन-पोषण उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद जिले के एक गांव में हुआ। वह बचपन में अपने कई साथियों को किताबों के अभाव में पढ़ाई छोड़ते हुए देखी थी, तभी से उनके जहन में यह बात थी कि वह ऐसा कुछ करें जिससे किसी भी बच्चें का किताब के अभाव में पढ़ाई से रिश्ता न टूटे। अमिता अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद गांव में ही बच्चों को मुफ्त ट्यूशन पढ़ाया करती थी और उन बच्चों के लिए पुरानी किताबों का बंदोबस्त भी करती थी, आगे यह काम उनका पैशन बन गया।
प्रेरणा बुक बैंक की शुरुआत
वक्त के साथ अमिता की शादी मेरठ के रहने वाले संजय शर्मा (Sanjay Sharma) से हुई जो एक कोचिंग सेंटर चलाते है। अमिता के तरह ही उनके पति का भी मानना है कि शिक्षा पर सबका समान अधिकार है, कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। अमिता शर्मा और उनके पति संजय शर्मा ने मिलकर साल 2016 में “प्रेरणा बुक बैंक” (Prerna Book Bank) की शुरुआत किए। बुक बैंक की शुरुआत वे अपने पास मौजूद मात्र 1100 किताबों से किए।
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प्रेरणा बुक बैंक (Prerna Book Bank) से कोई भी इच्छुक विद्यार्थी या बड़े बुज़ुर्ग अपनी रुचि या ज़रूरत के हिसाब से 1 महीने या 1 साल के लिए किताबें मुफ़्त में लेे जा सकते है, इसे लेने के लिए उन्हें सिर्फ आधार कार्ड की एक फोटोकॉपी जमा करनी पड़ती है। प्रेरणा बुक बैंक में स्कूल स्तर से लेकर कॉलेज स्तर, सरकारी परीक्षाओं के साथ साहित्य की सारी किताबें उपलब्ध है।
शुरुआत में अमिता लोगों के घरों से रद्दी किताबें इकट्ठा कर उनमें से सही किताबों का चयन कर अपने अभियान के लिए रखती थी। धीरे-धीरे लोग उनको जानने लगे और अब ख़ुद उन्हें फोन कर किताबों के लिए बुलाते हैं। पिछले 4 सालों में अमिता साढ़े 3 लाख़ से भी ज़्यादा किताबें जमा कर चुकी है, जिससे अनेकों छात्र छात्राओं की मदद हुईं। मेरठ (Meerut) में विजयनगर (Vijay Nagar) में इसका मुख्य केंद्र है। लोगों की बढ़ती मांग के लिए 4 और बुक बैंक की दूसरे शहर में भी शुरुआत किए – जो उत्तर प्रदेश (Utter pradesh), हरियाणा (Hariyana), दिल्ली (Delhi) और उत्तराखंड (Uttrakhand) में है। इन 4 राज्यों में 65 केंद्र शामिल है।
शुरुआत में उन्हें काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। लोगों के घर तक जाकर उन्हें जागरूक करना पड़ता था, लोगों ने काफी मदद भी की…जिससे यह सब संभव हो पाया। बुक बैंक से बहुत सारे बच्चों की किताबों वाली समस्या सुलझ गई। अनेक बच्चों ने अपनी पढ़ाई जारी रखी क्योंकि अब उन्हें मुफ्त में किताबें मिल जाती है। अमिता भी बच्चों को सफल होते देख बहुत खुश होती है कहीं न कहीं उनका मिशन कामयाब होते दिख रहा है।
अमिता शर्मा ने लॉकडाउन में भी बच्चों कि मदद करते आईं हैं। अनेकों बच्चों ने उनसे संपर्क किया तो वह लगभग 900 बच्चों के लिए किताबों की पीडीएफ उपलब्ध करवाई। अमिता के अनुसार उनका सफर यही तक सीमित नहीं रहेगा आगे उनकी और राज्यों में भी इस मुहिम की शुरुआत करने की योजना है। उनका कहना है कि शिक्षा पर सबका समान अधिकार है। किसी को भी किताबों से संबंधित किसी भी तरह की मदद कि ज़रूरत हो तो वह उनसे बेझिझक संपर्क कर सकते हैं।
हम आप सभी इस मुहिम का हिस्सा बन सकते है। आप भी बुक बैंक को पुरानी किताबें, अलमीरा या रैक आदि से किसी भी प्रकार की मदद कर सकते हैं। प्रेरणा बुक बैंक से संपर्क करने लिए आप 9808713111 पर कॉल कर सकते हैं। अमिता शर्मा की कहानी बेहद प्रेरणादायक है और इनका कार्य काफ़ी सराहनीय है। The Logically, Amita Sharma द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों के लिए आभार प्रकट करता है।