पिता का हमारे जीवन में बहुत अहम भूमिका होती है। बिना पिता के हम अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकते। अक्सर हम जिंदगी के उस मोड़ पर आकर रुक जाते हैं जहाँ हम अपने पिता को खोते हैं। परंतु आज हम एक ऐसे व्यक्ति की बात करेंगे जिसने अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी, हर मुसीबत का डट कर सामना किया और वो कामयाबी के शिखर तक पहुँच हीं गए।
राहुल घोडके (Rahul Ghodke)
राहुल घोडके मुंबई ( Mumbai) के चेम्बूर इलाके के रहने वाले हैं। राहुल की आयु अब 25 वर्ष की हो गई है। राहुल बताते हैं कि उनकी पांचवीं तक की पढ़ाई सरकारी स्कूल से हुई। उसके बाद जब स्कूल बदलना पड़ा तो उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। उनके पास यूनिफार्म खरीदने तक के लिए भी पैसे नहीं थे। ऐसे में उनकी मौसी ने उनके परिवार की मदद की थी।
राहुल पढ़ने में थे बहुत अच्छे
राहुल पढ़ने में बहुत अच्छे थे। दसवीं में उनका अपने एरिया में सबसे ज्यादा नंबर आया था। आगे की पढ़ाई के लिए राहुल ने कॉमर्स स्ट्रीम चुना। राहुल बताते हैं कि उसी समय उनके पिता की अचानक मृत्यु हो गई। उनके पापा के जाने के बाद उनके परिवार की आर्थिक स्थिति और भी बिगड़ गई। उस वक्त उनकी बहन ग्रेजुएशन कर रही थीं।
राहुल की माँ ने की दिन-रात मेहनत
राहुल की माँ शारदा घोडके (Sharda Ghodke)ने हिम्मत नहीं हारी बल्कि उसका डट कर सामना किया। उन्होंने तय किया कि वह अपने बच्चों को अच्छी जिन्दगी देंगी। उन्होंने दूसरे लोगों के घर पर झाड़ू-पोछा और बर्तन साफ करने का काम करना शुरू कर दिया लेकिन मुंबई जैसे शहर में रहना और दो बच्चों की पढ़ाई का खर्च इससे होने वाला नहीं था। राहुल को अपनी माँ को दिन रात काम करता देख बहुत बुरा लगता इसलिए उन्होंने माँ की मदद करने का फैसला किया।
राहुल ने पढ़ाई छोड़ शुरू किया काम करना
राहुल ने ग्यारहवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी। एक जगह उनकी माँ कैटरर का काम करती थीं और वह भी वहीं जाकर उनकी मदद करने लगा। एक दिन राहुल को एक इलेक्ट्रीशियन के साथ काम करने को मिला और उससे उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला। शुरूआत की दिनों में राहुल उनके साथ में हेल्पर के जैसे हीं काम करते थे। फिर उन्हें काम आ गया तो मुझे भी लोग अपने घरों में वायरिंग का काम देने लगे।
राहुल ने फिर से शुरू की पढ़ाई
राहुल ने दो साल तक इलेक्ट्रिक और टेक्निकल का काम किया। फिर उनकी बहन का ग्रेजुएशन पूरा हो गया। वह जॉब करने लगीं और उन्होंने राहुल को अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए कहा। इसके बाद राहुल ने आईटीआई गोवंडी में इलेक्ट्रॉनिक ब्रांच में दाखिला ले लिया। राहुल चाहते थे कि वो अपनी माँ और बहन के कंधों से बोझ हल्का कर सकें। इसके लिए वह अच्छी नौकरी चाहते थे। उन्होंने आईटीआई में भी अपने ब्रांच में टॉप किया और फिर वहीं से उन्हें लार्सेन एंड टुब्रो कंपनी में इंटर्नशिप मिल गई।
राहुल चाहते थे स्टेबल जॉब
इंटर्नशिप के एक प्रोजेक्ट में राहुल को काम करने का मौका मिला। तब उन्होंने इसरो, DRDO जैसे संगठनों के बारे में और पढ़ा। वह बस इतना चाहते थे कि एक स्टेबल जॉब मिल जाए ताकि घर का टेंशन खत्म हो सके। इसके लिए इंटर्नशिप के बाद भी वह वहीं काम करने को तैयार थे। कुछ सीनियर ने उन्हें कहा, खुद के कम मत आंको, अभी आगे और पढ़ो। राहुल सीनियर की बात मानकर इंटर्नशिप के साथ-साथ डिप्लोमा में भी दाखिला ले लिया।
राहुल की माँ और उनकी बहन ने दिया उनका पूरा साथ
राहुल बताते हैं कि उन्हें बहुत से मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उनकी बहन तथा उनकी माँ ने उनका पूरा साथ दिया। राहुल सुबह से लेकर रात के 10 बजे तक काम, क्लासेस, इसी सबके बीच रहते थे फिर रात को पढ़ाई करने बैठते थे। उनके घर में अलग-अलग कमरे की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। ऐसे में राहुल पढ़ते थे तो पूरी रात लाइट ऑन रहती थी। लेकिन कभी भी उनकी मम्मी और बहन, कितनी भी थकी हुई हों, उन्होंने शिकायत नहीं की। राहुल कहते हैं कि रात में कई बार उठकर मम्मी चाय बनाकर दिया करती थीं।
राहुल कर चुके हैं आईटीआई डिप्लोमा
राहुल कहते हैं की इसरो का आईटीआई डिप्लोमा होल्डर्स के लिए जॉब नॉटीफिकेशन आना उनकी किस्मत थी। राहुल को जैसे पता चला तो उन्होंने तुरंत इसके लिए अप्लाई कर दिया। एंट्रेस परीक्षा में राहुल देश भर के आरक्षित उम्मीदवारों की सूची में तीसरे और ओपन केटेगरी में 17वें स्थान पर आए और उन्हें इसरो के अहमदाबाद सेंटर में तकनीशियन का पद मिला।
राहुल अपनी सफलता का श्रेय अपनी माँ और बहन को देते हैं
राहुल अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपनी माँ , बहन तथा अपनी मौसी को देते हैं। उनलोगों ने बिना थके दिन-रात काम किया है। जब उनका रिजल्ट आया तो राहुल के घर में जश्न का माहौल था क्यूंकि हर किसी के लिए यह एक सपने से कम नहीं था। उनके जॉब के बाद उनके घर के हालात बहुत सुधरे हैं और राहुल कहते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में जितने भी मुश्किलें झेली या फिर उनका संघर्ष से हीं उन्हे ऐसा करने की प्रेरणा मिली। उन्हे इस बात की बहुत खुशी हैं कि वह देश के लिए कुछ कर पा रहे हैं।
राहुल देते हैं अन्य बच्चो को संदेश
राहुल अन्य बच्चों को यह संदेश देते हैं कि मैंने अपनी ज़िन्दगी से एक बात जरूर सीखी है कि हालात जो भी हों, आपको यदि कुछ आगे लेकर जा सकता है तो वह है शिक्षा और आपकी मेहनत। मैं हर किसी से कहूँगा कि किसी भी कीमत पर अपनी पढ़ाई से पीछे ना हटें। जितना आगे पढ़ सकते हैं पढ़ें और मुश्किलें तो आती हीं हैं, लेकिन आप ठान लें तो सब मुमकिन हो जाता है।
The logically राहुल घोडके के हौसले की प्रसंशा करता है और उनकी सफलता पर उन्हें बहुत-बहुत बधाइयां देता है।