मनुष्य कितना भी पढ़-लिख ले परंतु मिट्टी से उसका लगाव हमेशा बना रहता है। किसी-किसी को अपनी मातृभूमि से इतना अधिक स्नेह रहता है कि वह शहर-विदेश की अपनी अच्छी-खासी नौकरी को छोड़कर गांव अपनी मिट्टी में वापस आ जाते है। मिट्टी से प्रेम होने की वजह से लोग गांव में ही बसकर खेती कार्य करने लगते हैं और उसी से अपनी कमाई के साथ-साथ दूसरों को भी रोजगार मुहैया कराते हैं।
आज की कहानी एक ऐसी लड़की की है जिसने IIT की पढ़ाई करने के बाद अच्छी नौकरी को त्याग कर वापस अपने गांव आ गईं। गाव में खेती कार्य करने लगीं और आज गांव के किसानो की जिन्दगी बदलने को कोशिश कर रही हैं। वह आज सभी के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं।
पूजा भारती (Puja Bharti) बिहार के नालंदा (Nalanda) के कंचनपर गांव की रहनेवाली हैं। इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल से हुईं। अंग्रेजी का कोई शिक्षक नहीं होने की वजह से इनके लिए अंग्रेजी पढ़ना-लिखना थोड़ा कठिन था। बाद में एक अच्छे स्कूल में उनका नामांकन हो गया। उन्होंने देखा कि किस तरह से उनकी बड़ी बहन की शादी कर दी गई। बड़ी बहन की शादी देखकर उनके मन में एक भय बैठ गया। उसके बाद पूजा ने IIT की तैयारी करना आरंभ कर दिया। उनकी मेहनत सफल रही और IIT मे प्रवेश मिल गया। आरंभ मे पूजा को क्लास में अंग्रेजी समझने में काफी परेशानी हुई। लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे वह अंग्रेजी समझने के साथ-साथ वे अंग्रेजी में सवाल-जवाब भी करने लगी।
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पूजा ने पढ़ाई में अपना बेहतर प्रदर्शन किया। खेलकूद में भी वे अच्छा थीं। पूजा ने बास्केटबॉल में अपने कॉलेज का प्रतिनिधित्व भी किया। इंटर्नशिप के लिए पूजा को अमेरिका के वर्जीनिया कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी में जाने का अवसर प्राप्त हुआ। पूजा PHD कर सकती थीं परंतु उन्होंने नौकरी करने का फैसला किया। गेल में पूजा को सरकारी नौकरी भी मिल गई। पूजा का गांव से लगाव होने की वजह से वह छुट्टियां भी लेने लगी। पूजा थोड़ा बहुत रिसर्च भी करती थीं। उन्होंने पूरे देश में घूमकर कई गावों को देखा। पूजा ने कृषि विशेषज्ञ दीपक सचदे से मिलकर खेती के गुण सीखे।
पूजा ने नौकरी छोड़ खेती करने का फैसला किया। उनके घरवाले नौकरी छोड़ने की बात जान कर उनका विरोध कर रहे थे। घरवाले बोलते थे कि एक दिन पछताना पड़ेगा। जब पूजा खेती करतीं तो जानने वाले लोग भी उन्हें खूब टोका करते थे। इसलिए पूजा उड़ीसा का चयन किया। पूजा ने अपने बिजनेस पार्टनर मनीष कुमार के साथ वर्ष 2015 के दिसंबर माह में उड़ीसा के मयूरभंज जिले में अपना काम आरंभ किया। उसके बाद वर्ष 2016 में पूजा ने बैक टू विलेज नाम से एक प्रोजेक्ट आरंभ किया। उसके बाद पूजा ने उड़िया भाषा सीखी। जैविक खेती के बारे में पूजा ने लोगों को समझाना भी शुरु कर दिया। उसके बाद किसानों ने भी पूजा की बात अपनाने लगे। इस तरीका से किसानों को इसका खूब मुनाफा भी मिलने लगा।
पूजा ने उन्नत कृषि केंद्र के नाम से मयूरभंज, पूरी और बालेश्वर में 10 जैविक फ़ार्म सेंटर भी खोला है। प्रत्येक सेंटर से आज लगभग 500 किसान जुड़े हुए हैं। इससे 5 हजार किसान जुड़कर जैविक खेती को अपना रहे। इस प्रकार से पूजा का प्रोजेक्ट कृषि उद्दमी तैयार करने में महत्वपूर्ण सहयोग दे रहा है।
The Logically पूजा भारती व उनके कार्यों की खूब सराहना करता है।