विद्यालय को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है लेकिन अक्सर बच्चे स्कूल नहीं जाना चाहते हैं। ऐसे में बच्चों का मन स्कूल की तरफ आकर्षित हो इसके लिए राजस्थान (Rajasthan) के अलवर (Alwar) जिले में नए-नए प्रयास किए जा रहे हैं। बच्चों को स्कूल आने के लिए उत्साहित करने के लिए स्कूलों को अलग-अलग रूप देकर आकर्षित बनाया जा रहा है।
बच्चों को स्कूल लाने के लिए किया जा रहा है अनूठा प्रयास
अलवर जिले (Alwar District) में बच्चों को स्कूल के प्रति लुभाने का प्रयास काफी सफल हो रहा है और उनमें स्कूल जाने और पढ़ने-लिखने की इच्छा जागृत हो गई है। इतना ही नहीं सरकारी स्कूलों के कायाकल्प को आकर्षित बनाने की वजह से पहले की अपेक्षा अब स्कूलों में बच्चों की सन्ख्या भी दोगुनी हो गई है। कुछ सीखने की इच्छा के साथ-साथ बच्चे अनुशाशन प्रिय भी हो गए हैं।
बदल रहा है स्कूलों का कायाकल्प
आप सोच रहे होंगे कि अलवर का एक स्कूल ऐसा होगा लेकिन ऐसा नहीं है। अलवर के एक-दो नहीं बल्कि अधिकांश सरकारी स्कूलों (Government Schools) के मॉडल एक से बढ़कर एक हैं और इसी वजह से वे सभी सरकारी स्कूल देशभर में सुर्खियां बटोर रहे हैं। सरकारी स्कूलों के स्वरुप में परिवर्तन और कायाकल्प को बदलने में राज्य समेत दानदाताओं और विभिन्न संगठनों का अहम योगदान रहा है। आज वे सभी सरकारी स्कूल सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।
बोतल के आकार में बनी पानी की टंकी
सहोदी गांव स्थित सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल की प्रधानाचार्य किरण का कहना है, स्कूल का पदभार सम्भालने के समय स्कूल की इमारत अच्छी नहीं थी। लेकिन किसी भी स्कूल की बिल्डिंग्स अच्छी होनी चाहिए ताकि बच्चों में स्कूल आने की ललक जागृत हो और खुशी-खुशी स्कूल आ सके। इसी सोच के साथ उन्होंने स्कूल की दीवारों को चित्रित किया, बोतल के आकार में पानी की टंकी का निर्माण किया गया। इतना ही नहीं स्कूल की सीढ़ियों को भी कुछ इस प्रकार से डिजाइन किया गया है जिससे बच्चों को सीखने में मदद मिले।
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स्कूल में बनाया गया है सेल्फी प्वाइंट
आजकल सेल्फी का जमाना है, हर कोई चाहे वह छोटा हो या बड़ा सेल्फी लेने के शौकीन हैं। ऐसे में प्रिन्सिपल किरण ने बताया कि, स्कूल में एक सेल्फी प्वाइंट बना है जो छात्रों को काफी आकर्षित कर रहा है। स्कूल के जीर्णोद्धार के लिए सहगाह फाउंडेशन के तहत 40 लाख की मदद की गई। इसमें ग्रामीणों ने भी काफी सहायता की। स्कूलों को आकर्षित बनाने से बच्चों का नामांकन बढ़ने के साथ ही उनमें सीखने की ललक भी बढ़ी है।
ट्रेन के डिब्बे के आकार में बनी हैं स्कूल की कक्षाएं
अलवर जिले के एक अन्य स्कूल में भी कक्षाओं को ट्रेन के डिब्बों की तरह बनाया गया है जिसकी दीवारों को नीले रंग से पेंट किया गया है। अलवर के शिक्षा विभाग में कार्यरत इन्जीनियर राजेश लावनिया का कहना है कि पहले की अपेक्षा स्कूल में बच्चों की सन्ख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा स्वच्छता और अनुशाशन में भी जागरुकता फैली है। यह हमारे देश के आनेवाले भविष्य के लिए बेहतर है।
अलग-अलग जिले के स्कूल भी अपना रहें हैं यह मॉडल
राजस्थान (Rajasthan) के अलवर जिले (Alwar District) में मौजूद सरकारी स्कूलों के स्वरुप में बदलाव लाने का प्रयास सफल हुआ है। बच्चों में स्कूल आने के लिए किए गए नए प्रयास की सफलता के बाद से अब धौलपुर, चितौड़गढ़, और पाली सहित अन्य जिलों के स्कूलों ने भी इस पहल को अपना रहे हैं। वहां स्थित स्कूलों की अलग-अलग डिजाइन्स देखने को मिल रही है जैसे- स्कूल के कक्षाओं को बस, जहाज और ट्रेनों की तरह डिजाइन की गई है। वहीं स्कूल की दीवारों और सीढ़ियों पर अलग-अलग उद्धनण का प्रयोग किया गया है। इससे बच्चों में हमेशा नया सीखने की ललक बनी रहेगी।
अलवर जिले में किया जा रहा यह प्रयास बेहद प्रशंशनीय है। इस पहल के तहत बच्चे स्कूल जाने के लिए उत्साहित होंगे जो भारत के विकास में योगदान देंगे। The Logically इस अनूठे प्रयास की बेहद प्रशंशा करता है।