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आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर ने बना डाला सोलर दीया, दे रहे प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाने का संदेश

दिवाली देश का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। इसे हम दीपावली के नाम से भी जानते है। यह खुशियों का त्यौहार है। इस दिन हर तरफ रोशनी और खुशी का माहौल रहता है। दिवाली आने के कुछ समय पहले से ही हम घर की साफ-सफाई और सजावट में जुट जाते है। इससे घर में रौनक बढ़ जाती है। – Professor Chetan Singh Solanki invented the solar lamp.

दीपक से ज्यादा ध्यान लोग मिर्ची लाइट्स और अन्य चीनी लाइट्स पर दे रहे है

दिवाली में सबसे ज़रूरी चीज़ों में से एक हैं दीपक या दीया। पहले के समय में लोग दिए से अपने पूरे घर को सजाते थे, परंतु अब दिपावली में मिट्टी के दीपक जलाने का चलन कम हो रहा है, लोग नाम मात्र के लिए 2-4 मिट्टी के दीपक जलाते है। उनका पूरा ध्यान मिर्ची लाइट्स और अन्य चीनी लाइट्स पर ही होती है।

Professor Chetan Singh Solanki invented the solar lamp

प्रोफ़ेसर चेतन सिंह ने बनाया सोलर दिया

IIT Bombay के प्रोफ़ेसर चेतन सिंह सोलंकी (Chetan Singh Solanki) ने Solar दिया बनाया है। चेतन पिछले एक दशक से भी ज़्यादा समय से सोलर एनर्जी के क्षेत्र (Solar Energy Field) में काम कर रहे है और अब जाकर उन्होंने एक ऐसा दीपका बनाया है, जो तेल या बत्ती से नहीं बल्कि सूरज की किरण से जलेगी।

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चेतन चाहते है जलवायु में परिवर्तन लाना

आज के समय में भी कुछ लोग जलवायु परिवर्तन को मनघड़ंत कहानी बताते है, जबकि इसका सुबूत हमें रोज मिलता है। सोलर दिया बनाने के पीछे चेतन का यह उदेश्य है कि जलवायु परिवर्तन को लेकर लोगों के बीच जागरूकता फैले। उनके अनुसार हमें रिन्युएबल एनर्जी (Renewable Energy) का प्रयोग बढ़ाना होगा। भविष्य में पूरी तरह से सोलर एनर्जी पर स्विच करना ही होगा। – Professor Chetan Singh Solanki invented the solar lamp.

Solar दिया से कर सकते है सोलर एनर्जी की शुरुआत

प्रोफेसर चेतन के अनुसार हमें सोलर एनर्जी की शुरुआत इस छोटे से दीए से करना चाहिए। Solar दिया का बाहरी हिस्सा प्लास्टिक से बना है और उसके ऊपर एक Solid Panel है, जो लाइट को इलेक्ट्रिसिटी में बदलता है और एक बैट्री में स्टोर होती है। दिये के अंदर लगाया गया छोटा सा सर्किट ऊर्जा को लाइट में बदल देता है।

प्लास्टिक की जगह अन्य मैटेरियल से बना रहे है दीया

चेतन के द्वारा बनाए गए Solar Panel एक Light Sensor भी है, जो अंधेरे में दिया अपने आप जल उठता है और रौशनी में अपने आप बंद हो जाता है और चार्जिंग मोड में चला जाता है। पहले इस दीपक का बाहरी हिस्सा प्लास्टिक से बना था परंतु अब प्रोफ़ेसर चेतन प्लास्टिक की जगह कोई और मैटेरियल से दिया बनाने पर काम कर रहे हैं।

एक दीये की क़ीमत 250 रुपये है

प्रोफ़ेसर चेतन बताते है कि हम अभी भी दिया बनाने के लिए कोई और मैटेरियल खोज रहे हैं ताकी वह आसानी से टूटे ना। Solar Panel, बैटरी, LED 3-4 सालों तक आसानी से चलेगी लेकिन अगर मिट्टी से दिया बनाते है, तो वह आसानी से टूट जाएगा। चेतन द्वारा बनाया गया सोलर दिया energyswaraj.com पर आसानी से ख़रीदा जा सकता है, एक दीपक की क़ीमत 250 रुपये है।

चेतन सोलर मैन ऑफ़ इंडिया और सोलर गांधी के नाम से हो रहे है प्रसिद्ध

प्रोफेसर चेतन का सोलर दिया बनाने का उदेश्य ना केवल लोगों को जागरूक करना है बल्कि कुछ लोगों को रोजगार देना भी है। कुछ महिलाएं उनसे ट्रेनिंग ले कर अभी भी दीया बना रही हैं। प्रोफ़ेसर चेतन मध्य प्रदेश (Barwani, Madhya Pradesh) के बड़वानी जिले के रहने वाले है। उन्होंने IIT Bombay से मास्टर्स किया है और अब वह Texas Instruments, बेंगलुरू में काम कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने सोलर डिवाइसेज़ बनाया। भारत में प्रोफ़सर चेतन को सोलर मैन ऑफ़ इंडिया और सोलर गांधी कहा जा रहा है। – Professor Chetan Singh Solanki invented the solar lamp.

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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