Tuesday, December 12, 2023

अपने घर पर 650 से भी अधिक गमलों में उगा रही हैं तरह तरह के फूल और सब्जियां, तरीका है बहुत ही सरल

महात्मा बुद्ध ने बहुत सुंदर एक बात कही है-
जब आपको एक फूल पसंद आता है तो आप उसे तोड़ लेते हैं। लेकिन जब आप उस फूल से प्यार करते हैं तो आप उसे रोज़ पानी देते हैं, जो इसको समझ गया, वो जीवन को भी समझ गया। इसी बात ने प्रीति पिहू के मन मे एक सकारात्मक बीज बो दी।

कौन हैं प्रीति-

प्रीति तेलंगाना की रहने वाली हैं और मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हैं। शुरुआती दिनों से ही उन्हें अपनी माँ से अलग रहना पड़ा। और आप तो जानते ही हैं कि एक बच्चे के लिए माँ की क्या अहमियत होती है। वो अपनी माँ को बहुत याद करती थीं। धीरे धीरे प्रीती को बहुत अकेला महसूस होने लगा, उन्हें ऐसा लगता था कि वो एक बिना पानी की मछली हैं। वो अपने आप को बोझ समझने लगी थी, उनका दिन चिन्ता और डिप्रेशन में ही गुज़रता था।

पौधों से मिली नई जिंदगी-

प्रीति ने बताया कि” यदि आपको कभी भी बहुत बुरा महसूस हो, अकेलापन लगे तो कभी पौधों को अपने जीवन मे एक बार शामिल कर के जरूर देखिएगा, वो आपके सारे कष्टो को दूर कर देंगे।” धीरे धीरे प्रीति, पेड़ पौधों के करीब आई, जिसने उन्हें डिप्रेसन से बाहर निकाला, उनके अकेलापन को दूर किया। उन्हें इस काम मे मज़ा आने लगा और कुछ ही दिनों में बागवानी उनके जीवन का खास हिस्सा बन गया।

Priti Pihus garden

बचपन से था पेड़ पौधों के प्रति लगाव-

प्रीति बताती हैं कि- उन्हें फूलों को छूना, उनके सुगन्ध को महसूस करना, बचपन से ही बहुत पसंद था। जब वो स्कूल में थी तो उनके स्कूल में बहुत सारे पौधे थे छोटा नर्सरी आप कह सकते हैं। वहा उनका कभी कभी आउटडोर क्लास भी होता था, तब प्रीति ने हर बार उसमे हिस्सा लिया। यहाँ तक की उस वक़्त उन्होंने एक नीम का पौधा भी लगाया था जो अभी काफी बड़ा पेड़ बन चुका है।

गर्मी की छुटियाँ अपने दादा जी के पास बिताया करती थी, उनसे भी मिली बागवानी की प्रेरणा-

दअरसल जब भी प्रीति को गर्मी की छुट्टी मिलती थी, तो वो अपने दादा जी के घर जाया करती थीं। उन्हें वहां जा कर बहुत अच्छा लगता था। उनके दादाजी को भी बागवानी का बहुत शौक था और साथ ही, उनके पास एक गाय भी थी। वो सभी जरूरत की सब्ज़िया खुद ही उगाते थे, ये सब देख के प्रीति को बहुत अलग अनुभव होता था।

यह भी पढ़े :- बहुत आसान तरीकों से अपने छत पर उगा रही हैं 20 तरह की आर्गेनिक सब्जियां: पूर्ण रूप से होता है कीटनाशक मुक्त

ग्रेजुएशन के बाद मिली जॉब, लेकिन मन मे कुछ और भी करने का था जज्बा-

जब प्रीति ने ग्रेजुएशन पास की तो उन्हें हैदराबाद में एक जॉब मिल गया , जहां उन्हें सुबह 8 बजे जाना होता था, और शाम को 6 बजे वो वापस आती थी। ज़िन्दगी अब इसी रूटीन में घूम रही थी साथ ही मन भी सन्तुष्ट नही था। फिर प्रीति अपने पसंदीदा कार्यों के बारे में सोचना शुरू किया। वो अध्ययन करने लगी कि उनको सबसे ज्यादा क्या करना पसंद है।

2018 में शुरू कर दी टेरेस गर्डनिंग-

आखिरकार प्रीति ने 2018 में टेरेस गर्डनिंग की शुरुआत की। पहले तो उन्हें नीचले तल से मिट्टी को टेरेस तक पहुचाने में कठिनाई लगी, फिर घरवालों की मदद से ये काम भी आसान हो गया।
कहते हैं ना ” जहां चाह है वहां राह है”। उन्होंने अपने टेरेस पर पत्तेदार सब्जियों को लगाया।

farming by priti

200 गमलो से शुरू किया ये काम, आज 650 से ज्यादा गमलों में उगा रही हैं फल और सब्जियां-

सबसे पहले प्रीति 200 गमले खरीद के लायी। इनमे से 100 उन्होने सब्ज़ियो के लिए रखा और बाकी 100 को फल के लिए। फिर खूब देखभाल कर के पौधों का ध्यान रखा और आगे बढ़ते गयी, पीछे मुड़कर कभी नही देखा। आपको बता दे कि आज प्रीति के पास 650 से ज्यादा गमले हैं । प्रीति जैविक खाद भी खुद तैयार करती हैं, जिसके लिए वो किचन वेस्ट, गोबर, आदि का इस्तेमाल करती हैं।

प्रकृति को नजदीक से महसूस करती हैं प्रीति-

प्रीति बताती हैं कि – सुबह सुबह जब पौधे, सूरज को निहारते हैं तो बहुत अच्छा महसूस होता है। जब वो उन्हें पानी देती हैं तो मिट्टी की खुश्बू , उनके दिन को तरोताजा कर देती है। चिड़ियों की चहचहाहट गूंजती रहती है। ये सब कभी कभी दैवीय लगता है, मानो प्रकृति मुस्कुरा रही हो।

प्रीति के इस खूबसूरत प्रयास और प्रकृति के प्रति स्नेह को The Logically सलाम करता है। आप भी अपने आस पास पेड़ पौधें लगाते रहे, और स्वस्थ रहें। धन्यवाद।