आज की कहानी है भारत की पहली मोबाइल कंपनी जिसने रूस में मोबाइल बेचा के सहसंस्थापक की। कैसे एक मध्यमवर्गीय परिवार का लड़का आज करोड़ो की कंपनी का मालिक बना आज की इस कहानी में हम आपको बताएंगे। राहुल शर्मा(Rahul sharma) का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता एक स्कूल में अध्यापक थे। इनका बचपन भी टीचर्स कॉलनी में ही बिता। इन्हें बचपन से मशीनों से प्यार था और इन्होंने मशीनी अभियांत्रिकी में ही डिग्री भी ली है। पढ़ाई के बाद इन्होंने एक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में कुछ सालों तक नौकरी भी की। पर खुद की एक सॉफ्टवेयर कंपनी खोलने की चाहत में नौकरी छोड़ दी।
माइक्रोमैक्स सॉफ्टवेयर की शुरुआत
2003 में राहुल शर्मा ने अपने तीन दोस्तो के साथ माइक्रोमैक्स सॉफ्टवेयर (Micromax software) की शुरुआत की। शुरुआत में तो यह एक सॉफ्टवेयर कंपनी ही थी पर बाद में इन्होंने फिक्स्ड पीसीओ बेचना शुरू किया। कंपनी ने इस क्षेत्र में विस्तार करने के लिए नोकिया और एयरटेल के साथ डील की और पीसीओ बेचे।
लंबी बैटरी बैकअप और सस्ता मोबाइल फ़ोन का आईडिया
माइक्रोमैक्स फ़ोन लंबी बैटरी बैकअप देता है और साथ ही यह सस्ता भी हैं। इस तरह के मोबाइल बनाने का आईडिया राहुल को 2007 में पश्चिम बंगाल के अपने बिज़नेस ट्रिप के दौरान आया था। पश्चिम बंगाल में राहुल शर्मा ने देखा बिजली की कमी के कारण ट्रक की बैटरी से पीसीओ को चलाना पड़ रहा था। इतना ही नही पीसीओ वाले के पास फ़ोन चार्ज करने की लंबी लाइन लगी रहती थी और पीसीओ वाले अपने मन मुताबिक पैसे चार्ज करते थे। यह सब देख उन्हें लंबी बैटरी बैकअप वाले फ़ोन का आईडिया आया।
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माइक्रोमैक्स फ़ोन सफल रहा
लम्बी बैटरी के साथ सस्ता मोबाइल फ़ोन लांच करने का आईडिया सफल रहा। इसकी शुरुआत 2150 रुपये में एक महीने की बैटरी बैकअप वाले फ़ोन के रूप में हुई। यह फ़ोन लांच होने के सिर्फ 10 दिनों के अंदर ही भारत के ग्रामीण इलाकों में 10,000 से ज़्यादा फ़ोन बिना विज्ञापन के ही बिक गए। इस तरह ग्राहकों की ज़रूरत समझते हुए माइक्रोमैक्स एक बड़ी कंपनी बन गई। 2014 में तो माइक्रोमैक्स सैमसंग के मुकाबले ज्यादा बिका। एक तिमाही में यह भारत मे सबसे अधिक टेलीफोन शिप करने वाला मोबाइल टेलीफोन कंपनी बन गया।
रूस में मोबाइल बेचने वाली पहली भारतीय कंपनी
माइक्रोमैक्स (Micromax) 24 जनवरी 2014 को रूस में मोबाइल बेचने वाली पहली भारतीय कंपनी बनी। रूस में इसका 5 प्रतिशत हिस्सा हैं। यह कंपनी अब मध्यपूर्व और अफ्रीकी देशों में भी अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रही हैं। नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश के बाज़ारो में अपनी पैठ बनाई।
आज माइक्रोमैक्स खुद को एक उपभोगता इलेक्ट्रॉनिक्स कम्पनी के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रही हैं। यह अब टीवी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट बना रही हैं। कंपनी ने ई-बाइक कंपनी रिवोल्ट मोटर्स की शुरुआत की हैं।
एक माध्यम वर्गीय परिवार का यह लड़का अपनी मेहनत से इतने बड़े कंपनी का मालिक हैं। जानकारों के मुताबिक इनकी कंपनी का वैल्यूएशन 21000 करोड़ रुपये होगा। इनसब के बावजूद राहुल बहुत सादगी से अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता को देते हैं।