समाज सुधार के बारे में लोग बोलते तो बहुत कुछ हैं। लेकिन उनमें से बहुत कम लोग उसके लिए कुछ करते हैं। आज की हमारी कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जिसने समाज सुधार के लिए एक पहल की। वह दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं।
रोहित कुमार यादव (Rohit Kumar Yadav)
रोहित कुमार यादव सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) के कांस्टेबल के पोस्ट में उन्नाव में तैनात हैं। रोहित अपने पिता का सपना पूरा करने के लिए कम उम्र के बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं। रोहित के पिता वायुसेना से रिटायर्ड हो चुके हैं। रोहित यूपी(UP) के इटावा जिले में अपने गांव में ही एक स्कूल शुरू किया था, परंतु उनके परिवार के लोग को उनका स्कूल खोलने का फैसला पसंद नहीं आया। अंत रोहित ने स्कूल को बंद कर दिया।
भीख मांगते बच्चों को देख कुछ करने की आई प्ररेणा
साल 2019 के सितंबर में जब रोहित अपनी ड्यूटी में थे और वो भीख मांगते बच्चों को देखते थे तो उन्हें बहुत तकलीफ होती थी। रोहित कहते हैं कि जिन हाथों में कलम और पेंटब्रश होना चाहिए, वे भीख मांग रहे हैं। इसके लिए उन्होंने इन बच्चों को भाग्य के भरोसे न छोड़ते हुए उनके पेरेंट्स को मनाया कि शिक्षा हीं एक जरिया है, जो इनकी जिन्दगी को बदल सकता है।
वहाँ के लोग पढाई के लिए जागरूक नहीं थे
रोहित कहते हैं कि वह अक्सर रेल की पटरियों के पास जाते थे और उनके परिवार के बच्चों को स्कूल भेजने के लिए मनाते थे। इसके लिए वह हर महीने उनके घर जाया करते थे। ज्यादात्तर लोग अपने बच्चे को स्कूल नहीं भेजना चाहते थे क्यूंकि उनकी कमाई का जरिया ज्यादा नहीं था। ज्यादातर लोग एडमिशन प्रोसेस में भी नहीं पड़ना चाहते थे।
रोहित उन्नाव स्टेशन के रेलवे ट्रैक के पास हीं स्कूल का किए शुरूआत
रोहित इन सब समस्या के हल के रूप में स्कूल को ही उनके पास लाने का फैसला किया। रोहित साल की शुरुआत में ही उन्नाव स्टेशन के रेलवे ट्रैक के पास एक ओपन एयर स्कूल ‘हर हाथ में कलम’ की स्थापना करवाई। शुरूआती दिनों में पहले बैच में केवल पाँच छात्र हीं थे परंतु एक महीने में हीं यह आंकड़ा बढ़कर 15 हो गई। पहले कुछ महीनों तक रोहित अकेले ही स्कूल में पढ़ते थे।
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रोहित स्कूल को देते थे अपना पूरा समय
रोहित ड्यूटी के अलावा अपना पूरा समय स्कूल को हीं देते थे। शुरूआती दिनों में वह बच्चों की शिक्षा का खर्च अपनी जेब से देते थे। कुछ NGO ने भी उनकी मदद की। कुछ महीने बाद, जिला पंचायती राज अधिकारी से मदद के लिए स्कूल को अब कोरारी पंचायत भवन के रूप में बदल दिया।
राहुल के जीवन का मिशन बन गया स्कूल
अब उनके स्कूल में दो और टीचर्स भी हैं। जो 90 से अधिक छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। जीआरपी ने भी रोहित की पूरी मदद की। रोहित ने कहा, स्कूल चलाने का मेरा जुनून ड्यूटी की थकान और तनाव को दूर करता था। यह मेरे जीवन का मिशन बन गया क्योंकि इससे मुझे यह एहसास हुआ कि मैं अपने पिता के सपने को जी रहा हूं और आज वो दूसरे के लिए प्रेरणा हैं।
The logically रोहित कुमार यादव की समाज सुधार कार्य की प्रसंशा करता है और उम्मीद करता हैं कि उनका यह करना कारगर साबित होगा।