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महज़ 19 साल की उम्र से शायरी शुरू कर, अंतराष्ट्रीय स्तर तक युवाओं के सबसे अज़ीज़ थे: Rahat Indori

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
चांद पागल है अंधेरे में निकल पड़ता है

उस की याद आई है सांसों ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है

मोहब्बत की शायरी से युवा धड़कनों पर राज करने वाले राहत इंदौरी साहब अपनी ग़ज़लों को ख़ास शैली में प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते थें। महज 19 वर्ष की उम्र में उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपनी पहली शायरी पढ़ी थी। फिर राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय कई मुशायरों में उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। अपने दिलकश अंदाज से राहत साहब जल्द ही उर्दू साहित्य के मशहूर शायर बन गए। भारतीय उर्दू शायर और हिंदी फिल्मों के गीतकार राहत इंदौरी साहब (Rahat Indori) का जन्म 1 जनवरी 1950 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। इनके पिता रफ्तुल्लाह कुरैशी कपड़ा मिल के कर्मचारी थे और माता मकबूल उन निशा बेगम थी। शुरुआत में परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण इन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

स्कूल और कॉलेज के दिनों में फुटबॉल और हॉकी टीम के कप्तान भी थें

राहत साहब की प्रारंभिक शिक्षा नूतन स्कूल इंदौर में हुई। फिर 1973 में उन्होंने इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से ही अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की। वे पढ़ने में काफ़ी होशियार थे। पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद में भी अच्छे थे। अपने स्कूल और कॉलेज में फुटबॉल और हॉकी टीम के कप्तान भी थें। 1975 में उन्होंने बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल से उर्दू साहित्य में एमए किया। उसके बाद 1985 में मध्य प्रदेश के भोज मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उर्दू साहित्य में पीएच.डी. करने के बाद राहत साहब ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर में उर्दू साहित्य के प्रोफेसर के रूप में अध्यापन कार्य शुरू कर दिया। वे वहां 16 वर्षों तक बतौर प्राध्यापक रहे। उनके मार्गदर्शन में कई छात्रों ने पीएचडी भी की।

चित्रकार राहत इंदौरी

ज़िंदगी के शुरुआती दिनों में राहत साहब एक चित्रकार बनना चाहते थें। इसके लिए व्यवसायिक स्तर पर पेंटिंग करना भी शुरू कर दिए थें। वे साइनबोर्ड चित्रकार के रूप में 10 साल से भी कम उम्र में काम करने लगे थें। अपनी कल्पनाओं में बहुत आसानी से रंग भर उन्हें जीवंत कर देते थें। इन्होंने कई बॉलीवुड फिल्मों के पोस्टर और बैनर को भी डिजाइन किया है। पुस्तकों के कवर भी डिजाइन करते थें राहत साहब।

आदमी बूढ़ा दिमाग से होता है, दिल से नहीं

द कपिल शर्मा शो (The Kapil Sharma Show) के एक एपिसोड में जब राहत इंदौरी साहब आए थें, कपिल शर्मा ने राहत साहब से पूछा कि सर, आप इस उम्र में भी इतनी रोमांटिक शायरी कैसे लिख लेते हैं??? तब राहत साहब ने सभी का दिल जीतने वाला जवाब देते हुए कहा- ”आदमी बूढ़ा दिमाग से होता है, दिल से नहीं।”
मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो,आसमां लाए हो, ले अाओ, ज़मीं पर रख दो
अब कहां ढूंढ़ने जाओगे, हमारे कातिल,आप तो कत्ल का इल्ज़ाम, हम ही पर रख दो
उसने जिस ताक पर टूटे दिए रखें हैं,चांद तारों को लाकर वहीं पर रख दो
शो में ऐसे कई शेर सुनाकर राहत साहब ने सबका दिल जीत लिया था।

विदेशों में भी राहत साहब की शायरी के हैं बहुत से मुरीद

लगातार 40-45 सालों से मुशायरे के हिस्सा रह चुके राहत इंदौरी साहब (Rahat Indori) एक ऐसे शायर थे जिन्होंने मोहब्बत, ज़िंदगी, बगावत, राजनीतिक हर विषय पर शेर सुनाया है। उन्होंने दुनिया भर के मंचों से काव्य पाठ किया है। राहत साहब किसी को भी अपनी शायरी से सम्मोहित कर लेते थे। अमरीका, ब्रिटेन, पाकिस्तान कनाडा, सिंगापुर, नेपाल, मॉरीशस, कुवैत, बहरीन, बांग्लादेश में भी उनके कई मुरीद हैं!

दो गज सही मगर ये मेरी मिल्कियत तो है,
ऐ मौत तूने मुझको जमींदार कर दिया

Rahat Indori

कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद राहत साहब को अस्पताल में भर्ती किया गया था। इंदौर के अरबिंदो अस्पताल में कोरोना का इलाज चल थें। वहां उन्हें दो बार दिल का दौरा पड़ा जिस वजह से मंगलवार (11 अगस्त 2020) शाम पांच बजे राहत साहब का निधन हो गया। शायरी जगत के इस अमर पुरोधा को The Logically की ओर से श्रद्धेय श्रद्धांजलि…

Archana is a post graduate. She loves to paint and write. She believes, good stories have brighter impact on human kind. Thus, she pens down stories of social change by talking to different super heroes who are struggling to make our planet better.

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