कुछ बातें दिल को बहुत ही तसल्ली देती हैं। जैसे लोगों का प्रकृति की तरफ झुकाव देखकर मन हर्षोल्लास से भर जाता है। आज के समय में लोगों का प्रकृति, पर्यावरण और खेती से बेहद लगाव होते जा रहा है। कुछ वर्ष पूर्व तक जब लोग अपने गांव या घरों को त्याग कर शहर में रहने लगे थे तो बहुत ही बुरा लगता था। लेकिन अब जब लोग गांव में रहकर, या शहरों में भूमि के अभाव के कारण भी नहीं रुककर, बालकनी, टेरेस, आंगन यहां तक की दीवार पर भी सब्जियों को उगा रहें हैं, तो ये देख मन प्रफुल्लित हो जाता है।
ये कहानी है रचना रोनांकी की
23 वर्षीय रचना रोनांकी (Rachana Ronanki) विजाग (Vizag) की रहने वालीं हैं। जैव प्रौद्योगिकी (Boitechnology) में स्नातकोत्तर की हैं। अपनी नौकरी छोड़ने के बाद यह एक ऐसी चीज पर काम करना चाहतीं थीं, जिसका यह भरपूर आनंद ले सकें। यह एक प्रकृति प्रेमी हैं, इस नाते इन्होंने तय किया कि खुद की बागवानी के अलावा कुछ और नहीं करेंगी। यह शहर के बीच अपने गांव के जीवन का अनुभव करना चाहता थी।
बगीचा का था शौक लेकिन जगह की थी कमी
यह एक अपार्टमेंट में रहतीं थीं जहां जगह की कमी थी। इनका लक्ष्य भी उन सभी लोगों के जैसा था जो बागानी तो करना चाहते हैं लेकिन जगह के अभाव से नहीं कर पाते। लेकिन इन्होंने अपने जुनून को नहीं छोड़ने का फैसला किया और छत पर बागवानी शुरू कर दी। इसलिए इन्होंने कुछ पौधे को कंटेनर और बर्तन में उगाया।
ऊष्मा रोधी पौधों को उगाया
2 साल पहले यह टमाटर, मूली, अंडे का पौधा, मिर्च, लगभग सभी प्रकार की हरी पत्तेदार सब्जियां उगाना शुरू कर दी थी। लेकिन कुछ ही दिन बाद इन्होंने देखा कि गर्मी के कारण ये सभी मुरझा रहे थे। इसलिए रचना ने इस साल ऊष्मा रोधी पौधों को उगाने का फैसला किया और लगाया। वो पौधें हैं जैसे:- उंगली बाजरा की फसल, कई सूरजमुखी की किस्में, गर्मियों के फूल आदि।
निम के तेल से करतीं हैं पौधों से स्प्रे
रचना हमेशा बुनियादी प्रथाओं के साथ अपने बागवानी को सरल रखना चाहतीं थी। लेकिन इन्हें कंटेनर बागवानी करनी थी, इसलिए मिट्टी को अधिक ताकत प्रदान करने की आवश्यकता थी। इसलिए इन्होंने पोटिंग मिक्स बनाने के लिए वर्मी कम्पोस्ट, गाय के गोबर की मिट्टी, नीम पाउडर और कोकोपीट का मिश्रण इस्तेमाल किया। किसी भी कीट और बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए रचना बस प्रभावित पौधे को बाकी पौधों से दूर रखतीं हैं और इसे नीम के तेल के साथ स्प्रे करतीं हैं ताकि पौधे व्यवस्थित रूप से विकसित हों।
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पिता करतें हैं मदद
रचना के लिए सबसे बड़ी बाधा छत पर मिट्टी का एकत्रित होना है। अपार्टमेंट में एक लिफ्ट नहीं होने के कारण इनके पिताजी 5 मंजिलों पर चढ़कर पौधों के लिए सभी सामग्रियों को ख़ुद से लाने का प्रबंधन करते हैं। रचना अपने पिता को धन्यवाद कहतीं हैं क्योंकि इनके पिता इनके जुनून को प्रज्वलित रखने और हमेशा इनका समर्थन कियें हैं।
खाती हैं शाकाहारी खाना, सोशल साइट पर है पेज
बागवानी ने रचना को सबसे महत्वपूर्ण चीज सिखाई है, किसी भी काम मे धैर्य रखना। इन्होंने पिछले 2 वर्षों में अपने व्यक्तित्व में बहुत बड़ा अंतर देखा है। अब यह शाकाहारी खाना खाती हैं। यह हमेशा ताजी सब्जियों को खाकर उनका स्वाद चखती हैं। एक अच्छे उपयोग के लिए अपने जुनून को रखना और लोगों को शिक्षित करना चाहतीं थी जो यह कर रहीं हैं। लोगों को सारी जानकारी देने के लिए यह सोशल मीडिया पर अपना खुद का बागवानी पेज शुरू की हुई हैं।
अपने लक्ष्य को पूरा कर अपार्टमेंट की छत पर कन्टेनर बागानी लगाने और लोगों को इस विषय मे जानकारी देने के लिए The Logically Rachana को सलाम करता है।