Wednesday, December 13, 2023

हरियाणा के प्रोफेसर ने गोबर से बनाया घर, जानिए इस घर की खासियत

पहले के लोग अपने घर को मिट्टी से बनाते थे जिससे गर्मियों के दिन में मिट्टी का घर काफी ठंडा रहता था। इसके बाद धीरे-धीरे लोग सीमेंट, ईंट और बालू से घर बनाने लगे। लेकिन आपने कभी यह सुना है कि गोबर से घर बनाया जा सकता है। जी हां यह सच है। एक प्रोफेसर ने गोबर से अपने घर का निर्माण किया है।

हरियाणा के रोहतक में रहने वाले डॉक्टर शिव दर्शन मलिक ने गोबर से घर बना दिए हैं। डॉ शिव दर्शन मलिक केमिस्ट्री के प्रोफेसर थे। यह एक दिन अपने घर में सोए हुए थे कि इतने में बिजली कट हो गई और उन्हें गर्मी के कारण काफी परेशानी होने लगी। गर्मी के कारण शिव दर्शन मलिक ने इस परेशानी से बचने के लिए कुछ उपाय सोचने लगे। सोंचते-सोंचते इन्होंने अंततः परेशानी का हल मिल गया। इसके बाद शिव दर्शन मलिक ने वैदिक प्लास्टर और गौक्रिट बनाए। इनका यह प्रयोग देखकर वहां के लोगों में काफी अलग-अलग के प्रश्न उठने लगा। शिव दर्शन मलिक बताते हैं कि लोग हमें बोलने लगे कि गोबर से बना हुआ घर आसानी से कभी भी आग पकड़ सकती है और यह गल भी सकता है। तब प्रोफ़ेसर शिव दर्शन मलिक दावे के साथ लोगों के प्रश्नों का जवाब देते हुए बताते हैं कि गौक्रिट या वैदिक प्लास्टर को जब आप उपयोग करते हैं तो इसमें गोबर की मात्रा होने के कारण यह ना हीं जलता है और ना ही गलता है। इसके साथ-साथ वैदिक प्लास्टर से रेडिएशन होने का खतरा भी नहीं रहता है। और गोबर के घर बनाने से फायदा यह है कि यह घर-बाहर के तापमान से 7 डिग्री तक कम रहता है।

Cow Dung House

डॉ शिव दर्शन मलिक बताते हैं कि गोबर से बनाया घर में ईट, सीमेंट, बालू, सरिया का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं किया गया है। गोबर के इस घर में सिर्फ मिट्टी, चूना और स्थानीय वनस्पति चीजों का इस्तेमाल किया गया है। जिसके कारण यह घर-बाहर के तापमान से अंदर का तापमान 7 डिग्री कम जाता है।

यह भी पढ़ें:-बेटे की खुशी के लिए पिता ने खर्च की 8 लाख रुपये, 3 महीने में मिनी बस से लकड़ी का टैंक बना डाला

डॉ शिव दर्शन मलिक लोगों को गोबर से घर बनाने के लिए ट्रेनिंग भी देते हैं। वे अब तक 150 लोगों को ट्रेनिंग दे चुके हैं। शिव दर्शन मलिक बताते हैं कि अभी तक हमने पंजाब, जयपुर, तमिलनाडु, दिल्ली, अजमेर, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, गुजरात राज्य के लोगों को अपने इस गोबर से घर बनाने के तकनीक में बताया है। लोग अपने राज्यों में जाकर के गोबर से यह घर बनाए हैं। वे बताते हैं कि यह एक ऐसा तकनीक है कि हमारे घर को ठंड रखने के साथ-साथ हमारे पर्यावरण को भी बचाने में सहयोग करता है। इस घर को बनाने में पर्यावरण का कोई नुकसान नहीं होता है। हम इसलिए लोगों को ट्रेनिंग देते हैं कि दूसरे राज्यों के लोग अगर हमसे गौक्रिट मन गाते हैं। तो उन्हें यहां से ले जाने में या हमें यहां से भेजने में काफी महंगा पड़ जाता है। जिसके कारण हम लोगों को यही ट्रेनिंग देते हैं और इसके तकनीक के बारे में काफी अच्छे से बताते हैं

प्रोफेसर डॉ. शिव दर्शन मलिक का यह गोबर से घर बनाने का तकनीक से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि इस गोबर के घर बनाने के तकनीक से हमें न तो पर्यावरण का नुकसान होता है और ना ही भीषण गर्मियों में बिजली चली जाने से गर्मी से परेशान नहीं होना पड़ता है।